एक करोड तक के कर्जदार को अब डिफॉल्टर घोषित नहीं किया जायेगा। साथ ही छोटी कम्पनी के बढाने के लिये कर्ज और बढाया जायेगा। सभी जिलों मेें संंक्रमण वाली बीमारियों का इलाज हेतुु अस्पताल बनाये जायेगें। आत्मनिर्भरता के लिये पब्लिक सेक्टर पर जोर दिया जा रहा है।
सत्यम् लाइव, 17 मई, 2020 दिल्ली।। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान में जो राहत की घोषणा बुधवार 13 मई 2020 को प्रारम्भ की थी वो आज रविवार 17 मई 2020 को पूरी कर दी गई हैं। नोवेल कोरोना पर यह राहत का पैकेज 20 लाख करोड रूपये का 12 मई 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषित किया था। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम संदेश में संबोधन करते हुए, पहले बताई गईं 1 लाख 92 हजार 800 करोड़ रुपए की घोषणाओं को भी शामिल कर लिया है इसके अलावा 22 मार्च से टैक्स में दी गई छूट की वजह से हुए रेवेन्यू के 7800 करोड़ रुपए के नुकसान को भी इसमें शामिल किया है। आरबीआई ने अब तक जो अलग-अलग घोषणाएं की हैं, वो 8 लाख करोड़ रुपए भी इसी पैकेज का शमिल हैं। जो आज पांचवे दिन कुल मिलाकर 20 लाख 97 हजार 53 करोड रूपये का हो गया है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में, पूरे राहत पैकेज में, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी नीजिकरण पर जोर देते हुए नजर आयीं साथ ही कोरोना की वजह से, यदि किसी कम्पनी का नुकसान हुआ है तो उस पर एक साल तक कोई कार्यवाही नहीं की जायेगी। वित्त मंत्री की 8 घोषणाएं इस प्रकार हैं
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- सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले प्रवासी मजदूरोंं जो अपने घर लौटेगें उनके लिये कुछ काम पूरा देने की योजना बना रही है जिसमें 40 हजार करोड रूपये खर्च किये जायेगें। पानी की बचत व्यवस्था में, मानसून के सीजन पर मजदूरों को रोजगार काम देगी। यह फंड सरकार तुरन्त रिलीज करेगी।
- गॉवों, कस्बों और शहरों के क्षेत्रों में नये अस्पताल बनाये जायेगें। यह कार्य ब्लॉक स्तर तक किया जायेगा। लैब और निगरानी का नेटवर्क का ढांचा मजबूत किया जायेगा। नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन लॉन्च किया जायेगा। कब से तैयार किया जायेगा। इसकी समय सीमा अभी बताई नहीं गयी है।
- प्रधानमंत्री ई-विद्या कार्यक्रम के तहत शुरू होगा। इसके जरिए ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जायेगा। कक्षा 1 से 12 तक की हर कक्षा के लिये एक चैनल तैयार किया जायेगा। जिसे वन क्लास, वन चैनल के तहत पर काम होगा। क्यू.आर कोड अर्थात् मैट्रिक्स बारकोड के जरिए ई-किताबें पढ सकेगें। साथ ही रेडियो, कम्युनिटी इससे दिव्यांग बच्चाेें को भी फायदा मिलेगा। बच्चों, शिक्षक और माता-पिता सहित सभी परिवारा के मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिये मनोदर्पण कार्यक्रम शुरू किया जायेगा। दिसम्बर 2020 तक नेशनल फाउंडेशन लिटरेसी अर्थात् राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन के तहत (जो 2016 निजी क्षेत्र, इस दिशा में कई पहल की गई हैं। इनमें डेल की परियोजना भी शमिल है।) 2025 तक हर बच्चेे को शिक्षा मिलेगी।
- नोवेल कोरोना के तहत जिस भी कम्पनी अतिलघु, लघु या मध्यम कम्पनी को 1 करोड तक का नुकसान हुआ है उसे 1 साल तक दिवालिया घोषित नहीं किया जायेगा। अर्थात् यदि 1 लाख तक की रूपये की नुकसान को बढाकर 1 करोड किया गया है जिसके कारण किसी भी छोटी कम्पनी को दिवालिया घोषित नहीं किया जायेगा। यह नियम 1 साल तक के लिये बनाया गया है।
- कम्पनियों केा राहत देने के लिये, कम्पनी एक्ट को आसान बनाया गया है। इसमे सी.एस.आर. अर्थात् कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी पर अगर कुछ देर कर देती है तो उसे अपराध के दायरे में नहीं लिया जायेगा। इसमें आपराधिक मामलों से जुडी 7 धाराओं को पूरी तरह से खत्म किया गया है साथ ही रिजनल डायरेक्टर्स की पावर को बढा दिया गया है। इसकी समय सीमा अभी बताई नहीं गयी है। कोई भी कंपनी अगर किसी भी प्रोडक्ट का निर्माण करती है तो उस प्रॉडक्ट को निर्माण करने के लिए हमारे नेचुरल साधनों का उपयोग करें बिना किसी भी प्रोडक्ट का निर्माण नहीं कर सकती है बड़े बड़े कारख़ाना से धुआं निकलता है जो वातावरण को में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को बढ़ा देता है उन कारखानो में से जो गंदे पानी का कचरा निकलता है नदियों को गंदा करता है। इसके द्वारा हमारे मानव समाज को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचता है सरकार ने कंपनियों को सामाजिक गतिविधियों में भाग लेने के लिए नियम बनाया है क्योंकि अगर आप हमारे वातावरण को नुकसान पहुंचाएंगे तो उसकी भरपाई भी आप ही को करना होगा। क्योंकि इस काम के लिए सरकार सीधे-सीधे कोई टैक्स नहीं लेती है लेकिन सरकार उन कंपनियों को कहती है यह आपका उत्तरदायित्व है कि आप अपने पैसे का कुछ भाग मानव कल्याण में खर्च करें जिसे हम सीएसआर यानि कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कहते हैं
- निजी कम्पनी जो गैर परिवर्तनीय ऋणपत्र अर्थात् नॉन-कन्वेर्टेबल डिबेंचर्स होगीं उन्हें कम्पनी नहीं माना जायेगा जबकि भारतीय कम्पनी विदेशी बाजार में सीधे लिस्ट बना सकेगें। निजी कंपनियों, जो छोटी हैं, जिन्हें एक ही व्यक्ति चलाता है, जो प्रोड्यूसर कंपनियां जो स्टार्टअप्स हैं। इन पर जुर्माने के प्रावधान कम किए गयेे हैंं। इसकी समय सीमा अभी बताई नहीं गयी है।
- भारत सरकार द्वारा नियंत्रित और संचालित उद्यमों और उपक्रमों को सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या पीएसयू कहा जाता है। सरकारी पूंजी की हिस्सेदारी 51 प्रतिशत या इससे अधिक होती थी ये सभी सेक्टर निजीकरण के लिये खोले जायेगें। इसकी समय सीमा अभी बताई नहीं गयी है। इसके तहत Strategic सेक्टर अब पब्लिक बनेगें। Strategic सेक्टर का अर्थ है सामसिक उपक्रम इसका विशेलषण करे तो पायेगें कि इसमें ”सामरिक योजना यह एक प्रबंधन योग्यता है जो प्रबंधकों को संगठन के लंबे समय तक सोचने में सहायता करती है। कुछ महत्वपूर्ण रणनीतिक इसके अन्दर बनाई जाती हैं जिसमें मिशन, दृष्टि, लक्ष्य, कार्य योजनाएं और अनुवर्ती।” इसकी समय सीमा अभी बताई नहीं गयी है।
- सभी राज्यों को, जिनका रेवेन्यू लॉकडाउन की वजह से घट गया है और उन्हें ज्यादा फंड्स की आवश्कयता है। राज्यों को ग्रॉस स्टेट डॉमेस्टिक प्रोडक्ट पर 3% से बढ़ाकर 5% करने का फैसला किया है। राज्यों ने अभी तक उनके हक का सिर्फ 14% पैसा लिया है। 86% का पैसा अभी उन्होंने इस्तेमाल नहीं किया है। यह भी उनके लिए मौजूद रहेगा। एक तिमाही में वे 32 दिन की जगह 50 दिन तक ओवरड्राफ्ट रख सकेंगे। यह कार्य आने वाले फाइनेशियल वर्ष मेंं किया जायेगा।
इस तरह से पूरा 20 लाख करोड रूपये जो प्रधानमंत्री मोदी जी ने वित्तीय सहायता प्रदान करने को कही थी पूरी हुई। अर्थशास्त्र केे जानकारों को मदद के लिये धन्यवाद।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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