ग़ाज़ियाबाद: कैंसर की गलत रिपोर्ट देने का दोषी होने पर राज्य उपभोक्ता फोरम ने देहरादून स्थित आहूजा पैथोलॉजी एंड इमेजिंग सेंटर पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया है लैब की इस रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली में डॉक्टरों ने आपरेशन कर एक महिला की बायां ब्रेस्ट निकाल दिया था। ऑपरेशन के बाद हुई जांच में पता चला कि महिला को कैंसर था ही नहीं।
फोरम के अध्यक्ष जस्टिस बीएस वर्मा ने इस आहूजा पैथोलॉजी लैब के संचालक पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह आदेश 13 मार्च को आया है। जस्टिस वर्मा ने जुर्माने के साथ-साथ 29 अप्रैल 2006 से आज तक इस राशि पर सात प्रतिशत की दर से ब्याज देने के आदेश भी दिए हैं। यह राशि 20 लाख रुपये अधिक बैठ रही है। गलत रिपोर्ट के कारण किसी पैथालॉजी लैब पर हुई कार्रवाई का यह पहला बड़ा मामला है। हालांकि लैब संचालक डॉ. आलोक आहूजा ने फोरम फैसले पर असहमति जताई है। राज्य उपभोक्ता फोरम के सदस्य वीना शर्मा का कहना है कि उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति सजग होना होगा। यह मामला भी अपनी तरह की एक नजीर है। उपभोक्ताओं को चाहिए कि जिला से राज्य और केंद्र स्तर तक भी अपनी बात को रख सकता है।
करनपुर निवासी यशोदा गोयल ने वर्ष 2003 में लैब में ब्रेस्ट कैंसर की आशंका के चलते अपनी जांच कराई थी। आरोप है कि लैब ने बायोप्सी कर जो जांच रिपोर्ट दी, उसमें कैंसर की पुष्टि की गई थी। इस रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली स्थित राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एवं रिसर्च सेंटर के डॉक्टरों ने नौ जून 2003 को ब्रेस्ट आपरेट कर दिया। आपरेशन के बाद जब हटाए अंग की जांच हुई तो पता चला कि कैंसर तो था ही नहीं। जिस सैंपल स्लाइड के आधार पर लैब से कैंसर की जांच की थी, उस स्लाइड की दोबारा जांच में भी कैंसर न होने की पुष्टि हो गई। वर्ष 2006 में गोयल परिवार ने राज्य उपभोक्ता फोरम में लैब के खिलाफ केस दायर किया।
डॉ. आहूजा पैथोलॉजी एंड इमेजिंग सेंटर के संचालक डॉ. आलोक आहूजा फोरम के आदेश से सहमत नहीं है। उनका कहना है कि यह फैसला तकनीकी रूप से कमजोर और कानूनी स्तर से भी ठीक नहीं माना जा सकता। फैसला लेने से पहले एक्सपर्ट मेडिकल पैनल से राय ली जानी भी जरूरी थी। इस फैसले के खिलाफ राष्ट्रीय फोरम में अपील की जाएगी।
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