अभिभावक की सुनना आवश्‍यक है .. हाईकोर्ट

सत्‍यम् लाइव, 23 जून 2020, चण्‍डीगढ।। निजी स्‍कूलों और अभिभावक के बीच चल रहे, फीस को लेकर झगडे को अब स्‍कूलों को जल्‍दी फैसला करने केे के लिये हाई कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि अभिभावक की सुनना भी आवश्‍यक है। लिहाजा सुनवाई की अगली तारीख 7 सितम्‍बर को दी गयी है। निजी स्‍कूलों की संस्‍था सर्व विद्यालय संघ की याचिका में कहा है कि उनको पंजाब की तर्ज पर 70 फीसदी फीस लेने की छूट दी जाये। इस पर कोर्ट ने अभिभावक का ये मामला है अत: अभिभावक से संज्ञान लेते हुए कहा कि निजी स्कूलों को फीस वसूली की इतनी जल्दी क्यों है? स्‍कूलों की तरफ से याचिका मेें कहा गया है कि स्‍टॉफ को फीस भी देनी है इसके साथ ही विद्यालय परिसर में और भी खर्चे होते हैं जिनका भुगतान करना आवश्‍य है क्‍योकि वो भी सब लॉकडाउन केे दौरान संकट से गुजर रहे हैं। वही मामले में अभिभावकों की संस्था ने भी एडवोकेट प्रदीप रापडिय़ा के जरिए अर्जी दायर कर कहा है कि लॉकडाउन होने के कारण अभिभावकों की आय भी प्रभावित हुई है। बहुत सारे अभिभावक या तो बेरोजगार हो गए हैं या आय बहुत कम बची है। दूसरी तरफ उत्‍तर प्रदेश के मेरठ जिले में, दैनिक जागरण के अनुसार कहा गया है कि ऑनलाइन शिक्षा व्‍यवस्‍था के चलते बहुत सी कमियॉ सामने आने लगी है। जैसे बच्‍चे पढते कम है गेम ज्‍यादा खेलते हैं अगर घर मेें दो बच्‍चे है तो दो मोबाईल सिर्फ उनके लिये चाहिए। हर माह उन मोबाईल को रिचार्ज कराने का नया खर्चा जो अभी तक अभिभावक ने जोडा ही नहीं था वो समाने आने लगा है। सरकार ऑनलाइन हा‍जरी को अभिभावक की सहमति मान रही है जबकि अभिभावक अपनी मजबूरी बता रहा है। ऐसी ही बहुत सी बातो को लेकर दिल्‍ली का अभिभावक भी तैयार बैठा है कि क्‍या करें ? क्‍या न करें ? यह परिस्थिति मेें, ये बात तो सत्‍य है कि बच्‍चों को शिक्षा, कुछ समझ में आना नहीं है और शिक्षा व्‍यवस्‍था और ज्‍यादा खराब होने जा रही है। समझदार शिक्षक और अभिभावक का कहना है कि गणित तब नहीं समझ आज तक आयी जब शिक्षक ने स्‍वयं पढाई अब तो ऑनलाइन में क्‍या पढायेगें ? और क्‍या समझेगा बच्‍चा ?

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सुनील शुक्‍ल

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