देखिए कि लगभग ढाई सदी पहले शायर नजीर अकबराबादी ने होली के महत्व का किस तरह बखान किया है। उन्होंने होली महत्व कुछ इस तरह सामने रखा है: ‘जब फागुन रंग झमकते हों, तब देख बहारें होली की, और डफ से शोर खड़कते हों, तब देख बहारें होली की…।’ दरअसल हमारे देश में विभिन्न धर्मों के विभिन्न त्योहार सभी जन मिलकर मनाते रहे हैं। एक साझी संस्कृति सदियों से हमारी विरासत रही है। सभी धर्मों के लोग एक-दूसरे की भावनाओं को समझते रहे हैं। एक-दूसरे के सुख-दुख में साथ खड़े रहे हैं। वैचारिक उदारता ही तो हमारी निधि रही है। इसी से एक सहिष्णु समाज की नींव पड़ी है और एक आपसी समझदारी विकसित हुई है। हां, कई बार हमारे सामाजिक ताने-बाने को चोट पहुंचाने की कोशिशें जरूर की गईं। परंतु हर बार साबित हुआ है कि हमारा समाज मूल रूप से सहिष्णु है और समरसता का हिमायती है।
पेश हुई एक मिसाल
बहुत ही खास रही इस बार की होली। खास इस अर्थ में कि होली के आपसी भाईचारे और प्रेम के संदेश को हिंदुओं और मुस्लिमों, दोनों ने ही बखूबी आत्मसात किया। वे पर्याप्त सहिष्णु बने रहे और हर हाल में एक-दूसरे की भावनाओं का ख्याल रखा। कहीं से भी ऐसी कोई खबर नहीं आई कि त्योहार का मजा किरकिरा हो जाए। दरअसल शुक्रवार को दुलहैंडी (छरड़ी) पड़ी थी। दोपहर के जिस वक्त नमाजी जन मस्जिदों की ओर प्रस्थान करते हैं, वही वक्त रंग खेलने का भी होता है। ऐसे में प्रशासनिक अधिकारियों को चिंता थी कि कहीं जबरन रंग डालने का कोई मामला सामने न आ जाए और बेमतलब ही तनाव व्याप्त हो जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
पूरे देश में जितनी शालीनता से होली का त्योहार मना, उतनी ही शांति से जुमे की नमाज भी अता की गई। सामाजिक सौहार्द्र की जैसे एक मिसाल ही पेश हो गई। तमाम आशंकाएं बेबुनियाद साबित हुईं। तसल्ली हुई कि एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करनेवालों की कोई कमी नहीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपील ने भी शांतिपूर्ण माहौल बनाने में मदद की। उन्होंने अनुरोध किया था कि अगर कोई होली नहीं खेलना चाहता है, तो उस पर जबरन रंग न डाला जाए। उसकी भावनाओं की कद्र की जाए। सचमुच लोगों ने होली की मूल भावना को समझा और पूर्णत: शालीन व्यवहार किया। कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई। असल में होली का त्योहार जितना मस्तीभरा है, उतना ही परस्पर प्यार-मोहब्बत का परिचायक भी है। सदियों से यह त्योहार लोगों के भीतर प्रेम की भावनाएं भरता रहा है और सभी धर्मों के बीच लोकप्रिय रहा है।
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