भारतीय संस्कृति और सभ्यता में चिकित्सा काेे सेवा के क्षेत्र में बताया गया है ये कभी व्यापार नहीं रहा। वैसे भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता के में, चाणक्य हो या कोई भी अर्थशास्त्री, सब ने विकेन्द्रकरण व्यापार को बढावा दिया है। केन्द्रीयकरण व्यापार को नहींं।
सत्यम् लाइव, 6 मई 2020, दिल्ली।। भारतीय संस्कृति और सभ्यता में स्वास्थ्य सेवा भाव बताया गया है ये कोई व्यापार नहीं रहा कभी भी। वैसे भी भारतीय संस्कृति और सभ्यता के में, चाणक्य हो या कोई भी अर्थशास्त्री सब ने विकेन्द्रकरण व्यापार को बढावा दिया है। भारतीय प्रवक्ता राजीव दीक्षित जी के अनुसार स्वास्थ्य कार्य और शिक्षा कार्य ये सब सेवा क्षेत्र है उसका पर अब केन्द्रीयकरण की पूरी व्यवस्था कर दी गयी है और चिकित्सा व्यवस्था पर तो प्रश्न उठने लगे हैं बस इतना हे कि अभी सामने नहीं कह रहा है परन्तु अब समाने कहने वाला जल्द ही सामने भी आ जायेगा। महर्षि राजीव दीक्षित का कथन था कि स्वंय को जान लें और रसोई को पहचान लें तो अपनी चिकित्सा स्वयं कर सकते हैं। अब कोरोना को समझते हैं भारत में कोरोना के मरीज अब तक 2.27 लाख है और अभी 9,851 मरीज की रिर्पोट आने को है बढते हुए कोरोना केे मरीज की ये बढती जनसंख्या का सभी केे लियेे चिन्ता का विषय बनी हुई है। 2016 की जनगणना के हिसाब से भारत की जनसंख्या देखें तो 1,27,0000000 जनसंख्या बताई गयी है। अब खोज खबर करने के बाद भी हार्ट अटैक, डायबिटिज या अन्य किसी बिमारी से मरने वालों की संख्या का कुछ भी पता नहीं लगाया जा सका हूॅ। वैसे ताेे जिस प्रदेश का भी आंकडा निकालता जा रहा हूॅ वहॉ पर ऐसी ही स्थिति जो सामने आ रही है उससे भारतीय संस्कृृति और सभ्यता के रक्षक तथा स्वदेशी के महान प्रवक्ता राजीव दीक्षित का स्वान फलू पर बोला हुआ एक कथन तो सत्य लग रहा है कि जिस प्रदेश मेें पैसों की कमी होती है उस प्रदेश में कोई वायरस नहीं जाता है। आप नीचे दिये गये आंकडे को ध्यान से देख सकते हैं। दूसरा पिछले चार दिनों से दिल्ली के बडे डॉक्टर से मिला हूॅ जिन्होंने अपना नाम न लेने के लिये कहा है उनका कहना है कि दिल्ली की जनसंख्या, पहली बार चुनाव लडते समय दिल्ली केे मुख्यमंत्री स्वयं बताते हुए 2 करोड से ज्यादा बता रहे थे और आज कोरोना के मरीज 25,004 के लगभग है उस पर पूरा दिल्ली को और ज्यादा नाकाबन्दी कर रखी है। आज मरीज का भरोसा नेताओं से नहीं बल्कि डाॅॅॅॅॅक्टर से भी समाप्त हो गया है। इसी कारण से बीमार होने के बाद, मरीज अपने दादी नानी के नुस्खे अपना कर इलाज कर रहा है हम लोगों के पास संख्या न केे बराबर है। इसी सिलसिले पार्क में टहलते हुए एक बुजुर्ग से बात हुई तो वो स्वयं बता रहे थे कि मुझे कफ छाती पर आया तो काढा पीकर मैंनेे स्वयं को ठीक कर लिया। डॉक्टर के पास नहीं गया। उनसे जब कहा कि डॉक्टर को दिखा लेते आप। तो जबाव था कि इन नेताओं डॉक्टर के ऊपर भरोसा नहीं है। मैं नहीं मर रहा हूगॉ तो भी ये मुझेे मार डालेगें। इनका क्या एक कोरोना से मरने में नाम और बढा देगें ? जब ऐसा कहा कि इतने लोग कोरोना के मरीज है तब उन्होंने वही बात कही तो राजीव दीक्षित कह चुके हैं कि दिल्ली में लोगों केे पास पैसा बहुत है वो डराकर निकाला जा सकता है तो फिर हथियार का प्रयोग क्यों किया जाये ? आज यही बात डॉ. विश्वस्वरूप चौधरी भी कह रहे हैंं। हर समझदार व्यक्ति यही कहता हुआ नजर आ रहा है जबकि भारतीय संस्कृति और सभ्यता को न जानने वाला अपरिग्रह की बात करता हुआ आज भी 4 डॉक्टर मिले जो एक किसी दवा पर 200 प्रति किलो का फायदा लेने की बात कर रहे थे। तो दूसरी तरफ ऐसे बहुत से डॉक्टर सहित नागरिक है जो ये समझ चुका कि यहॉ पर सिर्फ फायदे का खेल चल रहा है। वैसे भी पूरे भारत को इस दिये गये आंकडे के अनुसार इतना कम प्रतिशत मौत का िनिकलता है कि लिखने में भी शर्म आती है।
पुष्टि किए गए केस 2.27 लाख + 9,851 | ठीक हो गए 1.09 लाख | मौतें 6,348 + 273 |
जगह | पुष्टि किए गए केस | ठीक हो गए | मौतें |
---|---|---|---|
अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह | 33+0 | 33 | 0 |
अरुणाचल प्रदेश | 42+4 | 1 | 0 |
असम | 1,988 + 128 | 442 | 4+0 |
आंध्र प्रदेश | 4,223 + 143 | 2,539 | 71 |
उत्तर प्रदेश | 9,237 + 496 | 5,439 | 245+12 |
उत्तराखण्ड | 1,153 + 68 | – | 10 |
ओड़िशा | 2,478 + 90 | 1,416 | 7 |
कर्नाटक | 4,320 | 1,610 | 57 |
केरल | 1,588 + 111 | 690 | 14+0 |
गुजरात | 18,584 | 12,667 | 1,155 |
गोआ | 166 | 57 | 0 |
छत्तीसगढ़ | 756+88 | 213 | 2 |
जम्मू और कश्मीर | 3,142 + 285 | 1,048 | 35 |
झारखण्ड | 793 + 41 | 354 | 6 |
तमिल नाडु | 28,694 + 1,438 | 15,762 | 232+12 |
तेलंगाना | 3,147 + 127 | 1,587 | 105 |
त्रिपुरा | 644 + 176 | 173 | 0 |
दिल्ली | 25,004 | 9,898 | 650 |
नागालैंड | 80+22 | 0 | 0 |
पंजाब | 2,415 | 2,043 | 47 |
पश्चिम बंगाल | 6,876 | 2,768 | 355 |
पांडिचेरी | 82 + 0 | 25 | 0 |
बिहार | 4,493 + 131 | 2,210 | 29+1 |
मणिपुर | 124 + 6 | 38 | 0 |
मध्य प्रदेश | 8,762 + 234 | 5,637 | 377+7 |
महाराष्ट्र | 77,793 | 33,681 | 2,710 |
मिजोरम | 17 + 3 | 1 | 0 |
मेघालय | 33 + 0 | 13 | 1 |
राजस्थान | 9,862 + 222 | 7,104 | 213+5 |
लक्षद्वीप | 0 | 0 | 0 |
लद्दाख़ | 90 + 9 | 48 | 1 |
सिक्किम | 2 + 0 | 0 | 0 |
हरियाणा | 3,281 + 327 | 2,134 | 24+1 |
हिमाचल प्रदेश | 383 + 24 | 179 | 5 |
जनगणना-2011 के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र;दिल्लीकाघनत्वसबसे अधिक 11,320 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। इन परिस्थितियों में सामाजिक दूरियॉ पर कैसेे काम हो सकता है ? ये प्रश्न विचारणीय है और वो भी तब वन प्रदेश मेें रहने वालों को पिछडा कहा जाता हो। विकास केे पैमाने वो बताये जा रहे हों जो पश्चिमी के बोध कराते हों। जैसे सुबह कुत्ता टहलाना विकास है और गाय को, भेड को चराना पिछडेपन की निशानी है। भारतीय संस्कृति और सभ्यता को लेकर काम करने वाला 12 शताब्दी में ले जाना चाहता है और फटी हुई जिन्स पहनकर या मोबईल पर पढत या पढाता हुआ इन्सान 21 शताब्दी का में ले जायेगा। एसी से, फ्रिज से या अन्य खतरनाक यूवी मशीन चलवाना ऑक्सीजन पैदा कर रहा है और पराली जलाने वाला प्रदूषण फैला रहा है। विज्ञान को जानना जरूरी हैै परन्तु यहॉ विज्ञान तो वो चल रही है जो अंग्रेजों ने पढानी चालू की थी जिस भारतीय विज्ञान से सारी गणित और सारा विज्ञान बना वो सब अन्धविश्वास जो अंग्रेजो ने कहा था वही आज भी हमें बताया जा रहा है। अगर सच में हमेें विज्ञान जानना है तो भारतीय शास्त्रों को समझना पडेगा क्योंकि भारतीय शास्त्रोें का विज्ञान प्रकृति को नुकसान पहुॅचाता हुआ नहीं है। भारतीय तकनीकि व्यवस्था ऐसी थी कि आपका व्यायाम अपने काम के साथ हो जाता था और अर्थव्यवस्था में मजबूत होती थी। आज ठीक उल्टी दिशा की तरफ चल रहे हैं विकास केे नाम पर प्रकृति को नुकसान पहुॅचा रहे हैं और स्वयं को कष्ट डालकर, भगवान को दोषी बता रहे हैं। अथर्ववेद के चार उपवेद स्वामी दयानन्द सरस्वती जी ने 1858 में, मैकाले शिक्षा व्यवस्था में शमिल करने को कहे थे उसमें से आयुर्वेद सहित भारतीय शिल्प आदि के विषय शमिल थे। आयुर्वेद बीमार ही न पडो एक मात्र, पूरे विश्व की पैथी है जबकि भारतीय शिल्प आदि के विषय से भारतीय विकास ज्ञात हो जाता। कैसे विकसीत की जाये ये जान सकता था, तब तो फिर बिना किसी संकट के जीवन चल सकता है।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
Leave a Reply