
सरकार ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों को राहत देने के लिए गाइड लाइन पहले ही जारी की जा चुकी थीं। इन पर काम अब शुरू होगा। जनवरी में लक्ष्य था कि 100 दिनों में न केवल ड्राफ्ट को अंतिम रूप दे दिया जाए, बल्कि उसको जनता की सहमति से, कानूनी जामा भी पहना दिया जाए।
सत्यम् लाइव 2 जून 2020, दिल्ली।। सोशल डिस्टिेंसिंग केे तहत पर पर आज व्यापारी से लेकर ग्राहक तक को यही समझ में नहीं आ रहा है कि कैसे व्यापार किया जायेगा। एक तरफ तो सरकार ने नोवेल कोरोना के रहते आजीवन के लिये सोशल डिस्टिेंसिंग के पालन के लिये, ऑनलाइन बाजार खडे करने को सोच रही है ऑनलाइन शॉपिग करने पर कुछ न कुछ छूट सारी कम्पनियॉ निकालने रही हैंं तो दूसरी तरफ ग्राहक को ये ही नहीं समझ में आ रहा है कि मुझे मेरे मन पसन्द का सामान कैसे मिलेगा? वैसे इस पर सरकार पहले ये ये गाइड लाइन्स जारी कर चुकी है कि यदि ऑनलाइन खरीदा हुआ समान सही न निकला तो ग्राहक वापस कर सकता है परन्तु भारत में 68 प्रतिशत तो किसान वर्ग है जिसे आज भी ऑनलाइन के बारे में कुछ नहीं पता ऐसे ही कुछ कपडा व्यापारी से मिलने पर पता चला कि कपडा व्यापारी तो बहुत बडा है परन्तु मोबाईल में उसे बात करने केे अलावा कुछ नहीं पता है। दूसरी तरफ सरकार का मानना है कि ऑनलाइन बाजार होने पर हर व्यापारी का काम और अच्छा चलेगा तो शाहदरा मण्डी के व्यापारीगण का कहना है कि ऑनलाइन बाजार होने पर न तो मैं अपने ग्राहक को अच्छेे माल के लिये समझा सकते हैं और न ही ग्राहक को अपने मन पसन्द का सामान देखने को मिलता है। उसके पास पहुॅची हुई फोटो और वास्तविक जो सामने माल होता है उसके पसन्द करने मेें बहुत बडा अन्तर होता है। बिजली व्यापारी तो बहुत ही नाराज है और कहता कि आधुनिकीकरण का जो जामा पहनाया गया है उसमें सबसे बडी समस्या तो हम सबको झेलनी पडेगी। क्योंकि कंज्यूमर अफेयर्स ने ‘ऑनलाइन शॉपिंग के जो गाइड लाइन्स दी है उसमें रिटर्न, एक्सचेन्ज और रिफंंड का प्रावधान रखा गया है परन्तु ग्राहक को यदि कोई चीज दो बार वापस करता है तो उसके पास तक पहुॅचाने वाला किराया ग्राहक के लिये देय होगा, यदि होगा तो ग्राहक को वो वस्तु कई गुना महॅगी पड सकती है क्योंकि अभी तक ग्राहक स्वयं चलकर आता था तो अपना खर्चा करता था अब दुकानदार पहॅुुचायेगा तो किराया तो दुकनदार का लगेगा। कुछ दुकनदारों का कहना है कि पैसों की बर्वादी है ऑनलाइन चलने वाला नहीं है। बस बाजार कब्जा करके फिर वैसे ही काम होगा लेकिन तब तक महॅगाई लगभग 4 गुना बढ चुकी होगी।
पत्रकार मंसूर आलम
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