सुप्रीम कोर्टके चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में हैं। इसके लिए विभिन्न विपक्षी पार्टियों के सासंदों ने महाभियोग के प्रस्ताव के मसौदे पर हस्ताक्षर भी कर दिए हैं।
साल 2016 में आंध्रप्रदेश और तेलंगाना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नागार्जुन रेड्डी को लेकर एक विवाद खड़ा हो गया था, उन पर एक दलित न्यायाधीश को प्रताड़ित करने के लिए अपने पद का गलत उपयोग करने का आरोप लगाया गया। इसके लिए राज्यसभा के 61 सदस्यों ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए एक याचिका दाखिल की थी। उसके बाद राज्यसभा के 54 सदस्यों में से 9 सदस्यों ने अपना हस्ताक्षर वापस ले लिया था, जिन्होंने न्यायमूर्ति रेड्डी के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने का प्रस्ताव दिया था।
न्यायाधीश पर्दीवाला के खिलाफ महाभियोग
साल 2015 में राज्यसभा के 58 सदस्यों ने गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जे बी पर्दीवाला के खिलाफ महाभियोग का नोटिस जारी किया था। उन्हें यह नोटिस ‘आरक्षण के मुद्दे पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने और पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के खिलाफ एक मामले में फैसले को लेकर दिया गया था। महाभियोग का नोटिस राज्यसभा सभापति हामिद अंसारी को भेजने के कुछ ही घंटों बाद न्यायाधीश ने फैसले से अपनी टिप्पणी को वापस ले ली थी.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति सौमित्र सेन
साल 2011 में राज्यसभा ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सौमित्र सेन को एक न्यायाधीश के तौर पर वित्तीय गड़बड़ी करने और तथ्यों की गलतबयानी करने का दोषी पाया था। उसके बाद उच्च सदन ने उनके खिलाफ महाभियोग चलाने के पक्ष में मतदान किया था। हालांकि लोकसभा में महाभियोग की कार्यवाही शुरू किए जाने से पहले ही न्यायमूर्ति सेन ने पद से इस्तीफा दे दिया था।
न्यायाधीश पी डी दिनाकरण
न्यायाघीश पी डी दिनाकरइण पर भूमि पर कब्जा करने, भ्रष्टाचार और न्यायिक पद का दुरुपयोग करने को लेकर विवाद हुआ था। पी डी दिनाकरण सिक्किम उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश थे। उन्होंने अपने खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू होने से पहले ही 2011 में पद से इस्तीफा दे दिया था।
जस्टिस वी रामास्वामी
साल 1990 में पंजाब और हरियाणा के चीफ जस्टिस वी रामास्वामी पर साल 1993 में महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई थी। हालांकि लोकसभा में न्यायमूर्ति रामास्वामी के खिलाफ लाया गया महाभियोग का प्रस्ताव इसके समर्थन में दो तिहाई बहुमत जुटाने में सफल नहीं रहा था।
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