नई दिल्ली,श्रीराम सांस्कृतिक शोध संस्थान न्यास द्वारा सम्पूर्ण भारत में भ्रमण के पश्चात् श्रीराम वन गमन यात्रा पर विशेष टिप्पणी करते हुए डा. राम अवतार शर्मा जी का कहना है कि जहां तुलसी दास जी द्वारा लिखित श्री राम चरित मानस से भक्ति सागर मेें डुबा जाने का मन करता है वहीं तमिल की कम्ब रामायण राजनीति और सामाजिक कार्य को सिखाती है तो वाल्मीकि रामायण उस समय के समाज को एकग्रित तथा श्रीराम के मार्ग का वर्णन कर सचित्र दर्शन कराती है, वाल्मीकि रामायण में अन्य भी कई तथ्य छिपे हुए हैं जिनको समझने और जानने की आज बहुत आवश्यकता है श्रीराम के समस्त वन गमन मार्ग सहित, जीवन के उन मूल्यों को भी बताती है जो आज समाज में कहीं विलुप्त हो गये हैं। आज समाज अलग जो पडा हुआ नजर आ रहा है उसे अगर एक सूत्र में पिरोने का कार्य करने वाले संगठन वाल्मीकि रामायण का सहारा लें तो शायद उनको सारे उन प्रश्नों के उत्तर भी मिल सकते हैं जो उन्हें अनसूलझे से लगते हैं इस बात पर विश्वास करने वाला वर्ग आज भ्रमित है और सबसे ज्यादा कुतर्क करता हुआ उसे नकार देता है नकारने के स्थान पर अगर वो स्वयं इन तथ्यों पर कुछ शोध कार्य चालू करें, तो न सिर्फ समाज को एक नया आईना दिखा सकेगा बल्िक आज कलयुग के दौर में जो भी कुछ गलत दिख रहा है वो सब कार्य श्रीराम की दया से पूर्ण हो जायेगा।
कलयुग का वर्णन वैसे तो श्रीराम चरित मानस में भी है जिस पर आज की भावी पीढी को ध्यान देने की आवश्यकता है क्यों कि भारत वो देश है जहां पर हर व्यक्ति मोझ का मार्ग चाहता है और यदि आप धर्म के मार्ग से ही भटक जाओगे तो फिर कैसे मोझ के मार्ग पर जा सकते हो, प्रयास यही मनुष्य का होना चाहिए कि अपने धर्म को दोनों हाथों से पकड कर बिना किसी स्वार्थ के सच्चे मार्ग पर चलने का नाम ही कलयुग में मोझ पाना हो सकता है अन्यथा ये कलयुग किसी को भी माेझ के मार्ग पर चलने ही नहीं देता।
सुनील शुक्ल
उपसंपादक: सत्यम् लाइव