बोस्टन: वैज्ञानिक रोबोटिक्स के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहे हैं। वे लगातार ऐसे रोबोट बनाने में लगे हुए हैं जिनसे न केवल मनुष्यों का काम आसान हो सके, बल्कि पर्यावरण में बदलाव व अन्य गतिविधियों पर निगाह भी रखी जा सके। इसी कड़ी में वैज्ञानिकों ने एक सॉफ्ट रोबोट मछली तैयार की है, जिसे उन्होंने सोफी नाम दिया है।
अमेरिका स्थित मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी) के वैज्ञानिकों द्वारा बनाई गई रोबोट मछली सोफी का फिजी के रेनबो रीफ में परीक्षण किया गया। यह समुद्र की सतह से 50 फीट की गहराई में तकरीबन 40 मिनट तक तैरने में सक्षम है। सिलिकॉन रबर से बनी यह रोबोट मछली समुद्र के भीतर की दुनिया की तस्वीरें ले सकती है, जिससे वैज्ञानिकों को समुद्री जीवन के बारे में अधिक जानकारी मिल सकेगी।
वैज्ञानिकों ने सोफी की आंख में लेंस लगाया है, जिसकी मदद से हाई रेजोलूशन की तस्वीरें और वीडियो रिकॉर्ड किए जा सकते हैं। एमआइटी के रोबर्ट काट्जस्मान के मुताबिक, हमारी जानकारी में यह पहली ऐसी रोबोट मछली है जो इतनी देर तक पानी में तीन आयामों में तैरने में सक्षम है। हम इस रोबोट मछली को लेकर काफी उत्साहित हैं। हमें उम्मीद है कि यह मछली समुद्री जीवन और इंसानों को और करीब लाने में मददगार साबित होगी।
यह है खासियत
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सोफी समुद्र में चलने वाली धाराओं या करंट में तैरने में सक्षम है। साइंस रोबोटिक्स नामक जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में बताया गया है कि अपनी लहराती पूंछ और पानी में उछाल को नियंत्रित करने की खूबी की वजह से सोफी समुद्र में आराम से तैर सकती है। यह सीधा, आगे, पीछे और ऊपर या नीचे छलांग भी लगा सकती है। इन खूबियों के कारण सोफी समुद्र में मछलियों और अन्य जलीय जंतुओं के साथ तैरने के सक्षम है। यह समुद्र के वातावरण में पूरी तरह से घुल-मिल सकती है।
खास संचार तंत्र से नियंत्रित की रफ्तार
पानी के भीतर इसका प्रदर्शन देखने के लिए विशेषज्ञों की टीम ने वाटरप्रूफ सुपर निनटेंडो कंट्रोलर का इस्तेमाल किया। साथ एक खास संचार तंत्र के जरिये सोफी की रफ्तार और उसकी गतिविधि को नियंत्रित किया। सोफी को तैरने में सक्षम बनाने के लिए मोटर पंप लगाए गए हैं, जो सोफी द्वारा पूंछ चलाने पर गुब्बारे की तरह के दो कक्षों से पानी को अंदर व बाहर करते हैं। इसकी मदद से वह तैर सकती है।
यह मिलेगा लाभ
वैज्ञानिकों के मुताबिक, सोफी के जरिये उन्हें समुद्री जीवों पर नजर रखने और जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र के नीचे होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी मिल सकेगी। फिलहाल इसे और अधिक विकसित किया जा रहा है, ताकि इसे और गहराई तक व अधिक देर तक तैरने में सक्षम बनाया जा सके।
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