40-45 करोड़ पर जीविका का संकट …. मार्कंडेय काटजू

Justice Markandey Katju is former Judge, Supreme Court of India and former Chairman, Press Council of India.

सत्‍यम्र् लाइव, 23 अप्रैल 2020, दिल्‍ली।। वैसे तो मार्कंंडेय काटजू को किसी परिचय का परिचय बताने के लिये शब्‍द कम पड जायेगें। फिर भी मार्कंंडेय काटजू प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन रह चुकेे हैं। भारत के सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं इलाहाबाद से वकालत प्रारम्‍भ करने के बाद इलाहाबाद हाइकोर्ट, मद्रास हाइकोर्ट तथा दिल्‍ली हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। इस समय कैलिफोर्निया अमेरिका में निवास कर रहे हैं। मार्कंंडेय काटजू जी का कथन है कि कोरोना लॉकडाउन पर लिया गया निर्णय जल्‍दबाजी का निर्णय साबित हुआ है इसे सरकार को अतिशीघ्र समाप्‍त कर देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि लॉकडाउन के बिना हजारों भारतीयों की मौत हो सकती है परन्‍तु भुखमरी से लाखों लोग मरे तो ये निर्णय उचित नहीं लगता है। ये निर्णय विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन ने बडा उपाय माना है परन्‍तु हमारी परिस्थि‍तयॉ क्‍या है? ये देखना उचित होगा। मार्कंंडेय काटजू जी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से 40-45 करोड लोग बुरी तरह से प्रभावित हो सकते हैं जो असंगठित क्षेत्र में काम करते हैं और जो लोग दिहाडी मजदूर है अपने घर से दूर प्रवास करके कहीं रोजनदारी करके या नौकरी करके अपना जीवन काट रहे हैं उनके बारे में सोचे बिना जल्‍दबाजी में लिया हुआ फैसला है ये। 24 मार्च की शाम को देशव्‍यापी लॉकडाउन करने के लिये पहले इसकी समीक्षा कर लेनी चाहिए थी। उन्‍होंनेे कहा कि मेरा मानना है ये जल्‍दबाजी में लिया गया फैसला है। इस अतिशीघ्र विचार करना चाहिए।

82 करोड़ को भोजन नही मिला

आंकड़ों का वर्णन करते हुए जस्टिस काटजू ने बताने की कोशिश की है कि 2017 में 96 लाख लोग दुनियाभर में कैंसर से मर गए इसमे भारतीय बड़ी संख्या में शामिल थे। जस्टिस काटजू ने कहा कि 2018 में दुनियाभर में 82 करोड़ लोग भूखे सोए, इसमे अधिकांश लोग भारतीय थे। भारत में 5 वर्ष से कम उम्र के 48 फीसदी बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। लिहाजा हम अनुमान लगा सकते हैं कि भारत में भुखमरी से मौत का क्या आंकड़ा हो सकता है ? उस पर भी जल्‍दबाजी मेें फैसला करना उचित नहीं होगा।

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सरकार लॉकडाउन खत्म करे

लॉकडाउन के दुष्परिणाम के बारे में जस्टिस काटजू ने कहा कि लॉकडाउन से जीविका पर संकट मंडरा रहा है। परिणास्वरूप भूखमरी बड जायेगी, साथ ही कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। उन्होंने कहा कि पालघर में जो घटना हुई, उसे फिर से दोहराया जा सकता है। सम्‍पूर्ण देश में लोग कई मुश्किलो का सामना कर रहे हैं और दूूूूूसरे राज्यों में लॉकडाउन की वजह से फंसे हुए हैं। जस्टिस काटजू ने कहा कि सरकार को अपनी गलती मानकर लॉकडाउन को खत्म कर देना चाहिए, अन्यथा स्थित काफी गंभीर हो सकती है हलॉकि इस ट्वीट को कई लोगों ने मजाक में लिया है परन्‍तु सारे आकडे जो चेक किये जाये तो यही लगता है कि बात को गम्‍भीरता पूर्वक विचार करने योग्‍य है।

उपसम्‍पादक सुनील शुक्‍ल

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