नई दिल्ली: फेसबुक ने 2018 के पहले तीन महीनों में फेक अकाउंट और फेक पोस्ट पर कारवाई की है और 1.5 बिलियन अकाउंट्स और पोस्ट को हटा दिया है जो सामुदायिक मानकों के खिलाफ हैं.
फेसबुक ने सिर्फ उन्हीं पोस्ट और अकाउंट्स पर ऐसा कदम उठाया है जो फेक हैं. जिसमें तकरीबन 83.7 करोड़ स्पैम और 5.83 करोड़ अकाउंट्स को साल 2018 के पहले तीन महीनों में ही बंद कर दिया गया. फेसबुक ने इस कारवाई में 2.5 करोड़ हेट स्पीच, 1.9 करोड़ आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले, 3.4 करोड़ ग्राफिक हिंसा और 21 करोड़ सेक्स को बढ़ावा देने वाले अकाउंट्स पर कदम उठाते हुए उन्हें बंद कर दिया गया है.
फेसबुक के वाइस प्रेसिडेंट ने कहा कि ये तो बस अभी शुरूआत है. आनेवाले समय में भी हम ऐसे कदम उठाते रहेंगे.
डेटा एनालिटिका वायस प्रेसिडेंट एलेक्स स्कुल्ट्ज ने कहा कि ग्राफिक हिंसा वाले कंटेट समय के साथ और बढ़ते चले गए. उन्होंने आगे कहा कि सीरिया में कुछ बुरा हुआ ऐसे ही दुनिया में भी अगर कुछ बुरा हुआ तो ऐसे चीजें फेसबुक पर फैलने लगती हैं. इन चीजों में हमने कदम उठाया और उसे परेशान करने वाले कंटेंट करार दिया.
आपको बता दें कि इस रिपोर्ट में बाल यौन शोषण, रिवेंज पोर्न, विश्वसनीय हिंसा, सोसाइडल पोस्ट, किसी को तंग करना, उत्पीड़न और प्राइवेसी जैसी चीजें इस रिपोर्ट में शामिल नहीं की गई है.
बाल यौन सोशण पर बात करते हुए स्कुल्ट्ज ने कहा कि कंपनी को अभी और चीजों पर काम करने की जरूरत है जिसमें कई तरह के कंटेंट को शामिल किया गया है. जैसी की कार्टून बाल हिंसा या शोषण वाली तस्वीरें. उन्होंने आगे कहा कि, आने वाले एक्सटर्नल रिपोर्ट में हम बच्चों की सुरक्षा को लेकर काम करने वाले हैं.
क्या है AI बेस्ट टूल्स
AI बेस्ड टूल की मदद से फेसबुक किसी भी स्पैम और फेक अकाउंट का पता लगाकर उसे बंद कर देता है. तो वहीं समाज को नुकसान पहुंचाने वाले कंटेंट और दूसरी चीजें जिससे समाज पर असर पड़ता है उसे भी ये टूल बंद कर देता है. कंपनी ने कहा कि इस टूल की मदद से तकरीबन 98.5 % फेक अकाउंट का पता लगाकर उसे बंद कर दिया गया. तो वहीं 100 % तक स्पैम भी शामिल थे.
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने लिखा पोस्ट
फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने इस बात की जानकारी एक पोस्ट के जरिए दी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार फेसबुक ने आर्टिफिशल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल और टैक्नोलॉजी की मदद से वॉइलेंस वाली पोस्ट को डिलीट किया गया है. उन्होंने कहा कि फेसबुक में सबसे ज्यादा पोस्ट अडल्ट न्यूडिटी या सेक्सुअल ऐक्टिविटी की थीं. फेसबुक ने खुद 38 फीसदी कन्टेंट को ही पहचाना, जबकि बाकी सबकी शिकायत फेसबुक यूजर्स द्वारा की गई थी. अक्टूबर-दिसंबर 2017 की तरह ही 2018 के पहले तीन महीनों में भी इस तरह की पोस्ट्स की संख्या करीब 21 मिलियन रही. फेसबुक ने कहा कि हमनें 38% कंटेट पर यूजर्स के रिपोर्ट करने से पहले ही एक्शन लेकर उनपर कारवाई की. कंपनी ने आगे कहा कि ऑथेंटिकेशन प्रोसेस से गुजरने के बाद ही अब राजनीतिक पार्टियां फेसबुक पर अपना प्रचार कर पाएंगी.
फेसबुक की ये रिपोर्ट सेंटा क्लारा प्रिंसिपल्स के रिलीज के एक हफ्ते बाद आई है. इस रिलीज में ये बताया गया था कि बड़े प्लेटफॉर्मस को कैसे काम करना चाहिए. प्रिंसिपल्स के अनुसार इन प्लेटफॉर्मस को ये जानकारी दी गई है कि कभी भी अगर कोई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किसी का पोस्ट हटाता है तो उसे व्यक्ति को ये जानकारी देनी होगी कि उसका पोस्ट क्यों हटाया गया है.
आपको बता दें फेसबुक ही इकलौता ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है जो पारदर्शिता की तरफ बढ़ रहा है. पिछले महीने यूट्यूब ने कहा था कि उसने 8.3 करोड़ वीडियो को अक्टूबर और दिसंबर के महीने में कम्युनिटी गाइडलाइन को तोड़ने के लिए हटा दिया था
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