
सत्यम् लाइव, 30 सितम्बर 2020, दिल्ली।। हाथरस उत्तर प्रदेश के कर्त्तव्यविहीन शासन और प्रशासन की आज फिर से अपने को साबित कर दिया है कि बाते करने में हम सब से आगे कोई नहीं निकल सकता है। शर्मनाक हादसे में शासन और प्रशासन अब मात्र चन्द रूपयों की घोषणा करके चुनावी मुद्दे नहीं बनने देगा जबकि राजनैतिक दूसरी पार्टियॉ उसको मुद्दा बनाने का प्रयास करेगें। इस विकास केे दौर सारे कैमरे जो लगाये जा रहे थे वो सब अब बेकार हो गये हैंं अब जरा सोचना पडेगा कि ये कैसा विकास है जिसमें मनुष्यता का नामोनिशान नहीं बचा है। अगर यही विकास है तो नहीं चाहिए ये विकास। जहॉ पर आदमी आदमी को खा रहा हो और समाजिक पतन दिन पर दिन होता चला जा रहा हो तो क्या करेगें राम का मन्दिर। अब जरा सोचना पडेगा मीडिया को भी जिसे लगातार दोषी बनाया जा रहा है कि ऐसा क्या अन्तर आया है कि उन्हें लगातार जनता दोषी कह रही है। आज मीडिया को भी हर कोई दोषी ठहराने में पीछे नहीं है इसका कारण कुछ भी हो परन्तु ये सच्चाई है कि भारत की मीडिया को मात्र राजनैतिक और फिल्मी दुनिया के लोग ही दिखाई दे रहे हैं अगर यहॉ से नजर बची तो क्रिकेटर की तरफ ध्यान चला जाता है। भारत में बढ रहे अपराधिक मामलों को छोडकर आज की मीडिया मात्र इसी तरफ अपना ध्यान दे रही है जहॉ से समाज का पतन होता चला जा रहा है। जातिवाद पर कुमारी मनीषा वाल्मीकि के रेप के साथ मर्डर के केस पर अपना जोर दिखाने की जगह पर मीडिया फिर से कंगना के आंगन में नजर आ रही है कंगना ने जो ट्वीट किया है उसे दिखा रही है। न्याय की सारी प्रक्रिया कहॉ से प्रारम्भ होगी शायद ये मीडिया भूल गयी है। राष्ट्रकवि दिनकर जी का जन्मदिन की बधाई देना भी भूल जाती है परन्तु राजनैतिक चौखट तथा फिल्मी कलाकारों को कलयुगी भगवान बताना नहीं भूलती है। ये हादशा 14 सितम्बर 2020 को कुमारी मनीषा वाल्मीकि सुबह खेतों मेंं गायों के लिए चारा लेने जा रही थी तभी रास्ते में चार युवक घात लगाकर खड़े थे। 19 वर्षीय युवती को चारों ने पकड लिया और हैवानियत को अंजाम दिया। गर्दन मरोडकर, जीभ भी काटी अब उसे अपना जीवन भी गॅवाना पडा है। सूत्रों की मानें तो आरोपियों की पहचान रामू, रवि, लवकुश, व संदीप के रूप में हुई है। अपने कलम के सम्पूर्ण दर्द केे साथ कह रहा हूॅ कि कुमारी मनीषा वाल्मीकि के बिना ऐसा विकास क्या करेगें? और अगर ऐसा ही विकास चलता रहा तो ये निश्चित तौर पर कहना पडेगा कि ग्लोबल होने से कहीं ज्यादा अच्छा था हमारा कच्चा और अविकसित भारत। जहॉ पर न्याय था जहॉ पर मार काट नहीं थी। रोटी केे साथ देशी गाय का घी था। पिज्जा बर्गर नहीं था तो हम सब कहीं ज्यादा अच्छे थे।
सुनील शुक्ल
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