सत्यम् लाइव, 18 जुलाई 2022, दिल्ली।। एक बार रामधरी सिंह दिनकर जी की कलम ने चाँद को जबाव दिया था दिन-रात्रि इन्सान तुम्हारी ही ओर बढ़ता आ रहा है और सच में आज का इन्सान अपने विनाशा की परिभाषा को विकास बताता चला जा रहा है परन्तु शायद वो समय सीमा समाप्त होने जा रही है जिसे परख कर दूसरी कविता में कहा कि इन्सान अपनी मुश्किलें स्वयं बढ़ाता और फिर बेचौन होकर सोता न जगता है।
जी हॉ! यह सिर्फ लेखनी नहीं थी ये बल्कि सचेत किया था तब दिनकर जी ने और यही कहा था कि प्रकृति तुम जैसों वैज्ञानिक के विकास को कई बार देख चुकी है और उसे पल भर लगते हैं स्वयं को स्वस्थ करने में। यही हो रहा है आज, भारत के कई राज्यों में भीषण बाढ़ का दृश्य है तो अरब में बार-बार भूकम्प के झटके अब यूरोप में सारे रिकार्ड तोड़कर शायद सूर्य देव ये दिखा रहे हैं कि मेरे रहते वायरस इस धरा पर पनप नहीं सकता है।
47 डिग्री सेल्सियस का तापमान यूरोप का है सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं यूरोप की भीषण गर्मी ने। खबर आ रही है कि लगभग 1 हजार लोग गर्मी के कारण मरे हैं। जर्मनी, स्पेन, फ्रांस तक में बुरी तरह से फैली हुई है ये गर्मी। फ्रांस में सैकड़ों किलोमीटर तक जंगलों से निकलता हुआ धुआं दिखाई दे रहा है। जर्मनी और स्पेन की स्थितियाँ भी कुछ ऐसी ही हैं। अब स्थिति ये है कि यूरोपिय संघ से कुलिंग प्लांट का प्रयोग कम करने का आदेश जारी किया है। यही बात जब भारतीय ग्रन्थों के अनुसार कही जाती है तो कहते हैं कि अन्ध्विश्वास फैला रहे हो।
विज्ञान ने बहुत विकास किया है पुराने लोगों को जीने की कला नहीं आती थी। आज उन्हें के कहे हुए लेखनी से पुनः अपने जीवन को बचाने के सिवा कोई रास्ता नहीं रहा है आज के इस उपभोगवादी विज्ञान के पास। डिजिटल पर भी प्रतिबन्ध की तैयारी करती हुई प्रकृति चली आ रही है। अब मूर्ख मानव मंगल ग्रह को मत खोज अब बल्कि अपने जीवन में मंगल को खोज अन्यथा परिणाम सामने हैं अब। बताने की आवश्यकता नहीं है। अपरिग्रह को समझ और अपना अन्यथा कुछ कहने लायक नहीं रखेगी ये प्रकृति तुझे।
सुनील शुक्ल
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