भारत ने की अरबों डॉलर की मॉग, आपदा से महामारी की तरफ, 2008 की वैश्विक मन्दी से भी ज्यादा खतरनाक हालात की ओर बढे हम सब
सत्यम् लाइव, 5 अप्रैल 2020 दिल्ली ।। लगभग सभी देशें में अपने पाॅव पसारता नाॅवल कोरोना क्या करेगा? पूर्व में कुछ कह देना अतिशेक्ति होगी परन्तु इस नाॅवल कोरोना ने महामन्दी के द्वार अवश्य खोल दिये हैं अधिकतर आर्थिक शक्ति के साथ, उनके क्रियाकलाप ठप पड़े हैं। जब माल का आदान प्रदान ही नहीं होगा तो असर तो और व्यापक हो जायेगें। इस विषय पर आईएमएफ का भी यही मानना है कि ये सबसे बडी मन्दी की शुरूवात है। आईएमएफ की एमडी क्रिस्टीना जाॅर्जिवा का कहना है औ़द्योगिक प्लाॅट बन्द होने से मन्दी तो होगी ही, इस पर संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि कोरोना के कारण दुनिया के करीब दो-तिहाई व्यक्ति अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहे है। संयुक्त राष्ट्र की ताजा व्यापार और विकास सम्मेलन (अंकटाड) व रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस महामारी के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था इस साल मंदी में चली जाएगी लेकिन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है की भारत और चीन इसके अपवाद हो सकते है। हालाकि रिपोर्ट मेें इस बात की विस्तार से व्याख्या नहीं की गई है की भारत और चीन अपवाद क्यों और कैसे होंगे? रिपोर्ट के मुताबिक इस दौरान खरबों डाॅलर का नुकसान होगा और विकासशील देशो के लिए एक बडा संकट खडा हो जाएगा। कोविड-19 संकट के चलते विकासशील देशों में रह रहे दुनिया के करीब दो-तिहाई लोग पूर्ण रूप से आर्थिक संकट का सामना कर रहे है। संयुक्त राष्ट्र इन देशों की मदद के लिए 2000 अरब डाॅलर के राहत पैकैज की सिफारिश भी की गई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार लगभग 203 मुल्काेे मेंं कोविड-19 फैल चुका है। 31 मार्च तक दुनिया भर में इससे संक्रमितो की संख्या 8 लाख से अधिक और मरने वालो की संख्या 38,700 से अधिक हो गई है। अंकटाड की रिपोर्ट के अनुसार 5000 अरब डाॅलर की सहायता की पेशकश की है। इस पैकेज को तीन हिस्सों में बाॅटा जा सकता है ताकि आर्थिक संकट का सामाना अधिक व्यवहारिक और अर्थपूर्ण तरीके से किया जा सके। निर्यात में भारी-कमी आना जनवरी से ही प्रारम्भ हो गयी थी जनवरी में इस वायरस के दुनिया भर में अपने पाॅव पसारे थे। जिसके कारण कैपिटल आउट फ्लों, बांड का लगातार विस्तार और करेंसी का अवमूल्यन प्रारम्भ हो चुका था। विकासशील देेेशो के असंगठित क्षेत्र थे सबसे अधिक कोरोना से प्रभावित हुए हैं। जबकि इसी क्षेत्र के कामगार को, रीढ की हड्डी कह देना हमारे लिये अनुचित न होगा और इन पर लगाए गए, प्रतिबन्धों से अर्थव्यवस्था को बनाने की जगह बिगाडेगी ही। भारत की अर्थव्यवस्था में तो लगभग 90 प्रतिशत से अधिक लोग सरकार द्वारा लगाये गये देशव्यापी लाॅकडाउन से प्रभावित हुए हैं।
घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन पर बात की जाये तो अंकटाड की रिपोर्ट के अनुसार इस वर्ष के दूसरे और तीसरे माह में पोर्ट फोलियो आउटफ्लों बढकर 59 अरब डाॅलर हो गया। पोर्ट फोलियो निवेश कत्र्ता ने विकासशील देशों से इतने पैसे निकले है और इसी कारण यह ग्लोबल वित्तीप संकट और उत्पन्न हो गया। भारतीय मुद्रा भी काफी प्रभावित हुई है। जैसे-जैसे कोरोन-19 के अपने पाॅव पसार रहा है भारत में वैसे-वैसे निवेश कत्र्ता ने पैसे निकालना शुरू किया है। भारतीय मुद्रा 1 अमेरिकी डाॅलर के मुकाबले 29 मार्च को 76.20 हो गया है
निर्यात आय में कमी भारत अपने विदेशी विनमय के लिए कई, विकासशील देश में, वस्तुओं की कीमतों पर काफी अधिक निर्भर है। कोरोना संकट के बाद इसमें भी 37 फीसदी की गिरावट आई है। इस लेखा-जोखा को देखें तो पूरी दुनिया पर मंदी से गुजर रहा है। इस मन्दी के रहते लाखों करोड डाॅलर विश्व को नुकसान होगा।
भारत की स्थिति :- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश के साथ मिलकर ने विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया कहा कि जिस तरह की आशांका क्रिस्टीना जार्जिया ने जतायी हैं वो बेहद गम्भीरतापूर्ण है। हालात को देखते हुए हमारी विश्व बैंक, आइ.एम.एफ तथा एशियाई बैंकों सभी से सहयोग की आकांक्षा करते हैं। अब तक प्राप्त सूचना के अनुसार विश्व बैंक ने भारत को एक अरब डाॅलर अर्थात् भारतीय मुद्रा के अनुसार लगभग 6 अरब 20 करोड़ रूपये की अतिरिक्त मदद देने को कहा है साथ ही अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश समेत अन्य एजेसिंयो ने 600 करोड़ डाॅलर अर्थात् भारतीय मुद्रा के अनुसार लगभग 45,720 करोड़ रूपये देने को कहा है। साथ ही इस राशि को कोविड-19 को समाप्त करने में खर्च किया जायेगा। इतनी बडी रकम को भारत में कोरोना के परीक्षण तथा विदेशों से किट मॅगवाने के साथ भारत वेंटिलेटर आयात करने के लिये करेगा। हलाॅकि देश के अन्दर भी वेंटिलेटर की व्यवस्था तैयार की गयी है आई.आई.टी. हैदराबाद तथा कुछ स्वदेशी वेंटीलेटर बनाये जा चुके हैं।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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