दिल्ली: पिछले चार वर्षों से अपनी आंतें एक पालिथिन बैग में लेकर घूमने को मजबूर सीआरपीएफ के एक जवान पर मीडिया में आई रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है। साथ इस मामले में चार हफ्ते में जवाब मांगा है।
यह जवान इलाज के लिए दर-दर की ठोकरें खाता रहा। उसने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के भी कई चक्कर लगाए लेकिन उसे मदद नहीं मिली। वह 2014 में छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों के हमले में घायल हुआ था। आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।
एम्स के निदेशक को भी पीड़ित जवान के इलाज की स्थिति पर जवाब देने को कहा है। रिपोर्ट के अनुसार मनोज तोमर नाम का यह जवान पिछले 16 वर्षों से सीआरपीएफ में तैनात है। वह एसपीजी का कमांडो भी रह चुका है। वर्ष 2014 में नक्सली हमले में घायल होने के बाद उसकी एक आंख की रोशनी चली गई और वह पूरी तरह ठीक नहीं हो पाया, क्योंकि उसकी आंतों का एक हिस्सा पेट से बाहर है।
उसके बाद से वह अपनी आंतें पॉलिथिन बैग में लेकर घूम रहा है। आयोग ने कहा कि यदि मीडिया रिपोर्ट सही हैं, तो यह गरिमापूर्ण जीवन और मेडिकल देखभाल के उसके अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है।
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