सत्यम् लाइव, 19 मार्च 2023, दिल्ली।। बृहस्पतिवार से बेमौसम बरसात का लगभग सभी राज्यों में आने से कृषि प्रधान देश की फसल एक बार फिर से नुकसान में चली गयी है इस विषय पर जब राजस्थान, हरियाण और उप्र के किसानों से बात की तब पता चला कि तेज बारिश, तेज हवा और ओलावृष्टि से लगभग 60 प्रशित फसल का नुकसान हुआ है।
पंजाब के अमृतसर और तरनतारन जिले में गेंहू की फसल पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो यी है। इसी तरह से उप्र में सरसौं, गेहूॅ की फसल का बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है। राजस्थान के फतेहपुरा गॉव के किसानों ने बताया कि मटर और चना की फसल दिसम्बर माह में लगभग 7 दिनों तक लगातार बर्फ गिरने के कारण चौपट हो गयी थी। इस समय जौं सभी किसानों के लगभग खेतों पर ही हैं बहुत से किसान तो ऐसे हैं जिन्होंने जौं को नहीं काट पाया है और सभी की गेहूॅ की फसल तो खेत पर ही खड़ा है ऐसी दशा में शुक्रवार को तेज बारिश से भयंकर नुकसान हुआ है। जितना गेहू की मोटाई तो पहले ही समाप्त हो गयी थी।
हरियाणा के किसानों ने भी इसी तरह से अपनी दाशातां वयां करते हुए पूरी फसल का नुकसान बताया है सभी किसानों के बात करने के बाद इतना कहा जा सकता है कि लगभग 60 से 70 प्रतिशत फसल का नुकसान इस वर्ष भी हो चुका है इसे बदले मौसम का दोष दिया जाये या फिर उपभोगवादी विज्ञान को। राजस्थान के एक किसान श्री शर्मा जी एक पक्षी की विशेंषता बताते हुए बताया कि ये पक्षी जिस अण्डे के रंग से ये ज्ञात किया जा सकता है कि बरसात कितनी होगी?
उसी किसान को डिजिटल के दम पर एसी में बैठा व्यक्ति सीखाने का प्रयास कर रहा है कि गेहूॅ को पानी कितना दिया जाये। ये पंजाब कृषि विभाग ने पिछले सप्ताह ही पंजाब के किसानों को बताया था कि गर्मी तेज है अतः गेहॅू को पानी की आवयकता है। कहीं ये भी तो डिजिटल दुनिया अर्थात् उपभागवादी विज्ञान का परिणाम तो नहीं है।
सुनील शुक्ल