गौतमबुद्ध नगर जिले में खुलेआम हो रहा फ्रॉड

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आखिर कैसे एक ही व्यक्ति पारुल लोहिया व करन लोहिया बनकर प्रशासन को कर रहा है गुमराह?

आखिर कैसे बच गया एटीएस के निगाह से ?

सत्यम् लाइव, 2 जनवरी 2023, नोएडा।। हमारे देश में कई तरह के फ्रॉड सामने आते हैं लेकिन आज उत्तर प्रदेश की स्थिति बहुत बेहतर मानी जाती है लेकिन उसके बावजूद एक व्यक्ति सबको चकमा देकर खुलेआम फ्रॉड कर रहा है। मामला यहां तक ही सीमित नही है,एटीएस जैसी यूनिट को चकमा देकर खुलेआम घूम रहा है। पारुल लोहिया ने राष्ट्रीय सुरक्षा में सेंध लगा तक लगा रखी है। गाँव नाथूपुर, गुरुग्राम हरियाणा का रहने वाला यह व्यक्ति करोड़ों का घोटाला कर रहा है। इसके अलावा इसके गैर-कानूनी कारनामों की फेहरिस्त लंबी है।

पारुल लोहिया ने सन 2010 में दी इंडियन एक्सप्रेस में अपना नाम पारुल लोहिया से करन लोहिया बन कर कई करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया। पारुल लोहिया से करन लोहिया बन इसने अपना जाल हरियाणा से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैला रखा है। साक्ष्यों के अवलोकन से पता चलता है कि उच्च अधिकारियों, पुलिस प्रशासन और राजस्व विभाग ने इसके कारनामों के आगे नतमस्तक रहते है। मामले का उजागर उस समय हुआ जब इसने ग्राम तिलवाड़ा, ग्रेटर नोएडा उत्तर प्रदेश के एक किसान श्यामवीर की कृषि भूमि को अवैध रुप से हड़पने के लिए उस पर एवं तीन लोगों पर संबंधित थाना नॉलेज पक, ग्रेटर नोएडा में दिसम्बर 2022 में एक फर्जी मुकदमा लिखवाया। इसने 2013 से लेकर सन 2020 यानी बीते दशक भर में पारुल लोहिया और करन लोहिया बनकर इसने करोड़ों की सम्पति बना डाली ।

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जांच से यह पता चला है कि इसका अवैध रूप से भू-माफियाओं के साथ मिलकर किसानों और बाहरी लोगों की भूमि हड़पने का तरीका नायाब है। पहले यह अपना गुर्गे किसानों के पास भेजता है उसकी भूमि खरीदने के नाम पर जिसकी कीमत बजार मूल्य से काफी कम होता है। किसान के मना करने पर फिर इसका खेल शुरु होता है फर्जी मुकदमें लिखवाकर उसे या तो हड़प लेता है, या फिर किसान उसे मजबूरन पारुल लोहिया को बेच देता है। हैरत इस बात की है कि पुलिस बिना जाँच पड़ताल के इसके कहने मात्र से मुकदमें तहरीर करते आ रही है। सन 2019 में इसने एक मुकदमा करन लोहिया बनकर लिखवाया, सन 2020 में पारुल लोहिया बनकर, सन 2021 में पारुल लोहिया बन और सन 2022 में फिर से करन लोहिया बनकर, हैरानी तो तब हुई कि सारे मुकदमें एक ही पुलिस थाने में लिखे गए हैं। आगे की पड़ताल में कई खुलासे सामने निकल कर आए हैं।

वर्तमान में इस शातिर ने पारुल लोहिया एवं करन लोहिया के नाम से पैन कार्ड, जी.एस.टी. बनवा हुए हैं।इसके अलावा ना जाने इन दस्तावेजों से यह कितने आर्थिक अपराधों को अंजाम दे रहा है जिसका जाल हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। सन 2021 में उत्तर प्रदेश पुलिस के एंटी टेररिस्ट विभाग (ए.टी.एस) ने एक चाईनीज कम्पनी “हुआ तांग” जो भारतीय मोबाइल की सिम कार्ड की स्मगलिंग बांग्लादेश के जरिए चाइना करती थी उसका भंडाफोड़ किया था। जिसमें 1300 भारतीय सिम कार्ड बांग्लादेश के जरिए चाइना स्मगल्ड किए जाने की खबर कई अखबारों में छपी थी।

उस कांड में जे. वी. एल. प्रॉपर्टीज एण्ड टूर्स प्रा.लि. ने एक समझौता किया था और कम्पनी ने अपनी जगह उस जासूसी कम्पनी को दी थी जिसका लीज एग्रीमेंट पारुल लोहिया ने किया था। सवाल उठना लाजमी है कि पारुल लोहिया से करन लोहिया बनकर इस शातिर की गतिविधियां देश से निकल कर विदेशों में कहीं इसके तार नहीं जुड़े हों जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए घातक हो? इस बात की भी जांच जरूरी होनी चाहिए कि क्या इसने इस दरम्यान यह विदेश गया और यदि गया तो किस नाम से पारुल या करन लोहिया बनकर? अखबार में नाम बदलने की घोषणा कर पारुल लोहिया से करन लोहिया बनने के पीछे इसकी मंशा क्या हो सकती है?

विशेष संवाददाता – योगेश कुमार सोनी

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