त्रिपुरा: त्रिपुरा चुनाव के नतीजे आए हुए 24 घंटे हो चुके हैं। राज्य में पहली बार कमल खिला है। यहां भाजपा का आदिवासी पार्टी इंडीजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा के साथ गठबंधन है, जो राज्य में अगला आदिवासी मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रही है। यह मांग तब आई है जब राज्य प्रभारी बिप्लब देब खुद को राज्य का मुख्यमंत्री बनने की जिम्मेदारी उठाने के लिए तैयार बता रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी और हजारों समर्थकों के साथ अपने विधानसभा क्षेत्र बनामालीपुर में जीत के बाद रोड शो भी किया था।
आईपीएफटी के अध्यक्ष एनसी देबबर्मा ने अपनी सहयोगी पार्टी की जानकारी के बिना प्रेस क्लब में एक बैठक की और आदिवासी सीएम बनाने की मांग की। देबबर्मा ने कहा- चुनाव के नतीजों में भाजपा और आईपीएफटी गठबंधन को भारी बहुमत मिला है लेकिन यह आदिवासी वोटों के बिना संभव नहीं हो पाता। हम आरक्षित एसटी विधानसभा क्षेत्रों में जीत की वजह से ही यह चुनाव जीत पाए हैं। आदिवासी वोटों की भावना को ध्यान में रखते हुए, यह उचित होगा कि सदन का मुखिया एसटी क्षेत्र के ही किसी विधायक को बनाया जाए। स्वाभाविक है कि जो विधानसभा का नेता होगा, वही मुख्यमंत्री होगा।
जब आईपीएफटी के नेता से बिप्लब देब के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं बिप्लब को लेकर किसी तरह की टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। उन्होंने कहा कि वह इस बात का संकेत नहीं दे रहे हैं कि किस आदिवासी नेता को सीएम बनाया जाए क्योंकि इसका फैसला बातचीत के बाद होगा। भाजपा के त्रिपुरा प्रभारी सुनील देवधर ने बताया कि उन्हें देबबर्मा के बयान की जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना विचार सामने रखा है। हम सोमवार सुबह आईपीएफटी नेताओं से मुलाकात करेंगे और इसके बाद ही इस मामले पर कुछ बोला सकता है।
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