सत्यम लाइव 6 अप्रैल 2023, दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट ने मजबूत लोकतंत्र को पुनः स्थापित करने के लिये हुए प्रेस के कलम की आजादी को प्रेस का कर्त्तव्य बताते हुए जनता के सामने सच लाने के लिये कहा। सरकार की नीतियों पर दिखाये गये या लिखे गये लेख को प्रेस का अधिकार बताते हुए कहा कि ये सरकार की नीतियों की बुराई नहीं बल्कि आलोचना है। इससे राष्ट्र को किसी भी प्रकार को कोई खतरा नहीं हो सकता ।
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने बुधवार को कहा कि सरकार किसी भी प्रकार का प्रेस पर अनुचित प्रतिबन्ध नहीं लगा सकती है। ऐसा करने से प्रेसी की आजादी प्रभावित होगी और जनता को उसके अधिकार से वंचित रहना पड़ेगा।
शीर्ष अदालत ने इस पर टिप्पणी के साथ मलयालम चैनल मीडिया वन के प्रसारण पर अतिशीर्घ प्रतिबन्ध हटाने का आदेश करते हुए कोर्ट ने कहा कि मजबूत लोकतंत्र के लिये प्रेस की आजादी की आवश्यकता है। पीठ ने केन्द्र को चैनल के लाइसेन्स का नवीनीकरण के लिये 4 सप्ताह का समय सीमा तय कर दी। साथ ही प्रेस का कर्त्तव्य का वर्णन करते हुए कहा कि सत्ता का सच नागरिकों के सामने लाना ही प्रेस का कर्त्तव्य है जिससे लोकतंत्र को सही दिशा दी जा सके।
सुनील शुक्ल
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