सत्यम् लाइव, 12 अगस्त 2020, नई दिल्ली – कोविड के बाद की जिंदगी को आसान बनाने के लिए सरकार सात सोल्यूशन या एप लांच करने जा रही है। इन्हें विकसित करने के दौरान मुख्य रूप से किसान, मजदूर एवं आम आदमी का ख्याल रखा गया है। ये सभी सोल्यूशन बनकर तैयार हैं और पिछले तीन दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद सात घंटे से अधिक समय तक इसकी समीक्षा कर चुके हैं। समीक्षा के दौरान नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत, आईटी व इलेक्ट्रॉनिक्स सचिव भी मौजूद थे। विकसित होने वाले उत्पादों में केवाईसी सेतु, काशी, उन्नति, स्वस्थ, यूलिप, कृषि नींंव एवं सम शिक्षा शामिल हैं। बिना दस्तावेज दिखाए नो योर कस्टमर (केवाईसी) की प्रक्रिया डिजिटल तरीके से पूरी करने के लिए केवाईसी सेतु लाया जा रहा है। मंगलवार को नीति आयोग के ट्वीट में कहा गया है कि अगर अभी आपको इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदनी हो तो आपको उन सभी दस्तावेज को फिर से प्रस्तुत करना होगा जो पहले से आपके बैंक के पास है। लेकिन अब ऐसा नहीं करना होगा। ट्वीट में कहा गया है कि अब आपके केवाईसी को डिजिटल तरीके से बिना किसी बाधा के साझा करने के लिए केवाईसी सेतु शुरू किया जा रहा है। काशी (केश ओवर इंटरनेट) को शुरू करने के बारे में अभी कोई जानकारी साझा नहीं की गई है। नीति आयोग के मुताबिक काशी की मदद से बिना किसी दस्तावेज के किसानों व मजदूरों को बिना किसी झंझट के पांच मिनट में कर्ज मिल सकेगा। इसमें किसी एजेंट या दलाल की कोई भूमिका नहीं होगी और कर्ज के लेन-देन में कोई जोखिम नहीं होगा। नीति आयोग के ट्वीट के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी ने केवाईसी सेतु और काशी को लेकर कहा ‘ इन दोनों उत्पादों को देश के स्ट्रीट वेंडर को सक्षम बनाने की दिशा में काम करने की जरूरत है। अगर हम इन स्ट्रीट वेंडर को पारंपरिक कर्ज से मुक्ति दिलाने में कामयाब हो गए तो कल्पना कीजिए कि कितने लोग गरीबी रेखा से ऊपर आ जाएंगे। ‘उन्नति एप पर 20 करोड़ श्रमिकों के जीवनयापन के लिए कामकाज की जानकारी होगी जिसके माध्यम से उन्हें काम मिल सकेगा। स्वस्थ एप की मदद से आसानी से इलाज से लेकर दवा उपलब्ध कराने की सुविधा मिलेगी। यूलिप सोल्यूशन देश की सप्लाई चेन को पूरी तरह से डिजिटल करने में सहायक होगा तो कृषिनीव कृषि क्षेत्र में किसानों को डिजिटल मदद देगा । वर्चुअल तरीके से पढ़ाई-लिखाई के चलन को बढ़ाने के उद्देश्य से समशिक्षा को विकसित किया गया है। नीति आयोग के मुताबिक इन एप पर डाटा पूर्ण रूप से सुरक्षित रहेगा और किसी थर्ड पार्टी के लिए डाटा उपलब्ध नहीं होगा। ये एप अंग्रेजी, हिन्दी और अन्य भाषाओं में होंगे। नीति आयोग की अगुवाई में निजी-सार्वजनिक सहभागिता के तहत इन्हें विकसित किया गया है।
सुनील शुुुुक्ल
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