पुलिस, प्रेस तथा अन्य जनता के सेवा कर्मी को जनता की सेवा कर उनकी सहायता करने का प्रावधान है।
सत्यम् लाइव, 5 अप्रैल 2020 दिल्ली ।। कोरोना महामारी के चलते जहॉ चारोंं तरफ सम्पूर्ण भारत में लॉकडाउन चल रहा है तो दूसरी ओर मन्दी ने महामन्दी का रूप धारण कर सम्पूर्ण विश्व में एक नया समस्या बनकर चुकी है। विश्व बैंक, आईएमएफ हो या भारतीय वित्तीय संस्थान सहित सभी ने चिन्ता जता रहे हैंं। 1897 अधिनियम के तहत लगा लॉकडाउन में अपने घर पर ही रहने का निर्देश है।
लॉकडाउन के नियम
लॉकडाउन का हिन्दी अर्थ है तालाबन्दी आपदा प्रबन्धन अधिनियम के तहत इसका पालन जनता को करना होता है इसमें महामारी तथा कोई प्राकृति आपदा में इस नियम का पालन सरकार द्वारा कराया जाता है जिस शहर में लॉकडाउन कराया जाता है उस क्षेत्र के लोगों को अपने घर पर ही रहना होता है साथ ही अपने जीवन की आवश्यक वस्तुओं खाने पीने या दवाई आदि को लेने के लिये बाहर जाने की अनुमति होती है इस दौरान बैंक से पैसे निकालने की अनुमति भी होती है सभी संस्थान तथा फैक्ट्री भी बन्द कर दी जाती हैं। सरकारी ऑफिस जो जरूरी श्रेणी में नहीं आते उनको भी बन्द कर दिया जाता है। आप बिना काम के बाहर रोड पर नहीं घूम सकते हैं तथा यदि लॉकडाउन की वजह से आपको किसी भी प्रकार की समस्या आती है तो सम्बन्धित अधिकारी आपकी मदद करता है लॉकडाउन जनता की सहूलियत और सुरक्षा के दृृष्टिकोण से किया जाता है
सजा प्राविधान
लॉकडाउन बिना सजा के प्रावधान का कर्फ़्यू कहा जाता है अगर व्यक्ति को किन्ही कारण से बाहर आता है तो पुलिस, प्रेस तथा अन्य जनता के सेवा कर्मी को जनता की सेवा कर उनकी सहायता करने का प्रावधान है। लॉकडाउन में सजा का प्रावधान है डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 51 के तहत आपदा से निपटने में बाधा पहुॅचाने उस पर मुकदमा चलाया जायेगा तथा 2 साल की जेल हो सकती है। इसी तरह से सेक्सन 52 में गलत दावा करके सरकार से आपदा में लाभ उठाने में भी 2 साल की सजा का प्रावधान है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 53 में पैसा या सामान का गबन करने पर भी 2 साल की सजा का प्रावधान है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 54 में आपदा की झूठी खबर प्रसारित करने पर 1 साल की सजा तथा जुर्माना का प्रावधान है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 55 में सरकारी कर्मचारी की दोषी पाये जाने पर सरकारी विभाग के खिलाफ सजा का प्रावधान है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 56 में अधिकारी पर 1 साल की सजा का प्रावधान है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 57 में सरकारी आदेश पर सेवा न देने का प्रावधान है 1 साल की जेल सहित जुर्माना का प्रावधान है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 58 में आपदा नियम के उल्लंघन करने पर कम्पनियों का प्रावधान है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 59 में सेक्सन 55 और 56 में दिये गये नियमों में अर्थात् सरकारी विभाग और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कारवाई करने से पहले सरकार की अनुमति की आवश्कता पडती है। डिजास्टर मैनेजमेेंट एक्ट के सेक्शन 60 में कहा गया है कि कोई भी कोर्ट संज्ञान तभी लेगा जब मुकदमा सरकार या प्रशासन द्वारा दर्ज कराया जायेगा।
आईपीसी के सेक्शन 188 के तहत आपदा के समय सरकारी अधिकारी द्वारा जारी आदेश की अवहेलना करने पर केसा किया जायेगा। इसमें 1 माह से 6 माह तक की सजा और 200 रूपये से लेकर 1000 रूपये तक केे जुर्माने का प्रावधान है। नियम के उल्लघंन करने पर धारा 144 तथा धारा 151 के तहत सजा हो सकती है
आवश्यक छूट
सन् 2005 के अधिनियम में इसमें नवीनतम सेवाओं को जोडा गया था इसके तहत पर आज कोरोना वायरस के समय में लॉकडाउन में जरूरी सेवाओं को जैसे पुलिस, अग्निशमन, मेडिकल, पैरामेडिकल, मीडिया, डिलिवरी, पेट्रोल पम्प, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, बस टर्मिनल, बस स्टैंड, सुरक्षा सेवाएं, पोस्टल सेवाएं, टेलिकाॅॅम एवं इंटरनेट सेवाएं, बैंक, एटीएम, पानी, बिजली, नगर निगम, भोज्य एवं पेय पदार्थ से जुडे वाहन को जाने की छूट दी जायेगी।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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