कई बार तोड़ा गया मथुरा का श्री कृष्ण मंदिर : दिनेश शर्मा

सत्यम् लाईव, 24 जनवरी 2024, दिल्ली! श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का केस लड़ रहे हिंदूवादी नेता दिनेश शर्मा फलाहारी ने हमारे वरिष्ठ पत्रकार नीरज दुबे को बताया कि मंदिर को कई बार मुगल शासकों द्वारा तोड़ा गया लेकिन हिंदुओं ने हिम्मत नहीं हारी और मुगल शासक मंदिर तोड़ते गए और हिंदू राजा मंदिर बनाते गए। सन् 1017 में महमूद गजनवी ने मथुरा के प्रसिद्ध मंदिर श्री कृष्ण जन्म भूमि को तोड़ा और तोड़कर के उसमें सोना चांदी लूट कर ले गया ,मूर्तियों को लूट कर ले गया, उसके बाद हिंदू राजाओं का शासन काल आया और हिंदू राजा ने मंदिर को बनवाया, उसके बाद में 1250 के लगभग में हमारे श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर को मुगल शासक फिरोज शाह तुगलक द्वारा तोड़ा गया। और उसके शासन खत्म होने के बाद में फिर सन् 1490 के करीब मंदिर को सिकंदर लोदी के शासन काल में तोड़ा गया, उसके बाद हिंदू राजाओं ने मंदिर बनाया। उसके बाद में 1670 में मुगल शासक औरंगजेब के द्वारा मंदिर को तोड़ा गया।इस प्रकार यह मंदिर कई बार तोड़ा गया और कई बार बनवाया गया।

मुगल शासक मंदिर तोड़ते गए और हिंदू राजाओं द्वारा मन्दिर बनवाया जाता रहा। औरंगजेब ने अपने शासनकाल में मंदिर को तोड़कर विशाल चबूतरा बनवाया और उस पर एक सफेद बिल्डिंग खड़ी की, उसको ही ईदगाह मस्जिद कहते हैं। यह बिल्डिंग उस स्थान पर है जहां पर भगवान श्री कृष्ण का मूल गर्भ गृह है, अभी भी हमारे भगवान का मूल गर्भ गृह भी मुगल शासकों के द्वारा बनाई गई मस्जिद के कब्जे में है।

हमारा केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रहा है और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे के ऑर्डर दे दिए थे लेकिन मुस्लिम समाज द्वारा सुप्रीम कोर्ट में अपील करने पर कुछ दिनों के लिए सर्वे को रोक दिया गया है। इस प्रकार मुगल शासकों द्वारा जो कब्जा किया गया था, उस बिल्डिंग के सर्वे को रोक दिया गया है, लेकिन दिनेश शर्मा ने हमारे वरिष्ठ पत्रकार नीरज दुबे से कहा कि हमने हिम्मत नहीं हारी है, सर्वे एक न एक दिन जरूर होगा क्योंकि न्यायालय सबूतों के आधार पर फैसला देगा और हमें विश्वास है कि एक न एक दिन सर्वे होकर रहेगा।

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सर्वे के दौरान जितने भी साक्ष्य ईदगाह मस्जिद में छुपे हुए हैं उन सब की रिपोर्ट बनाकर अधिकारी न्यायालय में जमा करेंगे और न्यायालय को फैसला देने में आसानी होगी। आने वाले समय में न्यायालय में सर्वे की तिथि फाइनल हो सकती है।

नीरज दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)

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