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अब पानी की प्रलय – उ.प्र., बिहार और असम में 70 की मौत, 72 लाख लोग प्रभावित
सत्यम् लाइव, 19 जुलाई 2020, दिल्ली।। भारतीय ज्योतिष शास्त्र कहता है कि इस वर्ष शनि, मकर राशि में प्रवेश किया है और अगले 2.6 साल तक बहुत भयावह होने वाला है। चक्रवात की पूरी जानकारी प्रकाशित नहीं हो पायी है अन्यथा अनुमान है कि आये दो चक्रवातों में, कई लाख परिवार प्रभावित हुए हैं। साथ मेें दूसरी तरफ चल रहे, कोरोना केे साथ प्रवासी की भूखमरी का दौर और इसी के साथ भूकम्पन जिससे विशेष नुकसान की खबर नहीं है परन्तु भारतीय ज्योतिष शास्त्र की सत्यता पहलेे ही कह चुकी थी उसी ओर बढते हुए अब उ.प्र., बिहार और असम में 70 की मौत, 72 लाख लोग प्रभावित हुए हैं। छत्तीसगढ, बिहार झारखण्ड में ओले और बारिश तो जनवरी से लगातार हो रही है अब बारी आ चुकी है उ.प्र., म.प्र., दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और जम्मू कश्मीर तक की। मानसून पूर्वात्तर राज्यों में, चरम पर है, जिसके चलते उत्तर प्रदेश, बिहार और असम राज्य बाढ़ से बेहाल है। बिहार में बाढ़ के कारण लाखो लोग तबाही की कागार पर है। नदिया उफान पर है, तीनों राज्यों में, सैकड़ो गाॅव जलमग्न हो चुके है।
![BIHAR RAIN Min](https://i0.wp.com/www.satyamlive.com/wp-content/uploads/2020/07/BIHAR-RAIN-min.jpg?resize=678%2C452&ssl=1)
लाखों की संख्या में, लोग अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए अपना घर छोड़ना पड़ा है। इधर बिहार प्रशासन का कहना है कि हालात नियंत्रण में हैं। प्रदेश सरकार कह रही कि एन.डी.आर.एफ. ने बिहार और असम में राहत बचाव कार्य के लिए 98 टीमें लगाई है और वहीं नेपाल और चीन से आने वाली नदियां, भारत में तबाही मचा रही है। बिहार में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश और पडा़ेसी देशोंं से छोड़ा गया पानी दोनो ही मिलकर रौद्र रूप धारण चुके हैं। नेपाल के तराई वाले इलाकों में भारी बारिश से फारबिसगंज, जोकीहाट, सिकटी और पलासी के भी, निचले इलाकों में बाढ़ का पानी भर गया है। मधेपुर में कोसी नदी का पानी आसपास के इलाकों में घुस गया है। जब-जब मानसून अपने चरम पर होता है तो पूर्वोत्तर राज्यों को बाढ का सामना करना पड़ता है। ग्रामीण बाढ़ के बीच से किसी तरह खुद को बचाने में लगे हुए है। कटिहार में कोसी नदी ने एनएच-31 पर अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। नदी के तेज बहाव की वजह से हाईवे के किनारे कटाव हो रहा है और जन समूह दहशत में है। लाखों लोग बाढ़ की चपेटे में हैं। सीतामढी जिले में, सैकड़ों एकड़ की गन्ना और मकई की फसल बाढ़ में बर्बाद हो गई है। यहां दर्जनों गांवो में, पानी घुस आया है। गुवाहाटी में ब्रहृमपुत्र नदी खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है। तो वही असम के बरपेटा जिले में बाढ़ का कहर 468 गाॅवो पर अपना कहर भरपा रहा है। यहॉ के लोगों को 46 रिलीफ कैंप में रखा गया है। नेपाल और चीन से तराई वाले इलाको में हो रही बारिश की वजह से अररिया से बहने वाली सभी नदियां उफान पर हैं। मुजफ्फर में बागमती नदी के जलस्तर में, एक फीट की कमी आई है , लेकिन बाढ़ का कहर जारी है। करीब 500 परिवारो ने बागमती बांध पर मवेशियों के साथ शरण ली है। पावर स्टेशन में बाढ़ का पानी भरने से नदी के आस-पास के इलाकों में बिजली बंद हो गई है। लोगों को बाहर निकालने के लिये प्रशासन ने नाव का इंतजाम किया है। तो असम में भी स्थीति बुरी है, बाढ़ की वजह से हालात बेहद खराब है। बाढ़ के पानी में डूबकर मरने वालों की संख्या 66 हो गई है। राज्य के 26 जिले पानी में डूब हुए हैं और करीब 36 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित है। बुधवार को बरपेटा और तर्रांग जिले में 15 मवेशी बाढ़ के पानी में बह गए। बरपेटा जिले के करीब 450 गांव बाढ़ के पानी में डूब चुके हैं।
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असम के बक्सा जिले में नदी के तेज बहाव में फंसा एक शख्स काफी देर तक जद्दोज़हद करने के बाद बह गया। यह हादसा भारत-भूटान सीमा पर हुआ। तो वही उत्तर प्रदेश के बलिया जिलें में गंगा और घाघरा अपने रौद्र रूप को फैलाती जा रही है, जिससे लगभग सभी गांव बाढ़ के चपेट में है। खेतो में पानी घुस गया है। यह जिला उत्तर प्रदेश के पूर्वी सीमा पर स्थित है, यहाॅॅ से कुछ किलोमीटर बाद बिहार की सीमा शुरू हो जाती है। यह भयवह स्थिति पर कोई भी टीवी चैनल कभी चर्चा नहीं कर रहा है और उसे सिर्फ एक ही भयावह स्थिति दिखती है वो कोरोना हो या फिर क्रिकेट प्लेयर या फिल्मी कलाकार और राजनीति पटल पर तो ऐसे बात होती है जैसे सारी चिन्तिएं मीडिया के साथ सरकारों को है। इसी कारण से सोशल मीडिया पर अब लोग ज्यादा विश्वास कर रहे हैं अपेक्षा मीडिया के।
सुनील शुक्ल
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