नई दिल्ली(26 दिसंबर): मोदी सरकार के चौथे बजट में बड़े बदलाव हो सकते हैं। सरकार का ध्यान कॉर्पोरेट टैक्स और पर्सनल इनकम टैक्स पर होगा। सरकार नोटबंदी के बाद पस्त पड़ी इकॉनमी को इस तरह से ग्रोथ के रास्ते पर लाना चाहती है। बता दें अरुण जेटली अगले साल 1 फरवरी को बजट पेश करेंगे।
– जेटली ने कहा था कि मोदी सरकार कॉर्पोरेट टैक्स को घटाकर 25 प्रतिशत पर लाना चाहती है। सरकार अब डायरेक्ट टैक्स में बदलाव के जरिये इस लक्ष्य की तरफ बढ़ने की कोशिश करेगी।
– स्मॉल टैक्सपेयर्स को भी कई राहत दी जा सकती है। डिविडेंड टैक्स फ्रेमवर्क में भी बदलाव किए जा सकते हैं। सरकार इस टैक्स के लिए उन लोगों को जवाबदेह बनाना चाहती है, जिन्हें इनकम का बड़ा हिस्सा इससे हासिल हो रहा है। इस मामले में सरकार के अंदर चल रही चर्चा से वाकिफ एक बड़े अधिकारी ने बताया, ‘बजट में डायरेक्ट टैक्स पर फोकस होगा। अगले फाइनैंशल इयर से जीएसटी लागू किया जाना है। इसलिए बजट में इनडायरेक्ट टैक्स में करने लायक ज्यादा कुछ नहीं होगा। कस्टम ड्यूटी स्ट्रक्चर में कुछ बदलाव किए जा सकते हैं।
– टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि अधिक लोगों को टैक्स के दायरे में लाने के लिए सरकार सख्ती के साथ इंसेंटिव भी देने का रास्ता चुन सकती है। ईवाई में नैशनल टैक्स लीडर सुधीर कपाड़िया ने कहा, ‘इसका मतलब कॉर्पोरेट और पर्सनल इनकम टैक्स रेट में कटौती हो सकती है। इनकम डिसक्लोजर के नियम सख्त किए जा सकते हैं। मिनिमम इग्जेम्पशन लिमिट बढ़ाई जा सकती है और मिड लेवल में टैक्स स्लैब के रेट कम किए जा सकते हैं।’
– सरकार ने पिछले बजट में डिविडेंड से साल में 10 लाख रुपये से अधिक इनकम पाने वालों पर 10 प्रतिशथ का एक्स्ट्रा टैक्स लगाया था। इससे टैक्स के मामले में कुछ गैरबराबरी कम हुई है, लेकिन जो लोग सबसे ज्यादा कमाई वाले वर्ग में हैं, वे अब भी कम टैक्स देते हैं। डायरेक्ट टैक्स पर जिस प्रस्ताव पर काम हो रहा है, उसके मुताबिक तय सीमा से अधिक डिविडेंड मिलने पर उससे हासिल रकम को असेसी की कुल इनकम में जोड़कर मार्जिनल रेट के हिसाब से टैक्स वसूला जा सकता है। अभी टॉप ब्रैकिट में मार्जिनल रेट 30 प्रतिशत है। इस मामले में पीडब्ल्यूसी इंडिया में डायरेक्ट टैक्स के हेड राहुल गर्ग ने कहा कि सरकार को मौजूदा टैक्स सिस्टम को बनाए रखना चाहिए। उसे पहले देखना चाहिए कि पिछले सालों में जो बदलाव किए गए हैं, उनका क्या असर पड़ा है। उसके बाद ही नए बदलाव के बारे में सोचना चाहिए।
कॉर्पोरेट टैक्स
फाइनैंशल इयर 2016 के बजट में जेटली ने कहा था कि सरकार कॉर्पोरेट टैक्स को चार साल में घटाकर 25 प्रतिशत पर लाएगी। उन्होंने यह भी कहा था कि इसके साथ कॉर्पोरेट सेक्टर के इग्जेम्पशंस खत्म किए जाएंगे। पिछले साल इसकी शुरुआत हुई, जब 5 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनियों पर टैक्स रेट को 29 प्रतिशत कर दिया गया। वहीं, 1 मार्च 2016 के बाद बनने वाली मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को सरचार्ज के साथ 25 प्रतिशत टैक्स देने का ऑफर दिया गया है। नोटबंदी से सबसे अधिक चोट स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज को पहुंची है। इसलिए बजट में टैक्स कट का सबसे ज्यादा फायदा इसी सेगमेंट को मिल सकता है।
पर्सनल इनकम टैक्स
इनकम टैक्स देने वालों को सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। नोटबंदी के चलते सैलरीड क्लास को काफी दिक्कत हो रही है। बिजनस पर पड़े बुरे असर के चलते अगले साल उनका इन्क्रीमेंट कम रहने वाला है। सैलरी क्लास को नौकरी जाने का डर भी सता रहा है। पर्सनल इनकम टैक्स रेट में बदलाव नहीं होगा, लेकिन टैक्स इग्जेम्पशन लिमिट में खासी बढ़ोतरी की जा सकती है। अभी यह 2.5 लाख रुपये है यानी साल में इतनी इनकम पर टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है। अभी 10 लाख रुपये से अधिक सालाना इनकम पर 30 प्रतिशत का टैक्स लगता है, जो ऊंचा रेट है। कपाड़िया का यह भी कहना है कि हाई वैल्यू कैश विदड्रॉल की जानकारी इनकम टैक्स अथॉरिटीज को देना जरूरी किया जा सकता है। साथ ही कैश डिपॉजिट के मौजूदा रूल्स जारी रखा जा सकता है और नोटबंदी में कैश डिपॉजिट करते वक्त गलत जानकारी देने पर सख्ती की जा सकती है।
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