ऑनलाइन शिक्षा कम, खर्चे ज्यादा

सत्‍यम् लाइव, 24 जुलाई 2020, दिल्‍ली।। इस लाॅकडाउन ने लगभग सभी क्षेत्रों में कार्य शैली व्यवस्था को बदल दिया है। खास कर शिक्षा व्यवस्था को इसमें पढाई के पूरे के परे पैटर्न को बदल दिया हैं। अब शिक्षा डिजिटल हो गया है तो उसी के साथ अभिभावको के लिए खर्चा बढा दिया है। वह भी इस समय जब परे देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी पड़ी है क्योंकि मार्च के आखिरी सप्ताह से पूरे देश में लाॅकडाउन की वजह से सब कुछ बंद हो चूका था। लोगो का जीवन यापन बड़ी मुश्‍किलों से रहा है काम का कुछ पता नहीं, जो बचत थी इस लाॅकडाउन में खत्म हो गये । और जब आनलाॅक हुआ तो बच्चों की पढाई को लेकर मुश्किले आ खड़ी हई है। ऐसा ही वाक्या हिमाचल प्रदेश के ज्वालामुखी क्षेत्र का मामला आया है। एक पिता को अपने बच्चों के ऑनलाइन पढाई के लिए, स्मार्टफोन खरीदने के लिए, अपनी गाय को बेचनी पड़ी, जो उनके लिए आमदनी का एकमात्र जरिया थी। गुम्मेर गांव के कुलदीप कुमार के दो बच्चे अनु और दीपू 4वीं और 2वींं के छात्र है। लाॅकडाउन के कारण स्कूल बंद है। ऑनलाइन क्लास चल रही हैं। कुलदीप को भी स्कूल की ओर से ऑनलाइन क्लास के बारे में पता चला। अब कुलदीप के पास कोइ और साधन नही था की वो अपने बच्चों के लिए नया स्मार्ट फोन खरीद सके। कुलदीप ने पैसो के इंतजाम करने के लिए कई परिचित और बैंको से सहायता मांगी पर कुलदीप की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण मदद ना मिल सका। तो मजबूरन अपनी गाय को बेचना पड़ा और 6000 को स्मार्ट फोन खरीदा। तो वही केरल सरकार ने ऑनलाइन शिक्षा से वंचित दो छात्राओं को लैपटोप देने जा रही है। यह दो छात्र दलित बहनें है। इन बहनों को राहत देने के लिएए केरल के उच्च न्यायालय ने एक पंचायत को, उन्हें लैपटाॅप देने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार ने एससीध्एसटी समुदाय से संबंधित विद्यार्थियों को कम्प्यूटर और लैपटाॅप प्रदान करने लिए एक योजना की घोषणा की थी। तो वहीं पंजाब और हरियाणा में हाईकोर्ट ने स्कूल से बच्चों का नाम नहीं काटा जा सकता का आदेश दिया है और इससे पहले भी स्कूलोंं को टयूशन फीस लेने की अनुमति मिल चुकी है। निजी स्कूल वाले बच्चों की पूरे के पूरे फीस वसूल रहें हैं तो वही निजी स्कूल के मालिको का कहना है कि अगर हम पूरे महीने की फीस ना ले तो हमारे स्कूल में काम कर रहे, कर्मचारियों काेे भुगतान कैसे करे? हमारे सामने भी मजबूरी हैं। उन अभिभावको की बात करें जा कम आय वर्ग वाले हैं या जा निजी जाॅब करते है। उनके लिए अब स्कूल के खर्चं भारी पड़ रहा है। ये अब सरकारी स्कूलों के तरफ अपना रूख कर रहे है। क्योंंकि कम आय वाले परिवारों के छात्र, हर माह 500 से 700 रूपये के बीच स्कूल फीस देते थे। दरअसल काेेराेेना के कारण ऑनलाइन क्लास की फीस, स्मार्ट फोन, लैपटाॅप के कारण खर्च बढने और आय के साधन कम या न होने से ये बच्चे निजी स्कूल छोड़ने को विवश है। यह खुलासा सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन की प्राइवेट स्कूल इन इंडिया रिपोर्ट में हुआ। नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने बुधवार को वर्चुअल रिपोर्ट जारी की। उन्होंंने कहा की कोरोना के कारण करीब 45 फीसदी छात्र अब निजी स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों का रूख करेंगे और उन्होने कहा कि सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए माॅडलरेग्युलेटरीएक्ट का ड्राफ्ट तैयार कर रही है। सरकार का लर्निंगआउटकम और गुणवत्ता युक्त शिक्षा पर जोर है। इस प्रकार 4.5 लाख निजी स्कूलों में 12 करोड़ छात्र पढ़ते है और गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए 74 फीसदी अभिभावक अपने बच्चों को निजी स्कूलों में पढाते है।

Ads Middle of Post
Advertisements

मंसूर आलम

अन्य ख़बरे

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.