नई दिल्ली: आप साल भर में कितनी बार यात्रा पर निकलते हैं, एक, दो या फिर तीन से चार बार? यदि आप पूरे साल दो से तीन बार भी घूमने जाने के लिए समय निकालते हैं, तो यह आपकी सेहत पर सकारात्मक असर डालता है। फ्रैमिंघम हार्ट स्टडी में हुए एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग अधिक यात्रा करते हैं, उनमें हार्ट अटैक या अन्य बीमारियों के होने की संभावना बहुत कम होती है। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स, दिल्ली की सीनियर क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. भावना बर्मी कहती हैं कि घूमना-फिरना मानसिक सुकून और शांति पाने का सबसे बेहतर जरिया है। यदि आप कहीं भी घूमने नहीं जाते, तो एक बार निकल पड़िए यात्रा पर, आप पहले से ज्यादा बेहतर महसूस करेंगे।
इम्यून सिस्टम होता है बूस्ट
जब आप यात्रा पर होते हैं, तो एक नए और अलग वातावरण व माहौल के संपर्क में आते हैं। इससे मजबूत एंटीबॉडीज का निर्माण होता है। इससे इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है। मन खुश रहता है और नकारात्मक विचार मन में नहीं आते हैं।
दो-तीन बार जाएं घूमने
एक अध्ययन के अनुसार, 35 से 50 वर्ष की उम्र वाले लोगों को प्रत्येक वर्ष कम से कम दो बार तीन से चार दिन के लिए घूमने जरूर जाना चाहिए। इससे शारीरिक और मानसिक रूप से लाभ होता है। यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग के माइंड बॉडी सेंटर में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, हरी-भरी वादियों, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों में घूमने जाने से तनाव दूर होता है।
रक्त चाप और वजन होता है कम
यात्रा करने से आपको रोजमर्रा के कार्यों, ऑफिस के तनाव, भागदौड़ भरी जिंदगी से बाहर निकलने का मौका मिलता है। इससे सुकून भरी जिंदगी में रिलैक्स होकर कुछ दिन जीते हैं, जिससे दिमाग और मूड अच्छा होता है। किसी हिल स्टेशन में जब आप घूमने जाते हैं, तो इससे रक्त दबाव एवं मोटापा तो कम होता ही है, साथ ही हड्डियां भी मजबूत होती हैं। घूमने-फिरने से सोचने-समझने के नजरिए में बदलाव आता है।
दिमाग होता है सक्रिय
जब आप नए लोगों से मिलते हैं, उनसे बातें करते हैं, नई परिस्थितियों के साथ सामंजस्य स्थापित करते हैं, नई सभ्यताओं को जानते हैं, तो इससे कॉग्निटिव फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ती है, जिससे दिमाग तेज और सक्रिय होता है। साथ ही घूमने-फिरने से आप फिट रहते हैं। मांसपेशियां मजबूत होती हैं। ऊर्जावान महसूस करते हैं।
काम करने में लगता है मन
मस्तिष्क में मौजूद न्यूरल पाथवेज वातावरण और नई जगहों को देखने से प्रभावित होता है। इससे दिमाग की रचनात्मक क्षमता और सक्रियता बढ़ती है। वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह साबित हुआ है कि यात्रा से खुशियां बढ़ती हैं। छुट्टियों से लौटने के बाद आप खुद को आराम, कम चिंतित और बेहतर मूड की स्थिति में पाते हैं। हफ्तों ऐसी स्थिति बनी रहती है, जिससे काम करने में मन लगता है।
सोच होती है सकारात्मक
जिन लोगों की सोच जिंदगी के प्रति नकारात्मक हो चुकी है, उन्हें जरूर यात्रा पर निकलना चाहिए। घूमने से आपकी सोच बदलेगी। देश-दुनिया को आप अधिक सकारात्मक तरीके से देख पाएंगे। एक अध्ययन के अनुसार, यात्रा का रचनात्मकता, सांस्कृतिक जागरूकता और व्यक्तिगत विकास से गहरा जुड़ाव होता है।
उम्र बढ़ती है
डॉ. भावना बर्मी कहती हैं कि जो लोग यात्रा करते हैं, वे बहिर्मुखी और भावनात्मक रूप से अधिक मजबूत होते हैं। प्रकृति, झील-झरनों, बर्फीली वादियों और धार्मिक स्थलों की आबो-हवा में कुछ खास हीलिंग प्रॉपर्टीज होती हैं, जो त्वचा के लिए सेहतमंद होती हैं। दर्द दूर होता है और उम्र बढ़ती है।
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