पशु पक्षी की रक्षा कर धर्म केे रक्षक बनें।

सत्‍यम् लाइव, 3 मार्च 2020 दिल्‍ली, अहिन्‍सा का जितने सुन्‍दर शब्‍दों में, भारतीय शास्‍त्रों में व्‍याख्‍या मिलती हैै उतनी किसी भी दूसरे पंथ में नहीं मिलती। सम्‍पूर्ण विश्‍व में एक के बाद एक महापुरूषों केे माध्‍यम से अहिन्‍सा का संदेश जाता ही रहा है। इतना ही नहीं बल्कि अहिन्‍सा धर्म के दस लक्षणों में से एक लक्षण है। अहिन्‍सा का सिद्वान्‍त धर्म का एक लक्षण बनाकर हमाारे महापुरूषों ने न सिर्फ पशु-पक्षियों को बल्कि मानव को भी सुरक्षित किया है। महावीर स्‍वामी, महात्‍मा बुद्व और अन्हिसा के सिद्वान्‍त पर भारत में महात्‍मा गॉधी ने सन्‍देश दिया अहिन्‍सा विश्‍व के लिये इतनी आवश्‍यक है कि श्रीराम ने युद्व प्रारम्‍भ होने की तैयारी के बाद भी अंगद को शन्ति का प्रस्‍ताव लेकर भेजा तो द्वापर में भगवान कृष्‍ण स्‍वयं अहिन्‍सा का प्रस्‍ताव लेकर कौरवों केे राज्‍य में गये।

ऐसे ही कुछ खबरों को देखने से आज भी ज्ञात हुआ कि जहॉ एक तरफ चीन से कोरोना वाइरस से पूूरा विश्‍व परेशान है तो दूसरी तरफ चीन के स्‍थानीय समाचार निगो इवनिंग की एक रिपोर्ट के अनुसार चीन पूर्वी प्रान्‍त झेे‍जिआंग से 1 लाख बत्‍तख पाकिस्‍तान भेजेगा। पाकिस्‍तान इस समय टिडि्ड से परेशान है ये टिडि्ड पाकिस्‍तान की फसल पर कीडे के रूप होते है और फसल को समाप्‍त कर देते हैं। अत: चीन के कृषि वैज्ञानिक लू लीझि का कथन है कि बत्‍तख टिडि्डडों को सबसे तेज समाप्‍त करते हैं और सबसे सस्‍ते दामों पर फसलों को बचाया जा सकता है। एक बत्‍तख प्रतिदिन लगभग 200 टिडि्डे खा जाता है इस तरह से एक दिन में लगभग दो करोड टिडि्डडों को समाप्‍त किया जा सकता है। इससे पहले भी गौरेया केे बारे में भारत सहित विश्‍व भर के वैज्ञानिक इस बात को मान चुके हैं कि विश्‍व की सबसे सुन्‍दर और प्रकृति की सबसे बडी रक्षक चिडिया गौरेया ही है। मेढक और केचुंंए की विशेषताएं आप सब से छुपी नहीं हैं।

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बढती जानवरों पर हिन्‍सा कहीं ऐसा न हो कि प्रकृति को स्‍वयं ही आकर अपने पशु पक्षी को बचाने के लिये प्रयास करना पडे, लगातार मौसम की मार से यही संदेश तो हमें प्रकृति नहीं दे रही है पर हम सब सावन के अन्‍धे की तरह प्रकृति के विरोध में अपने को विकास के मार्ग पर लेकर चले जा रहे हैं।

उपसम्‍पादक सुनील शुक्‍ल

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