कृषि सहित अधुनिकता पर प्रतिबन्ध लगाता हुअ ये दूसरा चक्रवात था। साथ भूकम्प आज कर्नाटक और झाण्डखण्ड में आया। प्रकृति से छेडछाड बन हो सकता है भयावह।
सत्यम् लाइव, 5 मई 2020, दिल्ली।। जब चारों ओर विकास की बात की जा रही है सब कुछ डिजिटल किया जा रहा है तो दूसरी तरफ भगवान भी इसी समीकरण में अपनी योजना को क्रियान्वित कर रहा है चूकिं ये कलयुग है और किसी को कोई फर्क नहीं पडता है कि आज का बालक कल कैसे जीयेगा? तो अंग्रेजों के समय से आधुनिकता का लिवास उढे, विकास ने चारों तरफ कदम बढाये हैं। तो दूसरी तरफ सागर ने अब सावन छोडकर सीधा चक्रवात देना प्रारम्भ किया है और अपने विकास को दिखाया है। लगातार धरती ने भी हिल रही है और पश्चिम बंगाल और ओडिशा की खबर में तो आपको पता ही होगा कि भयंकर नुकसान कर दिया है जितनी विकास के नये पैमाने बनाये गये थे वो सब धरासायी हुए है यही हाल निसर्ग चक्रवात ने भी किया है। रायगढ़ जनपद की डिप्टी कलेक्टर डॉ.पद्मश्री बानडे ने बताया कि जिले में एक लाख से अधिक पेड़ गिर गए हैं, और लाखों घरों को क्षति पहुंची है। चक्रवात निसर्ग के महाराष्ट्र में प्रवेश करते समय उसकी गति भले ही धीमी हो गई थी फिर भी उसने तटवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छा-खासा नुकसान पहुंचाया है। तूफान में मरने वालों की संख्या भी छह हो गई है सभी प्रभावित जिलों के स्थानीय प्रशासन नुकसान का आकलन करने में जुट गए हैं। राज्य सरकार ने मृतकों के वारिसों को चार लाख रुपए की मदद देने की घोषणा की है। बिजली के खंभे एवं मोबाइल टावर गिरेे हैं। बिजली एवं संचार सुविधा पर अभी भी असर है। लगभग 5000 हेक्टेयर कृषि का नुकसान है। तटवर्ती जिले में मछली पालन उद्योग को भी नुकसान हुआ है। पालघर, नासिक, अहमदनगर एवं पुणे आदि जिलों में ज्यादा नुकसान कृषि का ही है। 10 बड़ी नौका क्षति है। रत्नागिरी के कलेक्टर के अनुसार वहां करीब 3000 पेड़ों के साथ 1962 ट्रांसफॉर्मरों एवं 14 विद्युत सबस्टेशनों को क्षति पहुंची है। मुंबई एवं मुंबई उपनगर में करीब 75 से 80 स्थानों पर पेड़ गिरे हैं और दो घर ढह गए हैं। मुंबई के पड़ोसी जिले ठाणे में हालांकि तूफान का असर कम रहा लेकिन कच्चे घर तूफान का कहर नहीं झेल पाए। मुख्यमंत्री ठाकरे जी ने स्वयं कहा कि रायगढ़ जिले में लोगों के घरों में खाना पकाने के लिए भी पानी नहीं है। उन्हें तत्काल खाद्यान्न वितरण की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ठाकरे ने खासतौर से अस्पतालों में विद्युत आपूर्ति जल्दी से जल्दी ठीक करने पर जोर दिया।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल