सत्यम् लाइव, दिल्ली 12 मार्च 2020 गलती कोई करता है उसका भुगतान सभी को करना पडता है अत: ये आवश्यक है कि सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहने चाहिए। इस बार ऐसा ही बेडा स्वयं छोटे बच्चों ने उठाया है। जाग्रति अवस्था में पहुॅचे अभिभावक सहित कई स्कूलों के शिक्षकों ने इस बात का संदेश, अब स्वयं नवीन पीढी तक पहुॅचाने का कार्य प्रारम्भ किया है। सभी कार्यक्रम में बच्चों सहित अभिभावक ने स्वयं ही किसी भी वायरस से बचने के भारतीय तरीके से औषधि का ज्ञान प्राप्त करने के लिये तैयारी बनाई है और अपने-अपने बच्चों को किसी भी तरह की वायरस जैसी आपदा से निपटने की शिक्षा पर, नये सिरे से कार्य प्रारम्भ किया है एक तरफ तो विकास की बढती हुई मॉग तो दूसरी तरफ सेन्ट पॉल स्कूल की संरक्षिका के रूप मेें श्रीमती कृृष्ण देवी एवं स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती शिखा जी ने अपने स्कूल सहित कई स्कूलों के दौरे करके यह संदेश पहुॅचाया कि अब कोई भी वायरस आ जाये हमारे बच्चों को उनसे निपटने केे हर तरीके के ज्ञान होना चाहिए। भारतीय शास्त्रों में पहले ही पाक एवं साफ रहने का कई तरीके बताए गये हैं उन सभी तरीकों का परिचय हम सब मिलकर आने वाली पीढी को करवायेगें।
साथ ही नवीन पीढी जो अपनी रसोई को मात्र पेट भरने का एक मात्र स्थान समझ बैठी हैं इस भ्रम को भी दूर करने की ठानी है। श्रीमती कृष्ण देवी का कथन है कि रसोई से ही आयुर्वेद प्रारम्भ होता है और यदि बच्चों को हम सब वही नहीं सीखा पा रहे है तो शिक्षा का क्या फायदा है? संस्कारी बनाने के लिये भारतीय ज्ञान की बहुत आवश्कता है। इसी विद्यालय के प्रधान अध्यापक में हिमांशु एवं आलम ने वैदिक गणित का परिचय के कई सारे सूत्र भी बच्चों को अवगत कराये।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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