रात करीब 11-11.30 बजे उनको उनको दिल का डोरा हुआ और कहानी ख़त्म
. बुजुर्ग हो चुकी मशहूर हस्तियों की आखिरी ख़बर. ये सोचकर कि किसी दिन एकाएक खबर आ सकती है. मगर श्रीदेवी? कि हिंदुस्तान के किसी भी मीडिया हाउस ने श्रीदेवी की ऑबिचुरी लिखने के बारे में सोचा भी नहीं होगा. वो अभी जवान थीं. उनकी उम. नहीं थी जाने की. 54 की ही तो थीं वो. अभी भी उतनी ही जवान, उतनी ही हसीन, जितनी उस रात को थीं, जब हवा-हवाई गाने की शूटिंग हो रही होगी. या वो गाना – काटे नहीं कटते दिन ये रात.अपनी मौत के समय वो यूएई में थीं. किसी शादी में शामिल होने गईं थीं. पति बोनी कपूर और छोटी बेटी खुशी उनके साथ थे. एकाएक हार्ट अटैक आया. बचाया नहीं जा सका. हिंदी फिल्मों की पहली महिला सुपरस्टार बिना किसी शोर-शराबे के गुजर गई.
उनका एक गाना है. मुआफ़ कीजिए, था नहीं लिखा जा सकेगा मुझसे.
न जाने कहां से आई हूं,
न जाने कहां को जाऊंगी…
मैं इस वक़्त ये गाना सुन रही हूं. मायूस हूं. यूं लग रहा है कोई अपने घर का चला गया है. बहुत दूर. उनकी अदाएं याद आ रही हैं. मुझे कोई वीडियो देखने की ज़रूरत नहीं. श्रीदेवी आंखों की पुतलियों में गुदी हुई हैं जैसे. कहीं भी गईं हों, इससे बाहर नहीं निकल पाएंगी.
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