भारतीय वैज्ञानिक राजीव दीक्षित जी का कथन है कि ‘‘आप स्वयं को जान लो और भोजन को पहचान लो।’’
सत्यम् लाइव, 12 अप्रैल 2020, दिल्ली।। आज कोरोना का नाम लेते ही व्यक्ति सहम सा जाता है और सिर्फ इतना ही सोचता है कि सब जल्दी ही ठीक हो जाये और ये वायरस चला जाये। नोवेल कोरोना से पहले मैनें आपके समझ सौर कोरोना के बारे पूरी बात प्रमाण के साथ प्रस्तुत की थी अब बारी है आज के विज्ञान के साथ नोवेल कोरोना की व्याख्या करने की। इसके लिये डाॅ. एस. बालक (रामकृष्ण महाविद्यालय पीएचडी) से अनुरोध कर कुछ जानना चाहा उनके अनुसार जो अब तक समझ में आया। डाॅ. साहब के शब्दों को कुछ अपने शब्दों में लिखने का प्रयास करूॅगा और हम सब मिलकर आज शरीर के अन्दर बनने वाले झिल्ली की लघु कोशिकाओं को समझने का प्रयास करेगें। इससे पहले कई देशो का कोरोना में दिये गये आंकडे को देखते हैं किसी भी देश का क्षेत्रफल तथा जनसंख्या देख लेना अब कोई कठिन काम तो नहीं रह गया।
तत्काल ही विकीपीडिया पर जाकर नोवेल कोरोना के मरीज की जानकारी ले सकते हैं
https://en.wikipedia.org/wiki/Template:2019%E2%80%9320_coronavirus_pandemic_data
डॉ. एस बालक कहते हैं कि डर से भी इम्यूनिटी कम होती है। वायरल इनफेक्शन का एक मात्र दवा आपके शरीर में उपलब्ध है वो है इम्यूनिटी। यदि आप अपनी इम्यूनिटी को रखिये कोई भी वायरस आपको कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। डॉ. साहब कहते हैं RT-PCR टेस्ट का नोवेल कोरोना से सम्बन्धित किट तैयार है और इस RT-PCR टेस्ट किट की विशेषता ये है कि ये 7 मिनट में परिणाम बता देती है और भारत में मरीजों की संख्या बढ रही है तो उसका एक मात्र कारण है RT-PCR टेस्ट किट। टेस्ट बन्द कर दो मरीजों की संख्या स्वयं कम हो जायेगी। स्पेन ने आरोप लगाया है कि जितनी भी किट हैं उसमेंं accuracy level मात्र 30% और 70% उन लोगों पॉजिटिव बता रही है है जिसको कोराना नहीं है। वह अन्य बीमारियों से जूझ रहा है चूंकि भारत में कोई भी Health Advisory काॅमेटी नहीं है तो इसलिये भारत सरकार WHO पर ऑखें बन्द करके विश्वास करना पडता है।

डाॅ. साहब की इस बात से मैं सहमत हूॅ क्योंकि WHO जो कुछ भी कहेता है वो सब यूरोप की मानसून के हिसाब से राय देता है और यूरोप का तापमान का -40 से 20 डिग्री सेल्सियस तक रहता है और भारत का तापमान आप जहाॅ पर निवास करते हो देख सकते हो। डाॅ. एस. बालक जी ने शरीर के वर्णन में कहा कि हमारे शरीर में किसी भी प्रकार के वायरल इन्फेक्शन आने पर या किसी भी प्रकार की अन्य बीमारी आने पर Exosomes नामक द्रव्य बनने लगता है ये एक्सोसोम झिल्ली से बंधा होता है इन्हें एक्स्ट्रा सेल्यूलर वेसिकल्स भी कहते हैं। डाॅ. साहब के अनुसार संरचना काफी कुछ कोविड-19 से मिलती है। Exosomes फेफड़े के अगल-बगल ज्यादा रहता है यही RT-PCR टेस्ट किट में आ जाता है तब रिपोर्ट पाॅजटिव आ जाती हैं इससे दो बाते सिद्ध होती हैं पहली बात डाॅ. विश्वरूप राय चौधरी की वीडियो जो सोशल मीडिया पर वायरल हुई हैं उसमें उन्होंने बताया है कि ये ‘‘सामान्य बीमारी है ये उतनी ही खतरनाक है जितना जुकाम‘‘। दूसरी बात डाॅ. एस. बालक कहते हैं कि ‘‘अमेरिका मेडिसीन कार्डियोलाॅजी जर्नल में एक लेख के अनुसार मलेरिया की लेने पर हार्ट अटैक की सम्भावना 30 प्रतिशत बढ जाती है। जब से ट्रम्प ने एलान किया है तब से Hydroxychloroquine भारत में आउट ऑफ स्टाॅक हो गयी है और उसे डाॅ. भी खाकर, अपनी जान गवां रहे हैं साथ ही मरीज पर तो ऐसा परीक्षण किया जा रहा है कि भगवान जाने क्या होगा? और भारतीय मीडिया को भी दोषी ठहराते हुए कहा कि न जाने कब सत्य बात मीडिया जनता तक पहुॅचायेगी।
रसोई से इलाज:-
दुनिया में 3 लाख 20 हजार वायरस हैं और इनसे बचने के लिये या साधारणतया संक्रमण से बचने के लिये प्रात: ही विटामीन-सी के लिये संतरा-मौसमी का जूस और नारियल पानी ले सकते हैं। सलाद का प्रयोग जैसे टमाटर, खीरा, मूली इत्यादि भोजन में ज्यादा लें साथ ही रात्रि का भोजन प्रयास करें कि न हो फिर भी अगर समय का अभाव है तो देर रात्रि में तो विल्कुल नहीं हॉ दूध पी सकते हैं भरपेट। कहने का अर्थ सिर्फ इतना है सूर्य की गति के अनुसार चलें।
ज्ञान के माध्यम से ही वायरस वचाव सम्भव है क्योंकि वो तो सदा ही हमारे अगल बगल रहता है
मैं भारतीय शास्त्रों की तरफ देखकर कह रहा हूॅ कि भारत में जीवन निर्वाह करने के लिये ज्ञान की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। आज की फिल्मी दुनिया या क्रिकेटर की दुनिया ने, को देखकर जो जीवन की सफलता को पैसों से जोड दिया है वो भारतीय शास्त्रों में दानवी कही गयी है। भारत में स्वामी दयानन्द सरस्वती हो या भारतीय वैज्ञानिक राजीव दीक्षित सबने अपरिग्रह को महत्व दिया है और उसी अपरिग्रह में छुपा हुआ भारत माता की शक्ति को पहचानने की प्रक्रिया। आप सभी से यही अनुरोध है कि कृपया भारतीय प्रत्याहार अर्थात् भोजन और भेषज को अपनाकर, अपनी शक्ति को इतना बढाये कि कोई भी बडा से बडा राक्षस आपके सामने आने से पहले घबराये। क्या ये सम्भव है? हाॅ! जी सम्भव है। भारतीय वैज्ञानिक राजीव दीक्षित जी का कथन है कि ‘‘आप स्वयं को जान लो और भोजन को पहचान लो।’’ बस किसी भी बीमारी से अपने अन्दर लडने की शक्ति स्वयं उत्पन्न हो जाती है। मानव शरीर में छठ रस का निर्माण हो इसी कारण से भारत में हर घर में एक स्थान बनाया गया जिसका नाम रसोई रखा गया और एक वाक्य मैनें कई सभाओं में कहा है इस रसोई पर ही भारत में एक वाक्य बहुचर्चित हुआ कि ‘‘स्त्री पुरूष की शक्ति है।’’ ये वाक्य ही हमारे ऋषियों-मुनियों ने इसी रसोई की मालकिन बनाकर, आयुर्वेद का ज्ञान देकर रखा था। भारत की हर स्त्री के पास ये अद्भूत कला है। वो अपनी रसोई से पूरे परिवार को स्वस्थ रख सकती है और रसोई से आयुर्वेद सहित ग्रहों के चरित्र पर थोडा सा समझने की आवश्कता है।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल