नई दिल्ली, भयंकर जंगल के बीच अनुपम देन है गुप्त गोदावरी, इस स्थल का वर्णन वाल्मीकि रामायण और तुलसी दास लिखित श्रीराम चरित मानस में भी है, कहते हैं श्रीराम, लखन लाल और माता सीता ने वनवास काल में यहां पर निवास किया था, ये स्थान चित्रकूट से 12 से 15 किलोमीटर दूर हिंसक पशुओं से भरे भयंकर वन में यह बहुत ही रमणीक तथा पावन स्थल है, सुन्दर उपहार स्वरूप दिया गया ये स्थल बहुत लम्बी अंधेरी संकरी गुफा, मां गोदावरी का शीतल निर्मल जल कल कल की ध्वनि से मन मोह लेता है, जहां यात्री पहुंच कर अपनी सारी थकान को भूल जाता है और सिर्फ मोहक द़श्य ही याद रह जाता है, वहीं संकरी गुफा से सर टकराने का भी भय बना रहता है, काफी अन्दर जाने पर मां गोदावरी का एक छोटा सा मन्दिर है यहां पर एक रहस्य यह है कि मां गोदावरी का जल प्रवाह आपके देखते ही देखते लुप्त हो जाता है, इसलिए इसे गुप्त गोदावरी के नाम से जाना जाता है, कहते हैं कि गंगा माता ने श्रीराम के साथ चलने के अनुराेध किया तो श्रीराम ने उनके भक्तों पर संकट न आ जाये इसलिए उन्हें मना किया तो माता ने गुप्त मार्ग से आने को कहा था,
यहीं एक लोककथा भी प्रचलित है कि माता सीता स्नान करने गयी तब मयक राक्षस ने माता सीता के आभूषण चोरी कर लिये परन्तु प्रहरी की भांति लखन लाल की आंखो से बच पाना मुश्िकल था लखन लाल ने उसे एक ही बाण में पहाड की खोह से उसे उल्टा टांग दिया, तब मयंक राक्षस बहुत पछताया और श्रीराम से निवेदन करने लगा कि ऐसे तो मैं भूखा मर जाउॅगा, श्रीराम ने उसे कलियुग में जब गुप्त गोदावरी की पूजा होगी तब पूजा का प्रसाद तुम्हे भी मिलेगा आज श्रीराम के आदेश अनुसार वहां पर भी कुछ भाग मयंक राक्षस के नाम चढाया जाता है आज उसे खटखटा चोर के नाम से जाना जाता है तथा पहाडी की एक खोह में राक्षस की मुखाकति का एक पत्थर टंगा हुआ है माना जाता है कि यही मयंक राक्षस है, अंधेरे में कुछ दिखायी नहीं देता तो वहां के पुजारी एक लम्बे बांस से यात्री को इसका आभास कराते है इसीलिए आज उसका नाम खटखटा चोर पड गया है
सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव
9871048094
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