उत्तर प्रदेश में 36,600 लोग प्रभावित हुए है जबकि 4,77,334 क्षेत्रफल की फसलों को नुकसान हुआ है।
सत्यम् लाइव, 1 अगस्त 2020, दिल्ली।। देेवी आपदा टाले नहीं टाल रही है परन्तु सब मौन हैं विकास की एक धुन सभी को लगी हुई है असम, बिहार, उत्तराखण्ड जैसे कई प्रदेशों के साथ अब उत्तर प्रदेश के 12 जिलों के 293 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं लखीमपुर खीरी के पलिया कला में शारदा, बलिया के तुर्तीपार क्षेत्र में सरयू और गोरखपुर के बर्डघाट व श्रावस्ती के राप्ती बैराज में राप्ती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।इस दैविय आपदा से निपटने के लिये एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा पीएसी की कुल 16 टीमें तैनात की गई हैं, जबकि दैवी आपदा से प्रभावित लोगों के इलाज के लिए 151 मेडिकल टीम लगाई गई हैं। कई नदियां खतरे के निशान के करीब या पार पहुंच चुकी हैं केन्द्रीय जल आयोग के मुताबिक गंगा, शारदा, घाघरा, राप्ती सहित प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान के करीब पहुंच गया है या फिर कुछ स्थानों पर खतरे के निशान को पार कर गया है।
उत्तर प्रदेश में 36,600 लोग प्रभावित हुए है जबकि 4,77,334 क्षेत्रफल की फसलों को नुकसान हुआ है। शारदा और सरयू नदी उफान पर है शारदा पलियाकंला व लखीमपुर खीरी में खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। इसी तरह सरयू भी बाराबंकी, अयोध्या और बलिया में खतरे के निशान से ऊपर है। इस बीच मौसम पर भी सभी की नजर है। उत्तर प्रदेश के जल आयोग के अनुसार, गंगा नदी में जलस्तर बढ़ रहा है जिसके कारण उसकी सहायक घाघरा नदी का भी जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और अयोध्या में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। अनुमान है कि भूमि पूजन 5 अगस्त के दिन अयोध्या में बारिश नहीं होगी। दिन में बादलों का डेरा रहेगा। हालांकि रात में बिजली के साथ हल्की बारिश हो सकती है। अधिकतम तापमान 34 डिग्री और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री रहेगा। क्वानो नदी भी बस्ती और संतकबीरनगर में बढ़ने का सिससिला जारी है। अयोध्या में राम मंदिर भूमि पूजन की भव्य तैयारियां जारी हैं। बस्ती जिले में सरयू नदी का जलस्तर बढ़ने से 50 से अधिक गांवों को बाढ़ का खतरा बढ चला है। पूरे देश में बाढ की स्थिति सहित गोरखपुर से भी यही खबर आ रही है कि कोई पूछने वाला नहीं है कि क्या स्थिति है ? खाना चार दिन में भी मिल जायेे तो बडी बात है। चारो ओर पानी ही पानी है परन्तु पीने के लिये पानी नहीं है और मीडिया को कोरोना, राफेल और अब राम मन्दिर ही दिख रहा है सब कुछ कागज पर होता हुआ दिख रहा है शेष कोई सुविधा नहीं है। मुशिबत में फंसे हुए नागरिक को आस्था और विश्वास तभी आता है जब पेट में अन्न गया हो परन्तु आत्मा की चिन्ता छोडकर परमात्मा की चिन्ता में डूबा पडा है या फिर अपनेे पश्चिमी विकास को छुुुुुुपाने का ये प्रयास है ये जबाव भी अब रामभक्त ही देगेें।
सुनील शुक्ल
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