नई दिल्ली, तुलसी की पूजा का भारत में बहुत महत्व है, कार्तिक में तुलसी की पूजा घर घर किये जाने का रिवाज यूं ही नहीं है, भारतीय संस्कृति में तुलसी को पूजनीय माना जाता है, धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ तुलसी औषधीय गुणों से भी भरपूर है। आयुर्वेद में तो तुलसी को उसके औषधीय गुणों के कारण विशेष महत्व दिया गया है। तुलसी ऐसी औषधि है जो ज्यादातर बीमारियों में काम आती है। इसका उपयोग सर्दी-जुकाम, खॉसी, दंत रोग, चर्म रोग तथा श्वास सम्बंधी रोग के लिए बहुत ही फायदेमंद माना जाता है तुलसी माता ही हैं जो आपके घर के आंगन में रहकर हानिकारक कीटाणु को प्रवेश नहीं करने देती और यदि किन्ही कारणों से वायरस प्रवेश भी कर जाता है तो आप तुलसी माता की शरण में जाये तो कई सारे रोगों को समाप्त कर सकते है
सर्दी जुकाम होने पर तुलसी का काढा उपयोग में लाया जाता है स्वरभंग होने पर उसकी जड को चूसने से लाभ मिलता है, अगर दस्त लग जाते है तो शहद के साथ तुलसी के पत्ते, जीरा मिलाकर दिन में 3 से 4 बार लेने से दस्त, मरोड, पेचिश जैसे रोग समाप्त होते हैं
कान में दर्द होने से तुलसी के पत्तों का ताजा रस गरम करके 2 से 3 बूंद कान में टपकाने से रामबाण की तरह कार्य करता है
मलेरिया मच्छरों को तुलसी पनपने ही नहीं देती है परन्तु यदि मलेरिया हो भी जाता है तो तुलसी के पत्तों का क्वाथ बनाकर तीन तीन घंटे में देने से मलेरिया जड से समाप्त होता है, किसी भी प्रकार के ज्वर में तुलसी का उपयोग अावश्यक है, साधारण ज्वर में तुलसी पत्र, श्वेत जीरा, छोटी पीपल तथा धागे वाली मिश्री को कूट पीस सुबह शाम देने से साधारण ज्वर समाप्त होता है, आंत्र ज्वर होने पर तुलसी पत्र 10, आधी जावित्री पीसकर शहद के साथ लेने से आत्र का ज्वर समाप्त होता है
सफेद दाग झाई तुलसी पत्र स्वरस, नीबू का रस, कंसौदी पत्र का रस बराबर मात्रा में मिलाकर एक तांबे के बर्तन में डालकर दो दिन धूप में रखकर गाढा हो जाने दें फिर जहां दाग है लगाये दाग समाप्त हो सुन्दर त्वचा प्राप्त होती है
घावों को शीघ्र भरने के लिये लगभग 20 ग्राम पत्तों को उबालकर ठंडा करके लेप करना चाहिए अतिशीघ्र घाव भर जाते है तुलसी माला धारण करने से ह्रदय को शांति मिलती है।
सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव
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