नई दिल्ली, भारत के हिमालय प्रदेश, सीलोन तथा मलाया में उत्पन्न होने वाली दालचीनी सिर्फ मुख की दुर्गन्ध का ही नाश नहीं करती बल्कि हदय को उत्तेजना देने वाली है, अफारा, दस्त, पेट में मरोड, उल्टी आने पर भी कार्य करती है, दन्तशूल में दालचीनी का तेल लगाने से लाभ मिलता है, इसके पत्तों को पीसकर मंजन करने से दांत स्वच्छ और चमकीले हो जाते हैं
संधिवात में दालचीनी का 20 ग्राम चूर्ण को 30 ग्राम शहद में मिलाकर पेस्ट बना लें, जिस संध्िा में दर्द हो रहा है वहां पर लगाये इसके साथ ही 2 ग्राम दालचीनी चूर्ण, 1 ग्राम शहद के साथ गुनगुने पानी के साथ तीनो समय लेने पर संधिवात भी ठीक होता है
एक कप पानी में दो चम्मच शहद तथा तीन चम्मच दालचीनी चूर्ण मिलाकर प्रतिदिन 3 बार सेवन करना चाहिए इससे रक्त में बढा हुआ कोलेस्टोल भी कम होता है
दालचीनी, इलायची, तेजपत्ता को बराबर लेकर चूर्ण बना लें गुनगुने पानी के साथ लेने से पेट में होने वाली ऐंठन भी समाप्त हाेती है
शहद एवं दालचीनी का मिश्रण चर्म रोग ग्रसित भाग जैसे खुजली, खाज एवं फोडे फुन्सी पर लगाने से चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं
हानि इसकी अधिक सेवन करने सेे सिर दर्द पैदा हाे जाता हैै तथा दालचीनी गर्भवती नही लेनी है
सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव
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