अन्ना के आंदोलन को आज 6 दिन हो गए , इन मुद्दों पर सहमति नहीं

दिल्ली: समाजसेवी अन्ना हजारे के आन्दोलन को आज 6 दिन हो गए। उनकी सेहत तेजी गिरती जा रही है। वहीं सरकार की तरफ से उन्हें मनाने की कोशिशें भी तेज़ हो गई हैं। उम्मीद जताई जा रही है आज अन्ना और सरकार के बीच कोई सहमति बन सकती है।

अन्ना ने बताया कि किसानों को फसल लागत का डेढ़ गुणा दाम देने पर सरकार राजी है, लेकिन कैसे देंगे सरकार ने इसका जवाब नही दिया। हर फसल का बिक्री मूल्य निर्धारित किए जाए। अगर निर्धारित मूल्य से कम दाम मिलता है तो सरकार भरपाई करे।

अन्ना ने बताया कि किसानों के लिए सरकार के पास कोई योजना नही है। अन्ना ने मांग कि है कि कृषि मूल्य आयोग को चुनाव आयोग की तरह संवैधानिक दर्ज़ा दिया जाए। किसानों का कर्जा माफ़ किया जाए।

अन्ना ने बताया कि सरकार ने लोकपाल और लोकायुक्त नियुक्ति की मांग चुनाव आयोग के पास भेजने की बात कही। जब तक प्राण है ये अनशन खत्म नही होगा। भगवान की कृपा है कि अब तक ठीक हूं। मुझे विश्वास है जब तक मांग पूरी नही होगी भगवान मुझे संभालेगा।

Ads Middle of Post
Advertisements

80 साल के अन्ना हजारे 23 मार्च से दिल्ली के रामलीला मैदान में अनशन पर बैठे हैं। उनका वजन पांच किलो से ज्यादा घट चुका है। इसके बावजूद वो जमे हुए हैं और उनके साथ जमे हैं देश के अलग-अलग इलाकों से आए हुए कई लोग। इनमें ज़्यादातर किसान हैं। आपको बता दें कि इस बार अन्ना के आंदोलन के केंद्र में किसान ही है।

आपको बता दें कि इस आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए लोग देश के अलग अलग हिस्सो से आए हैं। पंजाब से लेकर महाराष्ट्र, यूपी, एमपी, राजस्थान जैसे तमाम राज्यों के लोग इसमें शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर किसान हैं जो अपनी फसलों के सही दाम चाहते हैं। बिना किसी बड़े संगठन के इन सबका दिल्ली पहुंचना बताता है कि ग्रामीण भारत की स्थिति कितनी खराब है। सबको अन्ना की लड़ाई में पूरा भरोसा है।

किसानों के अलावा अन्य कई समूह भी आंदोलन में जमे हैं। इनमें सबसे प्रमुख संख्या है बन्द हो चुकी चिटफंड कंपनी PACL के निवेशकों की। इनका मुद्दा मंच से भले ही प्रमुखता से ना उठ रहा हो लेकिन इन्हें लगता है कि कॉरपोरेट लूट पर रोक लगेगी तो और लोग नहीं ठगे जाएंगे। वहीं इन्हें थोड़ी उम्मीद पैसा वापस मिलने की भी है।

आंदोलन से युवा और शहरी वर्ग गायब है। अन्ना का मनना है कि उनके लिए भीड़ नहीं मुद्दा अहम है। लेकिन भीड़ ना जुटने से निराशा तो उन्हें भी होगी ही। इस बार आंदोलन बिखरा सा है और कोई जोश नहीं दिखता। दिखती है तो बस बेचारे किसानों की सरकार से निराशा और अन्ना से आशा।

अन्य ख़बरे

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.