सुप्रीम कोर्ट का स्टे देने से इंकार, सभी पार्टियों से मांगा जवाब

Suprim Coart

दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट से जुड़े दिए अपने फैसले में बदलाव से साफ इंकार कर दिया है। शीर्ष कोर्ट ने कहा है कि उसने एससी- एसटीएक्ट के प्रावधानों को छुआ भी नहीं है, सिर्फ तुरंत गिरफ्तार करने की पुलिस की शक्तियों पर लगाम लगायी है। इस मामले में केस दर्ज करने, मुआवजा देने के प्रावधान बिल्कुल बेअसर हैं। समीक्षा याचिका पर दस दिन बाद खुले कोर्ट में आगे सुनवाई होगी। कोर्ट ने दो दिनों से अंदर सभी पार्टियों से इस मसले पर जवाब मांगा है।

कोर्ट ने कहा है कि गिरफ्तार करने की शक्ति सीआरपीसी से आती है एससी-एसटी कानून से नहीं, हमने सिर्फ इस प्रक्रियात्मक कानून की व्याख्या की है, एससी एस्टी एक्ट की नहीं। कोर्ट ने कहा हम हंगामा नहीं चाहते। कोर्ट ने केंद्र सरकार का 20 मार्च के फैसले पर रोक लगाने से साफ मना कर दिया। एक्ट में बदलाव के विरोध पर 2 अप्रैल को हुए भारत बंद पर कोर्ट ने कहा, बाहर क्या हो रहा है हमे इससे मतलब नहीं हम सिर्फ कानून का पक्ष देखेंगे।

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने कहा है कि वह इस ऐक्ट के खिलाफ नहीं है, लेकिन निर्दोषों को सजा नहीं मिलनी चाहिए। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों पर तंज कसते हुए कहा है कि जो लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं उन्होंने हमारा जजमेंट पढ़ा भी नहीं है। हमें उन निर्दोष लोगों की चिंता है जो जेलों में बंद हैं।

आपको बता दें कि एससी-एसटी ऐक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के संदर्भ में केंद्र सरकार ने सोमवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। सरकार ने इस फैसले के खिलाफ आयोजित भारत बंद में हुई हिंसा का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से स्टे की दरख्वास्त की थी।

जस्टिस एके गोयल और जस्टिस यूयू ललित की बेंच रिव्यू पिटिशन की सुनवाई कर रही है। आपको बता दें कि एससी-एसटी एक्ट में बदलाव के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विरोध में दलित संगठनों ने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया था। भारत बंद के दौरान दलित आंदोलन हिंसक हो गया और अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है।

अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि अभी की परिस्थिति काफी मुश्किल है, ये एक तरह के इमरजेंसी हालात हैं। 10 लोग अभी तक मर चुके हैं, हज़ारों-करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हो गया है। इसलिए केंद्र सरकार की ये अपील है कि इस मामले की सुनवाई जल्द से जल्द होनी चाहिए।

कल सरकार ने दी थी याचिका

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याचिका दाखिल करने की जानकारी केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दी थी। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि सरकार कोर्ट के इस फैसले से समहत नहीं है। उस दौरान उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार और एनडीए सरकार दलितों के समर्थन में है। कांग्रेस पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस सरकार से सवाल कर रही है और हल्‍ला बोल रही है। कांग्रेस ने डॉ. भीम राव अंबेडकर के मरने के इतने साल बाद भारत रत्‍न दिया। उन्‍होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर की 1956 में मृत्‍यु हो गई थी लेकिन वी पी सिंह की सरकार ने उन्‍हें 1989 में भारत रत्‍न दिया।

रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सबसे अधिक दलित विधायक और सांसद भाजपा के हैं। देश के प्रतिष्ठित नेता को राष्‍ट्रपति भी भाजपा की मोदी सरकार ने ही बनाया है।

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी ऐक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी। जबकि मूल कानून में अग्रिम जमानत की व्यवस्था नहीं की गई है। वहीं दर्ज मामले में गिरफ्तारी से पहले डिप्टी एसपी या उससे ऊपर के रैंक का अधिकारी आरोपों की जांच करेगा और फिर कार्रवाई होगी।

कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों और नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया था। आपको बता दें कि इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, थावरचंद गहलोत सहित कई सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की थी।

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