सत्यम् लाइव, 29 सितम्बर 2020, दिल्ली।। एक तरफ खुला निमंत्रण तो दूसरी तरफ डिजिटल दाैड पर खुली चर्चा को नियंत्रण करनी की कवायद प्रारम्भ हो चुकी है जबकि पीएम मोदी का मानना है कि डिजिटल दौड़ में भारत एक मजबूत आधार है। इसलिए इसको खुलेतौर पर अपनाने की जरूरत है। वर्तमान में स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा होने की वजह से कोई भी अपने विचार खुल कर बयां करने की ताकत रखता है। शिक्षा केे क्षेत्र में खुला निमंत्रण करके हर छोटे सेे बालक के हाथ को डिजिटल करने के लिये कवायद पर सरकार स्वयं भी अपनी घोषणा में पैसा लगाने को तैयार खडी है बावजूूद इसके कि सरकार के स्वयं कुछ भी बचा नहीं है भारत की जीडीपी का वो क्षेत्र जो आर्गनाइज सेक्टर है उसका जीडीपी का ग्राफ 23.9 बताकर आपको आश्चर्य में डाला जा चुका है अब इसमें कोई शक नहीं है कि इस जीडीपी की गिरती हुई व्यवस्था में ऑनलाइन पर कितना काम सफलता पूर्वक किया जा सकता है। ऐसे में सोशल मीडिया पर बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति जब अपनी राय खुलेआम बिना कोई चार्ज केे प्रसारित कर देता है तो मुश्किलें और बढती नजर आने लगी हैं। सोशल मीडिया में फेसबुक, ट्वीटर जैसे मीडिया पर जो मनमानी तरीके के कमेन्टस् किये जा रहे है वो तो और ज्यादा व्यापाक स्तर पर कार्य कर रहे हैं इस समय लगभग 63 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स के साथ भारत जैसे देश में सरकार की चिंन्ता बढा रही है। ऐसे में सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को दिये गये हलफनामे पर कहीं न कहीं सरकार मंशा साफ सरकार होती है दूसरी तरफ चिंता वेब न्यूज पोर्टल, चैनल या यूट्यूब चैनल के प्रति ज्यादा है। सरकारी तंत्र का मानना है कि ऐसे चैनल को बिना किसी पंजीकरण या अनुमति के शुरू किया जा सकता है। ये राष्ट्रीय संप्रभुता को नुकसान पहुंचा सकता है अत: इलैक्ट्र्राॅॅॅनिक्स मीडिया तथा प्रिन्ट मीडिया पर कुछ संशोधन की आवश्यकता जताई गयी है। प्रिन्ट मीडिया के अपेक्षा इलैक्ट्र्राॅॅॅनिक्स मीडिया ने अपनी पकड अब कई घरों के अन्दर तक बनाई है परन्तु इसी के कारण सोशल मीडिया में जैसे फेसबुक, ट्वीटर पर कुछ अंकुश लगाने की आवश्यकता है। यहां कुछ समझने की आवश्यकता है करोड़ों फेसबुक खातों पर लोग अपने निजी, राजनीतिक, सामाजिक व आर्थिक विचारों को धड़ल्ले से रख रहा है और बढती यूट्यूब चैनल तथा या डिजिटल वेब पोर्टल की संख्या को बिना पंजीकरण के, इन चैनलों की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है।
सुनील शुक्ल
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