दिल्ली: चार साल पहले इराक के मोसुल से अगवा किये गए। 39 भारतीय नागरिकों को आतंकी संगठन आईएसआईएस ने मार दिया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में इसकी पुष्टि की। 2014 में भारत से मोसुल में काम करने गए मजदूरों को आतंकियों ने किडनैप कर लिया था। जब उन्होंने भागने की कोशिश की तो आतंकियों ने उन्हें घेरकर मार दिया था। सुषमा ने सदन में जून 2015 में किडनैप होने की बात कही। मोसुल की आजादी के बाद मजदूरों के बारे में जानकारी जुटाने के लिए जनरल वीके सिंह इराक गए थे। किडनैप किए गए 40 भारतीयों में से एक हरजीत मसीह आतंकियों के चंगुल से बच निकला था। मसीह ने कहा था कि उसने बाकी भारतीयों को अपनी आंखों के सामने मरते देखा था।
राज्यसभा में क्या बोलीं सुषमा
- सुषमा ने कहा, “एक बहुत महत्वपूर्ण सूचना सदन को बताना चाहती हूं। जून 2015 में इराक में हमारे 39 भारतीयों को आईएसआईएस ने बंधक बना लिया गया था।”
- “पिछली बार सदन में 27 जुलाई 2017 में चर्चा हुई थी। बाजवा जी ने शून्यकाल में ये विषय उठाया था। अगले दिन (28 जुलाई) में सदन में जवाब देने आई थी।”
- “तब मैंने कहा था कि जब तक मेरे पास कोई सबूत नहीं होगा, तब तक उन्हें मृत घोषित नहीं करूंगी। बिना सबूत को किसी को मर गया कह देना पाप है और सरकार के लिए गैर-जिम्मेदाराना है। इसलिए न तो मैं गैर-जिम्मेदाराना काम करूंगी और न ही पाप करूंगी। लेकिन जिस भी दिन एक भी सबूत मिल गया, पक्का सबूत मिल गया और संसद का सत्र चल रहा होगा तो चेयर से अनुमति मांगकर कार्यवाही रुकवाकर सदन में जानकारी दूंगी। और अगर सत्र नहीं चल रहा होगा तो 10 मिनट के अंदर ट्विटर पर देश को जानकारी दूंगी।”
- “आज मैं वही वचनपूर्ति करने के लिए आई हूं। आज मेरे पास दोनों बातों के पक्के सबूत है। पहला- हरजीत मसीह की कहानी सच्ची नहीं थी। दूसरा- भारी मन से कह रही हूं कि वो लोग मार दिए गए हैं।”
- सुषमा स्वराज ने बताया, “मोसुल में लापता 39 लोग मारे गए। हरजीत ने मुझसे बात की थी। वो पंजाबी में बात कर रहा था। उसने बताया था कि आतंकियों ने सभी भारतीयों को सामने खड़े करके गोली मार दी। किसी को सिर में लगी तो किसी को सीने में। उसने खुद को पैर में गोली लगने की बात बताई।”
सुषमा ने केटरर का दिया हवाला
- “एक केटरर ने बताया था कि सबको टेक्सटाइल फैक्ट्री में ले गए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशियों और भारतीयों को अलग रखा जाए। केटरर ने बताया कि हरजीत को बांग्लादेश का अली बताकर बाहर निकाल दिया।”
- “इससे पहले जब मैं सदन में मामले के बारे बोली थी, तब इराक के विदेश मंत्री भारत में ही थे।”
- “इराक में जब वीके सिंह समेत भारतीय अफसर लोगों को ढूंढ रहे थे, तो उन्होंने वहां डीप पेनीट्रेशन रडार की मांग की। उन्हें जमीन के अंदर लोगों के दबे होने की बात बता लगी।”
- “भारतीयों के हत्या के सबूत मिले। पहाड़ खुदवाकर शवों को निकलवाया गया। लोगों के कड़े मिले।”
- “डीएनए टेस्ट में सबसे पहले संदीप नाम के लड़के का पता चला। कल 38 अन्य लोगों के डीएनए मैच होने के पता चला। एक लड़के के डीएनए इसलिए मैच नहीं हो पाया क्योंकि उसके माता-पिता नहीं थे।”
- “मैं विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह का शुक्रिया अदा चाहती हूं कि जिन्होंने काफी धैर्यपूर्वक इस अभियान को पूरा किया। वे बदूश गए। मुश्किल हालात में रहे, जमीन पर सोए। फिर बॉडी को बगदाद लेकर आए।”
कैसे लापता हुए थे 39 भारतीय
- इराक में लापता हुए भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के रहने वाले थे। ये सभी मोसुल और इसके करीबी शहरों में मजदूरी के लिए गए थे।
- 2015 में इन्हें आईएस ने किडनैप किया था। आरोप है कि इन्हें मोसुल के किसी गांव की जेल में रखा गया और वहां उनसे मजदूरी कराई गई। इसके बाद से इन भारतीयों के बारे में कभी कुछ पुख्ता तौर पर सामने नहीं आया।