रक्षा विभाग में, अब मेक इन इंडिया की तरफ से एफ.डी.आई. अब 49 प्रतिशत से बढाकर 74 प्रतिशत, एयर स्पेस में 12 एयर पोट्र्रर्स पर 13 हजार करोड का निवेश, स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाए जायेगें।
सत्यम् लाइव, 17 मई, 2020 दिल्ली।। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार शाम 4 बजे लगातार चौथे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस केे माध्यम से जनता को 8 सेक्टर में किये गये सुधारों की विशेष घोषणा की। जिसमें 3 प्रमुख सेक्टर कोयला, मिनरल्स और स्पेस को सरकार ने निजी क्षेत्र के लिये खोल दिया है। शेष 5 सेक्टर हैं डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग, मेनटेनेंस एंड ओवरहॉल, पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां, सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा।
- रक्षा विभाग में, अब मेक इन इंडिया की तरफ से एफ.डी.आई. अब 49 प्रतिशत से बढाकर 74 प्रतिशत कर दी गयी है। इसी के साथ रक्षा विभाग अब उत्पादक के ऑटोमैटिक रूट में एफ.डी.आई. अर्थात् फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमन्ट, इसका अर्थ है कि अब 74 प्रतिशत अब विदेशी निवेश करने तक की छूट दी जायेगी। इससे फायदा ये होगा कि जो स्पेयर पार्टस आयात किये जाते हैं वो अब भारत में ही बनेगें। आयात पर 10 साल के लिये प्रतिबन्ध लगाकर मेक इन इंण्डिया के रास्ते देश को हथियारों का उत्पादन बढाया जायेगा। ऑर्डिनेंस फैक्ट्री जो हथियार बनाता है उसकी सप्लाई कॉर्पोरेशन के तहत होगी। समय की घोषणा, सरकार ने की नहीं है।
- एयर स्पेस में 12 एयर पोट्र्रर्स पर 13 हजार करोड का निवेश एफ.डी.आई. के माध्यम से आयेगा। इस सम्बन्ध में तीन पहल होगीं। कुछ पाबंदियॉ हटाई जायेगीं और उनके लिये ज्यादा रूट उपलब्ध होगें और यात्रियों और एयर बस की कम्पनियों दोनों को ही फायदा होगा। कम्पनी को 1000 करोड रूपये का फायदा होगा। दूसरा 6 एयरपोर्ट का पीपीपी आधार का होगा। एयरपोर्ट नीजिकरण के लिये नीलामी होगी और निजी कम्पनियों को मौका दिया जायेगा। तीसरा मेन्टीनेन्स, रिपेयर और ओवरहॉल के लिये कम्पनियों को मौके दिये जायेगें जिससे सरकार का 2000 करोड रूपये का खर्च बचेगा। कुछ ही महिनों में यह प्रारम्भ किया जायेगा।
- मिनरल सेक्टर में भी निजी निवेश का बढावा दिया जायेगा। इस दिशा में स्वयं के कोयला खनन करने वाली एवं दूूसरे के लिये कोयला खनन करने वाली खदानों के बीच में फर्क किया जायेगा। इससे उन कम्पनियों को फायदा मिलेगा जो इसमें निवेश करना चाहती हैं इससे बॉक्साइड और कोल मिनरल के साथ एल्युमिनियम इंडस्ट्री को फायदा होगा और बिजली की कीमत कम होगी। कब प्रारम्भ किया जायेगा, सरकार द्वारा समय सीमा अभी नहीं बताई गयी है।
- कोयला सेक्टर के 50 कोल ब्लॉक को निजी क्षेत्र में सौपने का निर्णय कर लिया है। इससे कॉम्पीटिशन बढेगा और पारदर्शिता आयेगी। कोयला की खदानों से मीथने निकालने की नीलामी भी की जायेगी। निजीकरण को और आसान बनाया जायेगा ये कम्पनियॉ सरकार को अब प्रति टन केे हिसाब से पैसा न देकर सरकार को रेवेन्यू ही साझा करेगी। कोयला में गैस में बदलने की सुविधा पर इंसेंटिव मिलेगा। सरकार को उम्मीद है कि 2023-24 तक कमार्शियल माइनिंंग के जरिए 1 अरब टन कोयला उत्पादन होगा।
- बिजली के क्षेत्र में बदलाव किया जायेगा अब स्मार्ट प्री पेड मीटर लगाए जायेगें। केन्द्र शासित प्रदेशों में पावर डिस्ट्रिब्यूशन प्राइवेट होगा। उपभोक्ताओं को उनके हक की ही बिजली मिलेगी, अगर पावर कम्पनियों पर कोई संकट होगा तो उसका असर उपभोक्ताओं पर नहीं दिया जायेगा। अगर कम्पनियों बिजली के लोड को लेकर कुछ गडबड करती है तो उन पर जुर्माना लगाया जायेगा। कम्पनियों को, स्मार्ट प्री-पेड मीटर लगाकर मदद की जायेगी। सब्सिडी का फायदा डायरेक्ट अब उपभोक्ता को होगा। बिजली के उत्पादन को बढावा मिल सकेगा। सरकार द्वारा समय सीमा अभी नहीं बताई गयी है।
- सामाजिक बुनियादी ढॉचा (social infrastructure) में भी निजीकरण के लिये 8100 करोड रूपये तय किये गये हैं। सामाजिक बुनियादी ढांचे में स्कूल और अस्पताल आते हैं इनकी व्यवस्था को सुधारने के लिये प्रयास किया जायेगा। अगर पैसा कम पडा तो उसकी VGF 2006 तहत निजीकरण करके संचालित किया जायेगा। इसमें 30 प्रतिशत अनुदान सरकार देगी बाकी सब प्राइवेट हो सकता है।
- पी.पी.पी. (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) के तहत अब किफायती इलाज पर रिसर्च होगा। साथ ही तकनीकि को बढाकर ये देखा जायेगी कि प्याज, फल और सब्जी को लम्बे समय तक सुरक्षित किया जा सके। हेल्थ और एग्रीकल्चर सेक्टर में, काम करने वाली कम्पनियोंं या संस्थानों को प्याज, फल और सब्जी लम्बे समय तक सहेज कर रखने का तरीका खोजना होगा। कैंसर जैसी अन्य बीमारियों के लिये इलाज खोजना होगा। सरकार द्वारा समय सीमा अभी नहीं बताई गयी है।
- जो कम्पनियॉ सैटेलाइट बना सकती हैं उन्हें भी स्पेस सेक्टर में भी निजी कम्पनियों को मौका मिलेगा। निजी कंपनियों को इसरो की सुविधाओं या उसके केंद्रों का इस्तेमाल करने की इजाजत मिलेगी ताकि वे अपनी क्षमताएं बढ़ा सकें। इससे अगर स्पेस ट्रेवल या दूसरे ग्रहों की खोज पर काम होता है तो उसमें निजी कंपनियों को भी काम करने का मौका मिलेगा। रिमोट सेंसिंग के क्षेत्र में भी निजी कंपनियां काम कर सकेंगी। सरकार द्वारा समय सीमा अभी नहीं बताई गयी है।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल