सत्यम् लाइव, 18 अगस्त 2020 दिल्ली।। फाइनल ईयर की की परीक्षा के लिये सुप्रीम कोर्ट अभी फैसला सुरक्षित रखते हुए सभी की बात सुनने के बाद तीन दिन सभी राज्य के विश्वविद्यालय को अपने फैसले बताने को कहा है। आदेश सुरक्षित रखने से पहले कोर्ट ने दिल्ली, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और ओडिशा की राज्य सरकारों का पक्ष सुना। महाराष्ट्र और दिल्ली परीक्षा रद्द कर चुके हैं जबकि ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान और पंजाब यूजीसी के समक्ष परीक्षा कराने को लेकर अपनी असमर्थता जता चुके हैं। पश्चिम बंगाल के एडवोकेट जनरल किशोर दत्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि यूजीसी ने फैसला लेते समय किसी भी मेडिकल एक्सपर्ट्स से सलाह नहीं ली गयी है, एडवोकेट ने कहा कि दक्षिणी बंगाल में अम्फान तूफान के कारण ज्यादातर लोगों को वहां से निकाल लिया गया है। वहां फिजिकल एग्जाम नहीं हो सकते। ऑनलाइन एग्जाम के लिए वहां डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। कोर्ट ने आगे यह भी कहा, ‘विश्वविद्यालय, यूजीसी द्वारा तय किए मापदंडों बनाये रखते हैं तो हर यूनिवर्सिटी का अपने विद्यार्थी को अलग अलग मापदण्ड निर्धारित करते हुए, परिणाम घोषित करना पडेगा ये सम्भव नहीं है। यूजीसी और केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस केस को राज्य बनाम केंद्र नहीं बनाना चाहते। दोनों ही अपने अपने दायरे में सर्वोच्च हैं। यूजीसी की गाइडलाइंस देश भर के करीब 900 विश्वविद्यालयों पर लागू होती है। राज्य आज परीक्षा को लेकर ऐतराज जता रहे हैं, उनके यहां के कई विश्वविद्यालय परीक्षा करा चुके हैं। दिल्ली में तो 8 में से 6 एग्जाम करा चुके हैं। दिल्ली ने दावा किया था कि यूजीसी की ओर से जारी 29 अप्रैल और 6 जुलाई की गाइडलाइंस में विरोधा भास है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहता है कि दोनों में कोई विरोधाभास नहीं है।
सुनील शुक्ल
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