नई दिल्ली: धार्मिक यात्रा करने का मन बना रहे हैं, तो आप चित्रकूट के दर्शन जा सकते हैं, यात्रा पर चलने से पहले ही आप स्वयं को इस बात पर मन बना लेना चाहिए कि पवन पुत्र अर्थात् हनुमान जी के दर्शन तो अवश्य ही होने वाले हैं क्यों कि जहां पर राम का वास हो वहां पर हनुमान जी न हो ये सम्भव नहीं है, अौर वानर किसी किसी अपने भक्ति की तलाशी भी ऐसे लेते है, जैसे किसी आपकी तलाशी किसी विशेष स्थान पर गार्ड लेते हैं और लेनी भी चाहिए क्यों चित्रकूट में कामगगिरि पर्वत को भगवान श्रीराम का प्रत्यक्ष शरीर माना जाता है, आधुनिक काल में श्रीराम काल के प्रत्यक्ष अवशेषों में चित्रकूट बहुत महत्वपूर्ण है, श्रीराम को ही कामतानाथ कहते हैं कामतानाथ का अर्थ कामनाओं को पूर्ण करने वाला, कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा लेटकर करते हुए नजर आते हैं, भक्तों को प्रसन्नता से कष्ट झेलते देखकर मन स्वत: मन श्रीराम की भक्ित में लीन हो जाता है, भक्त मनौती मांगते हैं तथा पूर्ण होने पर परिक्रमा करते हैं, इन भक्तों मेंं देश के ही नही अपितु विदेशों से भी भक्तों को देखा जा सकता है
परिक्रमा मार्ग पत्थरों से बनाया गया है जिससे यात्रियों को कष्ट न हो, मार्ग पर भरत मन्दिर में भरत का मिलन होता है, इस मन्दिर में बहुत ही भावुक दश्य देखने को मिलते हैं कामद गिरि में एक प्राकृतिक आंख बनी हुई है जो पूरी तरहमानव की आंख जैसी है, यह आंख जिसे पता है वो अवश्य ही दर्शन करने जाते हैं माना जाता है कि कामतानाथ जी ने प्रत्यक्ष दर्शन के लिए यह आंख प्रकट की थी, मानस में भी इसका वर्णन आता है नयनवंत रघुबरहि बिलोकी, पाइ जनम फल होहिं बिसोकी 2/38/1
चित्रकूट में ही आपको माता सीता की रसोई, यज्ञ वेदी अखाडा, राम शैया, हनुमान धारा, मंदाकिनी नदी तथा पास ही लगभग 15 किमी दूर गुप्त गोदावरी के भी आपको पुण्य लाभ मिलेगा, इस पूरे ही स्थान पर श्रीराम, माता सीता और लखन लाल के साथ रहने का वर्णन सभी क्षेत्रीय भाषा तथा रामायण में मिलता है, चलते चलते सति अनुसुईया के आश्रम के भी दर्शन कर सकते है जिनके लिये आज भी हमारे समाज में कहा जाता है कि सती अनूसुईया ने डाल दियो पालना, खेल रहे तीन देव बन करके लालना
सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव
Leave a Reply