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सत्यम् लाइव, 12 मार्च 2024, दिल्ली। केंद्र सरकार ने सीएए को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार का यह एक बड़ा फैसला है।
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इसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए धार्मिक रूप से प्रताड़ित गैर मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। इसकी पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। सीएए के लागू होते ही बगैर दस्तावेज के अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से आए हिंदुओं, सिखों, बौद्धों और इशाइयों (गैर-मुस्लिम) को नागरिकता मिलेगी। यह अधिनियम दिसंबर, 2019 में संसद के दोनों सदनों में पास हो चुका था और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल चुकी थी।
हालांकि, इसके खिलाफ देश के तमाम हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हुए थे। जिस वजह से अब तक यह कानून लागू नहीं हो सका था। 11 मार्च 2024 की शाम को सरकार ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी। सीएए लागू किए जाने के बाद सभी के दिमाग में यही सवाल है कि आखिर इससे क्या-क्या बदल जाएगा। यह प्रक्रिया पूरी तरह आनलाइन होगी और इसके लिए होम मिनिस्ट्री ने आवेदकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक पोर्टल तैयार किया है जिसमें आवेदन करने वालों को यह जानकारी देनी होगी कि आखिर उन्होंने बिना दस्तावेजों के भारत में कब प्रवेश किया। हालांकि, इस दौरान आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा।
बताते चलें कि नागरिकता कानून, 1955 के अनुसार अवैध प्रवासियों को भारत की नागरिकता नहीं मिल सकती है। इस कानून के अंतर्गत उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है जो भारत में वैध यात्रा दस्तावेज जैसे पासपोर्ट और वीजा के बगैर घुस आए हों या फिर वैध दस्तावेज के साथ भारत आए तो हों लेकिन उसमें दी गई अवधि से ज्यादा समय तक यहां रुक गए हों। नियमानुसार अवैध प्रवासियों को या तो जेल में रखा जा सकता है या फिर विदेशी अधिनियम, 1946 और पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम, 1920 के तहत वापस उनके देश भेजा जा सकता है।
लेकिन केंद्र सरकार ने कानूनों में बड़ा फेरबदल करके अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और इशाईयों को छूट दे दी है। अब इन धर्मों से संबंध रखने वाले लोग अगर भारत में वैध दस्तावेजों के बगैर भी रहते हैं तो उनको न तो जेल में डाला जा सकता है और न उनको निर्वासित किया जा सकता है। यह छूट इन धार्मिक समूह के उन लोगों को प्राप्त है जो 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके हैं।
गृहमंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य पुनर्वास और नागरिकता की कानूनी अड़चनों को दूर करके दशकों से पीड़ित शरणार्थियों को सम्मानजनक जीवन देना है। इससे उनके सांस्कृतिक, भाषाई, और सामाजिक पहचान की रक्षा होगी। साथ ही आर्थिक, व्यावसायिक, स्वतंत्र विचरण तथा संपत्ति खरीदने जैसे अधिकार सुनिश्चित होंगे।
यह नागरिकता देने का कानून है तथा इसकी वजह से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता नहीं जाएगी। यह अधिनियम विशेषकर उन लोगों के लिए है जिन्हें वर्षों से उत्पीड़न सहना पड़ा और जिनके पास शरण लेने के लिए भारत के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 का मुख्य उद्देश्य मानवतावादी दृष्टिकोण से धार्मिक शरणार्थियों को मूलभूत अधिकार देना और ऐसे शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करना है।
नीरज दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)
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