अपनी अन्दुरूनी शक्ति (इम्युनिटी) को बढाने का एक मात्र विकल्प, आत्म विश्वास है जो साधना के माध्यम से ही बढता है। अपने स्वास्थ्य के रक्षा के लिये मूलाधार चक्र को स्वस्थ रखना आवश्यक है ये सात्विक भोजन से प्राप्त होता है। अत: अवश्य ही इस साधना में शमिल होकर अपने को स्वस्थ एवं अपने परिवार को संस्कार दें।
सत्यम् लाइव, 17 मई, 2020 दिल्ली।। भारतीय धर्म शास्त्रों में, तन की शुद्धि के साथ, मन की शुद्धि को अनिवार्य बताया गया है और समय समय पर, हमारे बीच ऋषि परम्परा के निर्वाहक बनकर, महापुरूष आते रहे हैं। ऐसी ही परम्परा की निर्वाह केे लिये, गायत्री परिवार ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता पर आप सबका मार्ग दर्शन कराने के लिये, 23 मई 2020 को ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की प्रथम दिवस से, 31 मई 2020 शुक्ल पक्ष की अष्ठमी तक, ज्येष्ठ मास की नवरात्रि का अनुष्ठान करने जा रही है जिसमें अब आप घर बैठे ऑनलाइन ही, आपको Whatsapp Number के माध्यम से सारी जानकारी उपलब्ध कराई जायेगी। जिसकी पूरी जानकारी नीचे दी जा रही है। अपनी अन्दुरूनी शक्ति (इम्युनिटी) को बढाने का एक मात्र विकल्प, आत्म विश्वास है जो साधना के माध्यम से ही बढता है। अपने स्वास्थ्य के रक्षा के लिये मूलाधार चक्र को स्वस्थ रखना आवश्यक है ये सात्विक भोजन से प्राप्त होता है। अत: अवश्य ही इस साधना में शमिल होकर अपने को स्वस्थ एवं अपने परिवार को संस्कार दें।
(अनुष्ठान 23 मई 2020 से प्रारंभ -31 मई 2020 तक)
ध्यान दें: नौ दिवसीय गायत्री जयंती साधना अनुष्ठान की यह साधना सभी परिजनों को अपने घर पर रहे कर ही संपन्न करनी है।इस के लिए किसी विशेष तिर्थ या स्थान पर नहीं जाना होगा। पंजीयन करने का उद्देश्य सभी साधकों की सूचना एकत्र करना एवं गायत्री तपोभूमि स्तर पर दोष परिमार्जन एवं संरक्षण एवं मार्गदर्शन की व्यवस्था करना है ।
अनुष्ठान साधना का उद्देश्य :
- युग परिवर्तन के चक्र को तीव्र गति
- गायत्री परिवार के साधनात्मक आंदोलन को मजबूती
- मिशन को आसुरी शक्तियों से संरक्षण
- वंदनीया माताजी को भावभीनी श्रद्धांजलि
- गृह-गृह गायत्री यज्ञ अभियान को गति
- पूर्णतः सत्य की विजय
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आत्मीय जन के लिये संदेश :-
आत्मीय परिजन, आज आस्था संकट की विषम परिस्थितियों में, जब चारों तरफ हाहाकार मचा है, ”महाकाल की पुकार” को अनसुनी ना करें । विशिष्ट साधनाओं हेतु, ईश्वर द्वारा प्रदत्त, विशेष समय के रूप में इसका वरण कर, मां गायत्री की अनुकम्पा प्राप्त करने का सुअवसर अपने हाथ न जाने दें। गायत्री माता की अद्वितीय शक्तियों को गहराइयों से अनुभव करने, अपना आमूलचूल रूपांतरण करने, साधना पथ पर आगे आकर आध्यात्मिक ऊँचाइयों को प्राप्त करने के इच्छुक साधको के लिए, ”गायत्री जयंती साधना अनुष्ठान” एक अचूक उपासना पद्धति है । यह साधक को गायत्री महाशक्ति से एकाकार कर देती है, वह अपने अंदर-बाहर, चारों ओर, एक दैवीय वातावरण का अद्भुत आनंद का अनुभव करने लगता है। गायत्री जयंती के नौ चैत्र मास से प्रारम्भ हुए नव वर्ष से तीसरे माह की नवरात्रि का प्रारंभ होने जा रहा है
इस विशेष नवरात्रि के संदर्भ में गुरुदेव जी कहते हैं –
“एक तीसरी नवरात्रि जेष्ठ सुदी प्रतिपदा से नवमी तक भी होती है। दसमी को गायत्री जयंती होने के कारण, यह नौ दिन का पर्व भी मनाने योग्य है। 9वें दिन अपना जप-साधना होने पर चाहें तो उसी दिन अपनी साधनापूर्ण कर सकते हैं अथवा सुविधानुसार एक दिन आगे बढ़ाकर, दशमी को दसवेंं दिन भी अनुष्ठान की पूर्णाहुति रखी जा सकती है।”
साधना क्रम इस तरह रहेगा :-
- नौ दिवसीय गायत्री जयंती साधना अनुष्ठान-चौबीस हजार गायत्री मंत्र जप
- प्रतिदिन 27 माला जाप
- प्रतिदिन दैनिक यज्ञ
- प्रतिदिन 3 बार गायत्री चालीसा पा
- प्रतिदिन 15 मिनट ध्यान साधना
- नियमित स्वाधयाय
नवरात्रि साधना को दो भागें में बाँटा जा सकता है : एक उन दिनों की जाने वाली जप संख्या एवं विधान प्रक्रिया। दूसरे आहार-विहार सम्बन्धी प्रतिबन्धों की तपश्चर्या। दोनों को मिलाकर ही अनुष्ठान पुरश्चरणों की विशेष साधना सम्पन्न होती है। जप संख्या के बारे में विधान यह है कि 9 दिनों में 24 हजार गायत्री मन्त्रों का जप पूरा होना चाहिए। कारण 24 हजार जप का लघु गायत्री अनुष्ठान होता है। संख्या का हिसाब इस प्रकार और भी अच्छी तरह समझ में आ सकता है
1. नौ दिनो की अनुष्ठान अवधि में प्रतिदिन 27 माला के हिसाब से 27 × 9 = 243 माला ।
2. नौ दिनों में प्रतिदिन 3 बार गायत्री चालीसा पाठ के हिसाब से 9 × 3 = 27बार गायत्री चालीसा पाठ करना होगा।
3. प्रतिदिन दैनिक यज्ञ के हिसाब से 9 × 1 = 9कुंडिय गायत्री महायज्ञ।
संकल्प :- संकल्प ऑनलाइन कराया जाएगा, समय – 22 मई संध्या वंदन के समय।
पूर्णाहुति को दो चरणों में बांटा गया है-
”प्रथम पूर्णाहुति” – प्रातः एक कुंडिय गायत्री महायज्ञ।
”द्वितीय पूर्णाहुति” – सांयकाल 11 दीपक के माध्यम से दीप महायज्ञ। इस प्रकार 24000 गायत्री मंत्र जाप पूरा हो जाता है
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अनुष्ठान के दिनों में धर्म पालन व्यवस्था :-
- सात्विकता का पूरा ध्यान रखा होगा, किसी भी तरह से प्याज एवं लहसुन और मांसाहार का सेवन वर्जित है।
- ब्रह्मचार्य जीवन शैली का पूरी तरह से पालन करना चाहिए।
- ऐसे कोई भी व्यंजन का सेवन नहीं करना चाहिए जिसके कारण अन्दुरूनी शक्ति को कम करे, पूर्ण रूपेण अपने शरीर को शक्ति देने हेतुु फलाहार या सात्विक भोजन की करेंं जिससे आपको किसी भी प्रकार से क्रोध न आये।
- अगर संभव हो तो अपने द्वारा इस्तेमाल किए गए कपड़े और बर्तन खुद ही धोएं।
- मंत्र जाप एवं माला की संख्या का ध्यान, रखना आवश्यक है।
- उपासना की विधि सामान्य नियमों के अनुरूप ही है, स्नानादि से निवृत्त होकर आसन बिछाकर पूर्व को मुख करके बैठें।
- सूर्य अर्घ्य आदि अन्य सारी बातें उसी प्रकार चलती हैं, जैसी दैनिक साधना में, आपके करते आये हैं।
उपरोक्त अनुशासनों के पालन में, अपने स्वास्थ्य का भी ध्यान रख सकेगें, अधिक कठोर अभ्यास से स्वास्थ्य संबंधी कष्ट हो सकता है अत: अपनी अन्दुरूनी शक्ति को बढाते रहें।
‘तुम्हारी शपथ हम, निरंतर तुम्हारे, चरण चिन्ह की राह चलते रहेंगे॥’
आईये, गायत्री जयंती साधना अनुष्ठान हेतु आपको भाव- भरा आमंत्रण ॥
इस बेबसाइड पर जाकर अपने आवेदन कर सकते हैं। https://docs.google.com/forms/d/e/1FAIpQLScb-0y8alGh2h1eufbGQ4tmHmWS-f58uORnLFRBL2AYH5ha9g/viewform?fbclid=IwAR3Qefx1xbf7S1hFJCMPTd4_50Pjxwa5DZbNP2Tu1w-_U3zxi_x8WKfqdwU
सेवार्थी उपसम्पादक सुनील शुक्ल
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