टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड, फ्लिपकार्ट के साथ मिलकर, स्विगी और जोमैटो के साथ तथा विश्व की विशालतम कम्पनी ”वाॅॅलमार्ट और मैरिको” की ऑन लाइन पर तैयारी
सत्यम् लाइव, 17 अप्रैल 2020 दिल्ली।। नोवेल कोरोना में सोशल डिस्टेसिंग के चलते आपको लगातार सतर्क किया जा रहा है मैं सदैव से इस बात पर ही चिन्ता करते हुए आया कि अन्य देशों को छोड़ो भारत की संस्कृति और सभ्यता ही ”वासुदेव कुटुम्बकम्” पर आधारित है फिर भारत कैसे सामाजिक दूरी बना सकता है। इस महामारी को समाप्त करने के लिये हमें अवश्य ही भगवान सूर्य की शरण में जाकर ”सौर कोरोना” से मदद लेनी चाहिए परन्तु यहाॅ तो महान विज्ञान के ज्ञानी के आगे, मेरे जैसों को तो रूढ़वादी की विचारधारा कहा जाता है? आपकी इतनी चिन्ता है हर कम्पनी को कि आप मोबाईल मिलाए तो पहले मोबाईल कम्पनी, आपको नोवेल कोरोना पर सचेत करती है। आप टीवी खोले तो आपके शुभ चिन्तक वहाॅ भी बैठे हैं और बताने लगते हैं कि घर पर ही रहें। सड़क पर नोवेल कोरोना घूम रहा है आपको पकड़ लेगा। अगर बाहर निकलते भी हैं तो सोशल डिस्टेसिंग बनाये रखें, दुकान पर सामान न लें अगर ले रहे हैं तो दूसरी बनाये रखें। मोबाईल रिचार्ज पर तो साफ मना कर रहे हैं कि मोबाईल की दुकान से रिचार्ज न करायें और स्वयं नहीं कर सकते आप सबकी उनको चिन्ता है और आप सबका नम्बर आपके रिस्तेदारों को स्वयं भेजने को तैयार हैं क्याेेंकि पडोसी आपको नोवेल कोरोना दे सकता है अत: नोवेल कोरोना वायरस से बचने के लिये आप स्वयं मोबाईल रिचार्ज कर लें! इस तरह के संदेश का भला कैसे पालन हो सकता है जबकि भारतीय संस्कृति और सभ्यता ही ”वासुदेव कुटुम्बकम्” की भावना से परिपूर्ण है। पड़ोस की दुकान पर मत जाओ इसके आपके शुभ चिन्तक, अब आपको सोशल डिस्टेसिंग के नियम को पालन कराने आ गये हैं।

अब आपको ये चिन्ता हो सकती है कि आपके घर में सामान कैसे आयेगा जब इतना खराब है ये वायरस। आप बिल्कुल चिन्ता न करें। अब आपकी सेवा में भारत की एक कम्पनी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड ने ई-रिटेलिंग कम्पनी फ्लिपकार्ट के साथ मिलकर घर तक सामान पहुॅचाना प्रारम्भ कर दिया है। तो दूसरी तरफ यही सुविधा फूड डिलीवरी की स्विगी और जोमैटो ने भी प्रारम्भ किया है। ये कम्पनियाॅ इस बात की घोषणा कर चुकी हैं। फ्लिपकार्ट पर आप टाटा के उत्पाद का आर्डर अब आप कर सकते हो। फ्लिपकार्ट इन सामानों को उपभोक्ताओं के दरवाजे तक पहुॅचाने का जिम्मा लिया है। इसके अलावा फूड डिलीवरी पर स्विगी भी टीयर प्रथम और द्वितीय में घर के उपयोगी तथा अन्य सामान को घर तक पहुॅचाना प्रारम्भ कर चुका है। स्विगी ने कई आफलाइन रिटेलर्स से टाईअप कर रखा है। आप चिन्ता बिल्कुल न करें कि घर कैसे चलेगा? विश्व की विशालतम कम्पनी ”वाॅॅलमार्ट और मैरिको” को भी आपकी बहुत चिन्ता है। कम्पनी का दावा है कि वे केवल 2 घन्टे में किसी भी स्थिति में आपके घर तक सामान पहुॅचायेगें।
केंद्र सरकार ने कहा है कि 20 अप्रैल से मोबाइल फोन, टीवी, फ्रिज, लैपटॉप और स्टेशनरी की ऑनलाइन खरीदारी कर सकेंगे। सरकार ने अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से इनकी बिक्री को मंजूरी दी है। यह स्पष्टीकरण केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला द्वारा जारी संशोधित गाइडलाइन के एक दिन बाद आया। एक अधिकारी के मुताबिक, 20 अप्रैल से बिक्री शुरू होगी लेकिन कंपनियों की डिलीवरी वैन को आवाजाही के लिए प्रशासन की मंजूरी लेनी होगी।दरअसल, गृह मंत्रालय ने पहले जो गाइडलाइन जारी की थी, उसमें सिर्फ खाने-पीने की वस्तुएं, दवाएं और चिकित्सा उपकरणों समेत आवश्यक वस्तुओं की बिक्री को ही मंजूरी दी गई थी।
उत्तर प्रदेश प्रदेश में 11 तरह के उद्योगों को चलाने की सशर्त अनुमति, स्टील, रिफाइनरी, सीमेंट, रसायन, उर्वरक, कपड़ा व चीनी मिलें शामिल, हरियाणा: निर्माण कार्य और ढाबे शुरू होंगे, राजस्थान: ग्रामीण व औद्योगिक क्षेत्रों में उत्पादन शुरू, बिहार: 27 जिलों में राहत, जहां एक भी मरीज नहीं, मध्यप्रदेश: इंदौर, भोपाल, उज्जैन छोड़कर पूरे राज्य में किराना दुकानें खुलेंगी।
अब आपके दिमाग मेें आयेगा कि भारत में तो आईएमएफ कह रहा है कि 40 करोड लोग अब बेराेेेजगारी की कतार में खडे होगें तो फिर भला ये कैसेे मोबाईल को प्रतिमाह रिचार्ज कराकर घर का सामान ऑन लाइन मॅगवागें तो कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है कि गरीबों को हर माह फ्री मोबाईल पर डाटा उपलब्ध कराया जाये और ये फैसला जनहित में आयेगा और मोबाईल पर डाटा उपलब्ध कराया जायेगा। इस समस्या का समाधान जल्द ही आ जायेगा। अब आप इस बात का अन्दाजा स्वयं लगा सकते हैं कि आपकी इन कम्पनियों को कितनी चिन्ता है ? आने और जाने का खर्चा कितना लेगीं ? ये तो भविष्य पर निर्भर है आप व्यापार कैसे करोगे ? ये भी भविष्य पर निर्भर है। पर आप चिन्ता न करें भविष्य में इस मुददे पर चुनाव भी लडा जायेगा और मैं दावा करता हूॅ कि जीता भी जायेगा। अभी मेरे जैसेे लोगों को नकारात्मक विचारधारा वाला कहकर चुप करा दिया जाता है क्योंकि विकास अपनी चरम सीमा पर पहुॅचने जा रहेे हैंं। क्या ये कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को सहारा देगा? या फिर सोशल डिस्टेसिंग के नाम पर वासुदेव कुटुम्बक्रम् को समाप्त करने की योजना है ये। पश्चिमी देशों में जबरदस्त मन्दी चल रही है उसका कारण है वो कभी भी अपरिग्रह को नहीं मानते हैं तो उनकी गलतियाॅ हम पर क्यों लादी जा रही हैं? इन प्रश्नों का उत्तर भविष्य के गर्त में छिपा है। परन्तु इतना अवश्य कह सकता हूॅ कि आज नहीं तो कल ये नियम भारत की आने वाली पीढी पर भारी पडेगें। उत्तरायण काल में, इस सूर्य की गर्मी में कोई वायरस जीवित नहीं रह सकता है। ये भारतीय गणितज्ञ आर्यभट्ट और भास्काराचार्य जैसे महाऋषियों का अपमान है।
उपसम्पादक सुनील शुक्ल