
नई दिल्ली, पिछले कुछ समय से जेनिटिकल मोडिफाय अर्थात् जी.एम . फसलें पर विवाद चल रहा है परन्तु बहुत ही तर्कसंगत बात पर बहुत प्रयास के पश्चात् सत्यम लाइव की टीम ने कुछ तथ्य प्रस्तुत करने का निश्चिय किया और उस विवाद पर कुछ प्रकाश डालना उचित और अनुचित ये आप लोगों को निर्णय लेना होगा, सत्यम लाइव ने सिर्फ तथ्य तर्क सहित प्रस्तुत कर रहे हैं
जी.एम. फसले उन्नत बीज पर आधारित फसलें हैं, जानकारी के मुताबिक जीएम बीज कृत्रिम बीज है, विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जीएम ऑर्गेनिज्म में डीएनए को बदला जा सकता है, इनको तीन नामों से जाना जाता है 1. जीन टेक्नोलॉजी 2. रिकॉम्बिनेंट डीएनए टेक्नोलॉजी 3. जैनेटिक इंजीनियिरंग
बनता कैसे है जी.एम.सरल भाषा में समझे तो वनस्पति के जीन को निकालकर दूसरी वनस्पति में डाला जाता है, इसके तहत हाइब्रिड बनाने के लिए किसी वनस्पति में नपुंसकता पैदा हो जाती है, जैसे जीएम सरसों के पौधों के सरसों के फूल में होने वाले स्व परागण को रोकने के लिए नपुंसकता पैदा की जाती है फिर हवा, तितलियों, मधुमक्खियों और कीडों के माध्यम से परागण करा कर हाइब्रिड तैयार किया जाता है
उदेदश्य क्या हैवैज्ञानिक का दावा है कि जीएम फसलों से उत्पदकता बढेगी, प्रतिरोधक क्षमता भी बढेगी तथा इस तकनीकि के माध्यम से सूखा पडने जैसी आपदाओ से भी निजात मिलेगी, जीएम सरसों में मामले में कीटनाशक को सहने वाली फसल उगाने का दावा किया जा रहा है अब तक कुल 28 देशों मे जीएम फसल उगाई जा रही है उसमें से 2 देशों में ब्राजील में 25 प्रतिशत और अमेरिका में लगभग 40 प्रतिशत फसल उगाई जा रही है भारत, चीन, कनाडा और अर्जेटीना में 27 प्रतिशत फसल उगाई जा रही है शेष 11 प्रतिशत फसल 22 देशो में उगाई जा रही है अर्थात् यूरोप में 65 प्रतिशत फसल जीएम से माध्यम से उगाई जा रही है कुछ रोचक तथ्य में जानने का अवश्स मिलता है कि जर्मनी और स्विटजरलैण्ड की सरकारों ने अपने देश में जीएम पर प्रतिबन्ध लगा रखा है लेकिन कुछ देशों की कम्पनियों ने पूरे विश्व में जीएम फसल के लिए बाजार तलाश रही है, जीएम फसलों के खिलाफ मुहिम चलाने वाली कविता कुरूगंटी जी का कहना है कि जीएम के माध्यम से जितनी आसानी से कम्पनियों को पेटेंट मिलता है वह शायद दूसरी तकनीकी से नहीं मिल पा रहा है, और जीएम तकनीक के तहत सिर्फ दो या तीन जीन बाहर से डालकर आप उसे पूरी प्रजाति पर पेटेंट का दावा कर सकते हैं, अर्थात् बडी कम्पनियों का एकाध्िाकार का खतरा है
अब तक हुआ क्या है और पर्यावरण को कितना फायदा है, और सम्भावना क्या होगी तथा किसानों को क्या फायदा है इस पर चर्चा अगले लेख में करेगें
सत्यम् लाइव
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