अतिलघु उद्योग वे होगें जिनमें 1 करोड़ का निवेश और 5 करोड़ का टर्न ओवर हो। लघु उद्योग वे होगें जिसमें 10 करोड़ का निवेश है और 50 करोड़ का टर्न ओवर है। मध्यम उद्योग वे हाेेगें जिसमें 20 करोड़ का निवेश और 100 करोड़ का टर्न ओवर होगा।
सत्यम् लाइव, 14 मई 2020 दिल्ली।। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जो घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी उसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को की। इसमें छोटे, मझले उद्योग के साथ, 3 टैक्स की घोषणा, 2 प्रॉविडेन्ट फण्ड की घोषण, 2 नॉन बैंकिग फाइनेन्स कम्पनियों के साथ पावर डिस्ट्रिब्यूशन तथा रियल एस्टेट की घोषणा भी की है। इस घोषणा फायदा होने वाले 10 लाख संस्थानों को फायदा होगा, जिनके 5 करोड कर्मचारियों का पीएफ हर माह जमा होता है, 2 लाख उन छोटे उद्योगों को फायदा होगा जो आज संकट में आ गये हैं। 2 करोड लोगों को रियल एस्टेट सेक्टर में रोजगार मिलेगा और जिनका टर्नओवर 100 करोड रूपये से कम है ऐसे 45 लाख उद्योगों को फायदा होगा।
पन्द्रह घोषाणाओं का वर्णन :-
- रेलवे, सडक परिवहर राजमार्ग और सीपीडब्लूडी जैसे केन्द्र की एजेन्सी को ठेकेदार काे अपने कार्य काेे पूरा करने केे लिये छ: माह का समय दिया जाता है।
- पावर डिस्ट्रिब्यूशन कम्पनी को 90 हजार करोड रूपये की मदद दी गयी है ये मदद पावर फाइनेन्स कॉर्पोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉपोरेशन डिस्कॉम कम्पनियों की यह मदद मिलेगी। पावर डिस्ट्रिब्यूशन कम्पनियों को पावर की जनरेशन कम्पनियों और ट्रांसमिशन कम्पनियों को 94 हजार करोड रूपये कर्ज में है उसके पैसे दे सकेगें।
- हाउसिंग फाइनेन्स कम्पनी, माइक्रो फाइनेन्स और नॉन बैकिंग फाइनेन्स कम्पनियॉ जिनकी क्रेडिट रेटिंग कम है या जो इंडि विजुअल्स को कर्ज देना चाहती है और यदि कर्ज देने के बाद उसे नुकसान होता है तो उसका 20 प्रतिशत भार सरकार उठायेगी। इसके लिये 45 हजार करोड रूपये की ये पार्शियल गारन्टी स्कीम के तौर पर दिये जायेगें।
- कर्ज देने वाली कम्पनियों के लिये 30 हजार करोड रूपये का स्पेशल लिक्विडिटी स्कीम चालू होगी। जिससे कारण हाउसिंग फाइनेन्स कम्पनी, माइक्रो फाइनेन्स और नॉन बैकिंग फाइनेन्स कम्पनियॉ को बाजार से पैसा जुटाने की समस्या का सामना न करना पडे। इस फण्ड की पूरी गारंटी सरकार की है।
- ईपीएफ अर्थात् इम्पलॉई प्रॉविडेन्ट फण्ड में मालिक और मजदूर के बीच जो फण्ड, ईपीएफ होता है उसे घटा करके 12 प्रतिशत की जगह अब 10 कर दिया गया है इससे को 6.5 लाख संस्थानों के 4.3 करोड नौकरी करने वालो को लाभ मिलेगा। यह नियम सरकारी कर्मचारी पर नहीं लागू होगा।
- छोटेे उद्योग का बकाया धन राशि को सरकार और सरकारी उद्यम अगले 45 दिनों तक भुगतान कर देगी।
- 2500 करोड रूपये की सहयोग राशि जूूूून, जुलाई और अगस्त की सैलरी में ईपीएफ में सरकार मदद करेगी। इससे 3.67 लाख संस्थानों को फायदा होगा जिनमें 72.22 लाख करोड व्यक्ति कार्यरत हैंं।
- इन्कम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की अन्तिम तारीख अब 30 सितम्बर होगी, साथ ही इन्कम टैक्स रिटर्न जल्द ही वापस किये जायेगें। रिफंड का फायदा चैरिटेबल ट्रस्ट, नॉन-कॉर्पोरेट को फायदा मिलेगा। जिसमें प्रोपराइटरशिप, पार्टनरशिप, को-ऑपरेटिव आते हैं।
- टीडीएस के नई दर 14 मई से लागू कर दी जायेगींं और ये 31 मार्च 2021 तक लागू रहेगा। अब किसी कॉन्ट्रैक्ट के लिए पेमेंट, प्रोफेशनल फीस, इंटरेस्ट, किराया, डिविडेंड, कमिशन और ब्रोकरेज देते हैं तो 25 प्रतिशत कम टीडीएस देना होगा।
- रियल एस्टेट में जिनके प्रोजेक्ट 25 मार्च या उसके बाद पूरे होने थे उनके प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन और पूर्ण होने का समय अपने आप ही 6 महीने के लिए बढ़ जाएगी।
- 45 लाख मध्यम, छोटे, बेहद छोटे, कुटीर और गृह उद्योगों को जिन पर 25 करोड़ रुपए का बकाया है और जिनका 100 करोड़ रुपए का टर्नओवर है, ऐसे छोटे उद्योगों को कर्ज मिलेगा। गारंटी और गांरटी फीस की आवश्यकता नहीं होगी साथ मेें इस्टाॅॅल मेन्ट 1 वर्ष केे बाद भरनी होगी।
- सरकार, एक ट्रस्ट- क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एडंं स्मॉल एंटरप्राइज को पैसा देगी। यह ट्रस्ट, बैंकों को पैसा देगा। फिर बैंक से इन उद्योगों को फंड मिलेगा जो लगभग 2 लाख लघु, अति लघु, मध्यम, कुटीर और गृह उद्योगों संंकट में है।
- ऐसे छोटे उद्योग जिनकी तरक्की की सम्भावना है परन्तु पैसों की कमी है उन्हें 50 हजार करोड का फण्ड तय किया गया है। इसके लिये 10 हजार करोड़ रुपए की शुरुआत के साथ एक फंड के शुरूवात करके, 50 हजार करोड़ रुपए फंड सीमा तय की गयी है। ये स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम की लिस्ट से प्रेरित होगा।
- अब सरकार 200 करोड तक ही खरीद करती है तो ग्लोबल ट्रेन्डर जारी नहीं किया जायेगा इसके लिये जनरल रूल्स में बदलाव किया जायेगा ताकि छोटे उद्योगों का टेंडर हासिल करने का मौका मिले।
- मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के लिए पहले छोटे उद्योगों की बदलाव भी किया गया है जिससे उद्योगों को बढावा दिया जा सके।
मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर के लिए पहले छोटे उद्योगों की परिभाषा को समझना आवश्यक है। माइक्रो यानी अतिलघु उद्योग वे कहलाएंगे, 1 करोड़ का निवेश हो और 5 करोड़ का टर्न ओवर हो। स्मॉल यानी लघु उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 10 करोड़ का निवेश है और 50 करोड़ का टर्न ओवर है। मीडियम यानी मध्यम उद्योग वे कहलाएंगे, जहां 20 करोड़ का निवेश और 100 करोड़ का टर्न ओवर होगा। अब ज्यादा उद्योग एम.एस.एम.ई. के दायरे में आ जाएंगे।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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