नई दिल्ली, आज व्यापक हो रहा पक्षाघात का असर पर कुुुछ लिखने को तब सुझी जब एक मित्र डाक्टर से पता चला कि 6 माह के बच्चे को मास्तिष्क का पक्षाघात जैसी बीमारी हुई, मस्तिष्क पक्षाघात का अर्थ मिर्गी होता है, तब पक्षाघात की परिभाषा जानने के सफल प्रयास ने बढते पक्षाघात की जानकारी भ्ाी ज्ञात हई ।
पक्षाघात क्या है :एक या एकाधिक धमनी में रूधिर जम जाने के कारण पक्षाघात की बीमारी पैदा होती है अर्थात् वात जब जल तत्व के साथ मिलकर जम जाता है तो पक्षाघात हो जाता है ये पक्षाघात पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाये तो लकवे का रूप धारण कर लेता है। पक्षाघात दो प्रकार का होता है पहला है आंशिक पक्षाघात और दूसरा है पूर्ण पक्षाघात। आंशिक पक्षापात के रूप में पक्षापात, शरीर में वात एक स्थान पर रूक जाने के कारण होता है परन्तु इसका यदि जल्द ही उपचार न किया जाये तो पूर्ण पक्षाघात के परिवर्तित होने के लिए तैयार हो जाता है अत: इस बीमारी का इलाज पर तुरन्त ही ध्यान देने की आवश्यकता है।
ये रोग मां बनने के पश्चात् होने की ज्यादा सम्भवना होती है, अत: मां बनने के पश्चात् हरीरा या पाक बनाकर खिलाया जाता था, जिससे शरीर में कहीं भी वायु रक्त के साथ मिलकर धमनी में जाम न होने पाये। ये पक्षाघात में यदि मां का ध्यान न रखा जाये तो मां के दूध से बच्चे के शरीर में इसके विषाणु जाने का खतरा बढ जाता है और बच्चे को ये पक्षाघात प्रारम्भ दशा से शुरूवात होकर आगे चलकर लकवा के रूप में आकर बच्चे को अपंग बना सकता है। ये सच है कि भारत में भोजन पर खोज सदैव होती रहती है और आगे भी होती रहेगी। आजकल ये पक्षाघात मस्तिष्क के पक्षाघात में बहुत अध्िाक देखा जा रहा है जिसका कारण मोबाइल में गेम खेलना तथा अत्यध्िाक टीवी देखना, कम्प्यूिट पर लगातार कार्य करने का मुख्य कारण बनता जा रहा है। मिर्गी के दौरे के बारे में अगर समझे तो ये मानव शरीर के मस्तिष्क की धमनी जाम होने के कारण होती है और ये शरीर के किसी भी हिस्से को जाम करके अपंग बना देती है अत: बच्चों को ज्यादा बाहर खेलने दे, ज्यादा पढने से भी ये रोग उत्पन्न होता है क्यों कि मस्तिष्क में जो कुछ जा रहा है उसे अनुमस्तिष्क तक जाना भी जरूरी है और वो ध्यान योग के माध्यम से होना सम्भव है आज की भाग दौड के जीवन में पूजा पद्वति का भी हम सबने जल्दी से जल्दी करने का प्रयास चालू कर रखा है और शान्ति से बैठ कर पूजा करना, ध्यान योग के माध्यम से भगवान को मनाना भूल से गये हैं और मिर्गी के दौरे के बारे में कहा जाता है कि ये हठीला रोग है अत: ध्यान योग के माध्यम से भावनात्मक तनाव को शान्त करना ही एक रास्ता है। यह रोग चोट लगने के कारण भी होता है।
चेहरे का पक्षाघात हर आयु वर्ग को हो सकता है, यह पक्षाघात प्रात: नहाने के पश्चात् अधिक देखा गया है इस दशा में आपको गर्म पानी से सेंक लेनी होगी क्योंकि ये पक्षाघात ठंड के कारण से होता है।
हाथ और पांव में पक्षाघात तो ठंडे पानी के कारण होना ही होता है, मानव शरीर का तापमान 37 डिग्री के लगभग बताया गया है और पानी आज हम पांच डिग्री का पीते हैं जिससे शरीर के पूरे रक्त को पेट पर जाकर शरीर के तापमान को बराबर करना पडता है जिसके कारण अन्य अंगों में पानी की कमी पड जाती है फिर आपको हांथ, पांव या अन्य स्थान पर पक्षाघात अर्थात् पैरालाइज कर जाता है अत: सलाह दी जाती है कि ठंडा पानी न पियें।
उपचार क्या होना चाहिए: उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रोल स्तर को नियंत्रित करके आप मिर्गी के खतरे से बच सकते हैं। गर्भावस्था के दौरान देशी गाय के दूध या पानी में देशी गाय का घी एक चम्मच माता को रात्रि के समय अवश्य पीना चाहिए। श्वॉसन, बाेलने, भाषा तथा पोषक आहार अवश्य लेना चाहिए। सोडियम और कार्बोहाइड्रेटस की मात्रा कम करके पोटैशियम की मात्रा अध्िाक लेनी चाहिए।
घरेलु तथा आयुर्वेदिक उपचार: सोने से पहले ब्रम्हीशांखपुष्पी 20 मिलीग्राम गुनगुने पानी के साथ लेनी चाहिए जिससे बिना अवरोध के पूरी नींद पूरी हो सके। देशी गाय का घी नाक में डालना चाहिए जिससे मस्तिष्क में तनाव सबसे पहले कम हो।
प्राणायाम : पर्वतासन, वीरासन, सिद्वासन, मंडूकासन प्रतिदिन करना चाहिए ये बात शायद हमारे पूर्वजों को पता थी इसीलिए उन्होंने नत्य में मुद्रा का उपयोग कराया था। वो सारे आसान करने चाहिए जिसमें मुद्रा बनती हैं।
सहायक उपचार: अश्वगन्धारिष्ठ, सास्वतारिष्ठ 10 एमएल
पथ्य: देशी गाय का दूध, दही, घी, छाछ हरी सब्जी तथा ध्यान पूजन अवश्य करें।
अपथ्य: मांस, गरिष्ठ भोजन, अण्डा, ज्यादा तला हुआ भोजन, भैंस का दूध, दही, छाछ
सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव
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