नई दिल्ली, जब बच्चोें की गर्मी की छुटटी चल रही है तब बच्चों का जगह जगह शिविर का आयोजन किया जा रहा है, ऐसे ही एक हरियाणा के समाजिक कार्यकर्त्ता राजपाल भारत जी बच्चों को शिविर के दौरान स्वास्थ्य रहने के कुछ घरेलू उपाय बता रहे है, उसी शिविर के दौरान राजपाल भारत जी से मिलने का सौभग्य मिला तो कुछ उपाय आप तक भी पहुंचाने का सौभाग्य मुझे भी मिलता है। आज जब जीका नामक वायरस का प्रकोप पर हल्ला मचा है तब पेट की समस्या से लगभग 85 प्रतिशत रोग उत्पन्न होते है, पेट में गुर्दा में दो विषाणु कैएटिनिन तथा यूरिया जो मूत्र के रास्ते बाहर जाने चाहिए वो जब रूक जाते हैं तो कई रोगो को जन्म देते हैं।
103 प्रकार के रोग तो केवल भोजन के पश्चात् पानी पीने से होते हैं, गरिष्ठ भोजन अर्थात् मांसहार करने से लगभग 108 प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं, चाय यदि चीनी और चाय की पत्ती डालकर काढा बनाकर पीते हैं, तो किडनी में उत्पन्न दो विष वहीं पर रूकते है और वी.पी. और डायबिटिज जैसे रोग उत्पन्न हो जाते हैै, मैदा से बने उत्पाद, 15 दिन से पुराना गेंहू का आटा, 7 दिन से पुराना ज्वारे तथा मक्के का आटा यदि खाया जाता है तो पेट में कब्जियत पैदा होती है, एल्युमिनियम के बर्तन में भोजन बनाकर खाने से 48 प्रकार के रोग उत्पन्न होते है। यदि आप ज्यादा समय तक आगे की ओर झुक कर पढते है, मोबाईल पर या कम्प्यूिटर पर गेम खेलते है तो आंखे तो कमजोर होती ही हैं साथ ही फेफडो में पानी भरने की शिकायत भी उत्पन्न हो सकती हैं। अपने शरीर के तापमान से 4 डिग्री नीचे का पानी पीना ही स्वास्थ दायक होता है, इससे नीचे तापमान का पानी पीने से पेट में कब्जियत उत्पन्न होती है और फिर वही कब्जियत सारे रोगों की जननी कही जाती है। इसी प्रकार आप सब बच्चों को ये कहना आवश्यक है कि मैंगी, गुटखा, शाराब, मॉस, सिगरेट, पिज्जा, बर्गर, पेप्सी, कोका कोला पीने से आंतो को नुकसान पहुुंचता है, और यदि शरीर की आंत खराब हो जाती है तो आप समझ लो फिर स्वस्थ्य रहने के लिए बडी बडी सूई लगवानी पडती है।
सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव
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