नई दिल्ली: ब्रिटेन में पढ़ाई कर रहे लोगों को भी कुछ सहूलियतें होंगी। मसलन, वहां एक साल की मास्टर्स डिग्री का चलन है, जिसे भारत में मान्यता नहीं मिलती। मोदी के इस दौरे के मौके पर इस मुद्दे पर भी चर्चा होगी। ब्रिटिश उच्चायुक्त डॉमिनिक एस्कि्वथ ने पिछले हफ्ते कहा था कि शैक्षणिक डिग्री को पारस्परिक मान्यता देने के मसले पर दोनों देशों के बीच बातचीत पहले से चल रही है। यदि इस मसले पर कोई करार होता है तो तकरीबन 14 हजार ऐसे भारतीय छात्रों को फायदा होगा, जो ब्रिटेन में मास्टर्स डिग्री के विभिन्न पाठ्यक्रमों के तहत पढ़ाई कर रहे हैं।
मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक ब्रिटेन से मास्टर्स डिग्री लेकर भारत आए छात्र यहां के विश्वविद्यालयों में पीएचडी का कोर्स नहीं कर सकते। फ्रांस के साथ भारत ने पहले ही इस तरह का करार कर लिया है। यह समझौता तब हुआ था, जब फ्रांस के राष्ट्रपति भारत के दौरे पर आए थे।
ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी दुनिया के टॉप विश्वविद्यालयों में शुमार हैं। हर साल तकरीबन 6 लाख भारतीय दुनिया के लगभग 90 देशों में पढ़ाई करने जाते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को ब्रिटेन पहुंचेंगे। इससे पहले दो दिन वे स्वीडन में रहेंगे। इससे पहले मोदी नवंबर, 2015 में ब्रिटेन के दौरे पर गए थे। मोदी का फोकस दौरे पर निकलने से पहले मोदी ने कहा था कि इस दौरान वे कुछ खास क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे। हेल्थकेयर, इनोवेशन, डिजिटाइजेशन, इलेक्टि्रक मोबिलिटी, स्वच्छ ऊर्जा और सायबर सिक्योरिटी इनमें शामिल हैं। इस दौरान मोदी दोनों देशों की कुछ ब़़डी कंपनियों के सीईओ से भी मुलाकात करेंगे।
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